पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४४६

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अनिर्णय-अनि ति अयोग्यः। अनिर्णय (सं० त्रि०) निर्णयके अयोग्य, फैसल होने- | अनिर्लोचित (स' त्रि०) १ ध्यानसे न देखा गया, के नाकाबिल। जिसे गौरसे न देखा हो। २ अविचारित, ख़याल में अनिर्दश (सं० त्रि.) न निर्गतानि दशदिनानि यस्य, न खौला हुवा। डच् अन्त बहुव्री० । बहुब्रीहौ संख्ये ये उजबहुगणात् । पा ४७३॥ | अनिर्लोड़ित (सं० त्रि.) न निर्लोड़ितं आलोचि- १ दश दिन न बिताये हुवा, जिसके दश रोज न तम्। अनालोचित, न बताया गया, जिसका बयान गुज़रे हों। यह शब्द जन्म-मृतुके दश दिन न हुवा हो। अशौचका द्योतक है। "अनिलो डितकार्यस्य वाग जाल वाग्मिनो वृथा।” (माघ, २।२७) अनिर्दशा (सं० स्त्री०) व्याकर दश दिन न व्यतीत | अनिर्वचनीय (सं० पु.) निर्वक्तुं किये हुई गो, जिस गायको बच्चा जने दश रोज़ न १ परमात्मा, ब्रह्म। (क्लो०) २ अज्ञान, नादानी। गुजरे हों। ३ जगत्, दुनिया। (त्रि०) ४ कहा न जा सकने- अनिर्दिश्य, अनिर्देश्य देखो। वाला, जिसकी बात बतायौ न जा सके। ५ अगम्य, अनिर्दिष्ट (स० वि०) अवर्णित, अनिर्धारित, बयान जिसको बात न मिले। न किया गया, जिसकी सिफत न बताई गयी हो। अनिवयंमान (सं० वि०) समाप्त या पूर्ण न किया अनिर्देश (सं० पु०) नियम अथवा दिक् का अभाव, गया, जो खत्म या पूरे न पड़ा हो । कायदे या शिस्तका न रहना। अनिर्वाच्य (सं० वि०) निर्वाचनके अयोग्य, चुननेके अनिर्देश्य (सं० त्रि.) न निर्देशम्, इदं तदिति नाकाबिल। २ बताया न जा सकनेवाला, जिसका निर्देष्टुं यन्न शक्यते परस्मै स्वयं वेद्यत्वात् ; निर्-दिश- बयान् न हो सके। ण्यत् । १ निर्विशेष, जिसका विषय न बन सके, अनिर्वाण (सं० पु०) १ कफ, बलगम । (त्रि.) लामजमून् । २ निर्गुण, लासिफत । २ न बुझा हुवा, जो जल रहा हो । अनिर्धारित (सं० त्रि०) न निर्धारितम् । अनिश्चित, अनिर्वाह (सं० पु.) १ निर्वाहका अभाव, गुज़रका यकीन न किया गया, जो अवधारित या फैसल न न होना। २ फलराहित्य, नतौजका न निकलना। न्यूनता, आमदनीकी कमी। अनिर्धाय ( स० त्रि०) निश्चित निकलनेके अयोगा, अनिर्वाह्य (सं० वि०) निर्वाह निकलनेके अयोग्य, फैसल होनेके नाकाबिल, जिसका कोई ठौर-ठिकाना गुजर होनेके नाकाबिल, जिसका प्रबन्ध बंध न सके । न ठहर सके। अनिर्विस (सं• त्रि०) अवनतभिन्न, जो दिलगीर अनिबन्ध (सं० त्रि.) १ बन्धनरहित, बेफांस। न हो, प्रसन्न, खुश। २ स्वतन्त्र, आजाद। अनिविद् (स. त्रि.) अधोगतिके कारणसे रहित, अनिर्भर (सं० त्रि.) १ क्षुद्र, छोटा। २ किञ्चित्, जिसमें तनज्जु लोका सबब न लगा हो। थोड़ा। ३ लघु, हलका। अनि त, अनिवृत्त (स० त्रि०) १ पूरा न पड़ा हुवा, अनि द (सं० पु०) भेदभावका अभाव, राजका कच्चा निकल जानेवाला। २ असन्तुष्ट, नाराज। न रहना। ३ हतभाग्य, कमबखत। अनिर्मल (सं० त्रि०) न निर्मलम्। मलिन, मैला, | अनि ति, अनि त्ति (स० स्त्री०) न नि त्तिः अपरिष्कृत, गन्दा। स्वच्छन्दता, अभावार्थे नञ्-तत् । १खच्छन्दताका अनिर्माल्याः (सं त्रि०) निर्-मल्-ण्यत् स्त्रीत्वात् अभाव, आजादीका न आना। २ दरिद्रता, गरीबी। निर्माल्या, न निर्माल्या, नञ्-तत् । पृक्का नामक ओषधि ३ अपूर्णता, नाकमाल। ४ असन्तोष, नाराजी। विशेष, एक जड़ी-बूटी जिसे पृक्का कहते हैं। ५ अधम स्थिति, बदहालत । ६ दुःख, तकलीफ़। - हुवा हो। ३ आयको