पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अन्तःपट-अन्तःपुरचर ५१६ दोनोके भोक्ता हैं। उसी मद्य और मांसके एकमें | अन्तःपवित्र (सं० पु.) छना और घड़ेमें भरा मिलनेसे जो आनन्द आता, वही मोक्ष है। मोक्षके हुवा सोम। कारण हो देहमें आनन्दरूप परमात्माका उदय अन्तःपशु (सं. पु०) अन्तर्ग्रामस्थ मध्ये तिष्ठन्ति होता है। परब्रह्मक उद्भावक होते वही मद्य और पशवो यस्मिन् काले, बहुव्री। १ ग्रामके मध्य पश मांस योगियोंका भक्ष्य बना है। रहनेका समय, जिस वक्त गांवमें जानवर रहें, प्रातः पु स्त्री लीव इस त्रिलिङ्गको विषयरूपसे समझे काल, सवेरा, तड़का। ३ सायाह्न, सायंकाल, शाम । और षट्चक्रका दरवाजा तोड़ना सौखे। पौके पीठ (त्रि.) ४ पशुवाला, जहां जानवर रहें। (अव्य.) स्थान में पहुंच महापद्म वन जाना पड़ता है। मूला ५ सन्ध्यासे प्रातःकालतक, जबतक शामसे सवेरा धारपर ब्रह्मरन्ध पर्यन्त बारम्बार चल-फिर 'महोदय न हो। व्यक्तिको ज्ञानरूप चन्द्र, कुण्डलिनी शक्ति और समता अन्तःपात (सं० पु०) अन्तः सीमाद्दयोमध्ये पतति गुणपर रम्य बनकर आकाशपथसे (ब्रह्मरन्धस्थ सहस्र तिष्ठति । १ सन्धिस्थान, मिलनेको जगह। २ मध्यका दलपद्म) क्षरित सुधा पौने में लग जाना चाहिये। पतन, बीचका गिराव। ३ व्याकरणमें-अक्षरका उसी सुधापानको मधुपान कहते, मिवा उसके दूसरा आगम, हर्फका जोड़। ४ यज्ञस्थलके मध्यका स्थान- सुरादि पान मद्यपान कहाता है। विशेष, जो खास जगह यज्ञके बौचमें रहती है। ज्ञानरूप खनसे पुण्य और पापरूप पशुको मार | अन्तःपातित-अन्तःपातिन् देखो। योगी परमेश्वरमें चित्तको लय करे। वैसा करनेसे अन्तःपातिन् (सं० त्रि०) अन्तर्मध्ये पतति प्रविशति, ही वह मांसाशी कहाता है। कहनेका मतलब यह, ७-तत्। मध्यमें प्रविष्ट, अन्तर्गत, डाला गया, घुसा कि अन्तर्यजनमें इसीका नाम मांसभक्षण रखते हैं। हुवा, जो शामिल हो। (स्त्री०) अन्तःपातिनी। मनसे इन्द्रियगणको संयतकर आत्मा लगानेसे योगी अन्तःपात्य (सं० पु०) अन्तमध्ये पत्यते यस्मिन् मत्स्याशी बनता है। इस यज्ञमें इसीतरह विस्तर देश, पत-णिच्-आधार यत् । १ फेंका जानेवाला प्रकरण लिखा गया है। देश, जिस देशमें कोई चीज़ फेंक दी जाये। (अव्य०) 'अन्त:पट (स० पु.) वस्त्रविशेष, जो मिलाये जाने २ मध्यमें फेंकके, बीच में डालकर। वाले व्यक्ति के बीच संयोगके समयतक रखा जाये ; जैसे, अन्तःपात्र (सं० क्लो०) पात्रका भौतरी भाग, बरतन वरवधू और गुरुशिष्यके बीच होता है। का अन्दरूनी हिस्सा। अन्तःपद (स. अव्य०) साधे हुए पदके मध्य, अन्तःपाद (सं० अव्य०) छन्दके पादमें, गजलको गरदानी गयो लफ्ज.के बीच । कड़ीपर। अन्तःपदवी (म. स्त्रो०) अन्तर्मध्ये मध्यस्य वा पदवी | अन्तःपाल (सं० पु.) प्रासादके भीतरौ स्थानोंका पन्थाः, ७ वा ६ तत् ; मध्यस्था वा पदवी, मध्यपद रक्षक, जो चौकीदार महलके अन्दरूनी कमरोंको लोपी कर्मधा। सुषुम्ना नाड़ीके मध्यका पथ, जो देख-भाल रखे। राह सुषुम्ना नाडीके बीचसे गयी है। अन्तःपुर (सं० लो०) अन्तमध्यस्थ पुरम्, कर्मधा। अन्तःपरिधान (स'. लो०) भीतरका वस्त्र. जो १ राजकीय प्रासादका भीतरी भाग, सरकारी कपड़ा सबसे नीचे पहनते हैं। महलका अन्दरूनी हिस्सा, ज़नानखाना। २ प्रासादक अन्तःपरिधि (सं. अव्य.) मण्डलके मध्य, भौतरी भागमें रहनेवाला व्यक्ति, जा शख्स महलके धेरैके बीच। जनानखाने में रहे। (स्त्री.) अन्तःपुरी। अन्तःपशव्य, (स. त्रि.) पसलीके बीचवाला, जो | अन्तःपुरचर (सं० पु.) अन्तःपुरे चरति राजाज्ञया • पसलियोंके बीच में हो। गच्छति ; चरट्-अच्, ७-तत् । राजाका अन्तःपुर-