पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४७१

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३० च ग घ क ख क ख ग घ क ३५ ३२ २०. ४ ५ क ख ४ अनुपात ३० २६; अतएव ५ : ६ यह अनुपात निकले, तो क : ख :: च : छ पड़ेगा। क्योंकि, = और रहता इसलिये ७:८ अनुपातसे गुरु है। साम्यानुपातके उभय राशिमें कोई अङ्ग मिलाने अथवा क:ख ::च : छ हो जाता है। किंवा उभय राशिसे कोई अङ्क निकालनेपर अनुपातके समानुपातके चारो राशि उलट देनेसे भी समानु- मानका कोई परिवर्तन नहीं पड़ता। जैसे, ५ : ५ पात रहता है। De:८; ५+२:५+२=e+२+२ यदि क : ख :: ग : घ रहे, तो ख : क:: घ : ग वैषम्यानुपातके उभय राशिमें कोई राशि जोड़नेसे हो जायेगा। कारण, खच पड़ता ; जिससे १ गुरु-वैषम्यानुपातका मान घटता और लघु-वैषम्यानु- पातका मान बढ़ जाता है। निकलता; तभी तो जैसे, ७:४ =१ यानी वैषम्यानुपात है ; यहां उभय राशिमें १ जोड़नेसे ८ : ख:क::घ : ग बनता है। ५ बनता है। अतः पूर्व अनुपात के साथ इसे समानुपातके चारो राशि यथाक्रम बदल डालनेसे मिलाये,- इस स्थानमें मान भी समानुपात नहीं बिगड़ता। यदि क : ख :: ग : घ पड़े, तो क : ग :: ख : घ घट गया है। फिर उभय राशिसे १ घटाये। हो जाता, जिससे क :ग::ख : घ बनता है। कारण, १ घटानेसे, ६ : ३ बचता है। दुबारा फिर मिला- कर देखे। । ऐसे समय उभय राशिका ज हारा गुण होता; अर्थात् मान बढ़ जाता है। लगानेपर, ख निकलता है। इसलिये क: समान अटनेसे समानानुपात ग :: ख : घ हुवा है। i (Proportion) कहाता है। जैसे-यदि समानुपातवाले चारो राशिके मध्य प्रथम और द्वितीय राशि जोड़नेसे समष्टिका मानसम्बन्ध द्वितीय तो क: ख :: ग : घ हो जाता ; समानुपातके राशिके साथ बिलकुल वैसा ही रहता, जैसा तृतीय मध्य चार विन्दु लगा साम्य बनाते हैं। इसतरह चार और चतुर्थ राशिके समष्टिका मानसम्बन्ध चतुर्थ राशिमें , समानुपात पड़नेपर दोनो ओरके दो राशिके साथ बंधता है। राशिका गुणफल मध्यस्थलवाले दो राशिके गुणफलसे यदि क: ख :: ग: बराबर निकलता है। क: ख :: ग : घ रहनेसे घ रहे, तो क+ख :: न होता ; इसलिये उभय राशिको ख, घ से ख : : ग+घ : घ पड़ेगा। कारण, ख ख गुण देनेपर क. घ= ग. ख निकलता है। इसलिये च+१ निकलता ; अथवा, यदि दो राशिका गुणफल फिर दो राशिके गुण- बनता ; अर्थात् क+ख : ख : ग+घ : फलसे बराबर पड़े, तो दिये हुये चार राशिके मध्य घ ठहरता है। समानुपात रहेगा। उसमें एक गुणफलके गुणनीय इसतरह वियोगमें भी उभय राशिका समानुपात और गुणक समानुपातको दोनो ओरके दो राशि लगता है रहें एवं दूसरे गुण फलवाले गुणनीय और गुणक समानुपातवाले चारो राशिके मध्य, प्रथम और मध्यस्थलके दो राशि बनेंगे । जैसे, क. घ= खु. ग होता, द्वितीय राशिके समष्टिका सम्बन्ध, प्रथम और द्वितीय तब ख घ द्वारा उभय राशिको बांटनेपर, ख- राशिक वियोग-फलके साथ बिलकुल वैसा ही बंधता, ‘पड़ता, अर्थात् क : ख :: ग : घ समझा जाता है। जैसा तृतीय और चतुर्थ राशिके समष्टिका सम्बन्ध यदि क: ख:: ग घ और ग :घ::च : छ उनके वियोग-फलसे लगता है। दो अनुपात क %3D क क होता; ख+१- क+ख ग+घ घ