पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५३७

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५३० अन्तगमन-अन्तरङ्ग रोक। अन्तर अन्तगमन (स क्लो०) १ किसी पदार्थक शेषका १४ मध्य, बीच। १५ विरल, अनोखा। जाना, समाप्ति। २ शेषके प्रति प्रस्थान, मृत्यु, मौत। १६ सदृश, बराबर। (त्रि.) १७ आसन्न, निकटस्थ, अन्तगामिन्–अन्तगति देखो। नजदीक। १८ अन्तर्गत, शामिल । १८ अपसारित, अन्तचर (सं० त्रि.) अन्ते शेष चरति, अन्त-चर-ट निकाला हुवा। अधिकरण। शेषगामी, अखौरतक पहुचनेवाला, 'अन्तरमवकाशावधि परिधानान्तद्धि भेदतादथ्य । जो हदतक जाये। छिद्रात्मीय विनावहिरवसर मध्ये ऽन्तरात्मनि।' (अमर) अन्तज (सं० त्रि०) अन्तमें उत्पन्न, जो अखोरमें अवकाशे यथा-"भअवदि वसुन्धर देहि मे अन्तरम् ।” (शकुन्तला) पैदा हुवा हो। है पृथिवी हमें अवकाश दीजिये। मध्ये यथा- अन्तजाति-अन्त्यजाति देखी। "तदन्तरे सा विरराज धेनुः ।" (रघु० २।२०) उनके मध्य वह अन्ततस् (स'• अव्य०) अन्त-तसिल । १ अन्तसे, गाय शोभ रही थी। विशेषे यथा-"क्रियान्तरमन्तराय- अखोरसे, बातपर। २ अन्तमें, अखौरको, सबसे पोछ । मन्तरेण।” (मुद्राराक्षस ) विघ्नकर कार्य-विशेष न होनेसे । ३ निम्न पथमें, सबसे नौचो राहपर। ४ भागमें, विरले यथा-"ततान्तरं सान्तरवारिशोकरः।" (भारवि ४२०) हिस्म से। ५ अन्दर, भीतर। स्थलविशेषमें यह शब्द विरल जलकण द्वारा व्याप्त मध्यभाग। छिद्र यथा- अपेक्षा, सम्भावना, अवयव, शासन, उत्प्रेक्षा यह "आलोलपादपलतान्तरनिर्गतानाम् ।" (भारवि ५।३१) सकल अर्थ बताता है। चञ्चल तरुशाखाके रन्ध मध्य निर्गतीका। व्यवधाने अन्तदीपक (सं० लो०) वाक्पटुताका अङ्गविशेष, यथा,-"अनोकहान्तरे।” (भारवि १४।७० ) वृक्षको आडमें। सनत कलामका काई नक्श। भेदे यथा-"शरीरस्यगुणानाञ्च दूरमत्यन्तमन्तरम्।” (हितोप०) अन्तपाल (सं० पु०) अन्तं हाररूपसीमानं पालयति शरोर और गुणोंका भेद बहुत बड़ा है पालति वा, अन्त-पाल-चु० पचादि अच् । हारपाल, शब्दका कहीं अन्य अर्थ भी आता है। यथा- हाररक्षक, दरबान्। “अन्यो राजा राजान्तरम् ।” (सिद्धान्तको०) अन्य राजा। फिर अन्तभव (सं० त्रि०) अन्तमें उपस्थित, अन्तिम, "वनान्तरादुपाहते।” (रघु ०४६) अन्य वनसे आगत । अखौरमें रहनेवाला, आखिरी। वहिरर्थे यथा-'अन्तरे अन्तरा रहाः वाद्य इत्यर्थः ।' (सिद्धान्तको०) अन्तभाज् (सं० त्रि०) किसो शब्दके अन्तमें उपस्थित, बाहरका घर। परिधानवस्त्र अर्थे यथा- जो लफ्जके अखोरमें खड़ा रहे। "अन्तरे अन्तरा वा शाटकाः परिधानौया इत्यर्थ ।" (सिद्धान्तकौ०) अन्तम (सं० त्रि०) अन्तिक-तमप्। अत्यन्त निकटस्थ, पहननेको धोती या साड़ी। सदृशे यथा- सबसे पासवाला, जो निहायत नज़दीक हो। "स्थानेऽन्तरतमः ।” पा १॥१॥५०॥ आदेशको प्राप्ति होनेसे अन्तर् (सं० अव्य) अम-अरन् तुडागमश्च । १ मध्य, किसी वर्णादिके स्थानमें उसके सदृश वर्णका ही बीचमें। २ प्रान्तमें, भीतर। ३ आदेश आता है। गणितशास्त्र में व्यवकलित अङ्ग "अन्तमध्ये तथा प्रान्ते स्वीकार पि दृश्यते।” (विश्व) या बाकीको अन्तर कहते हैं। अन्तर (सं० लो०) अन्तं कार्यशेषं सीमानं वा राति अन्तरंश, अन्तरांश (सं० पु०) वक्षःस्थल, सोना, ददाति, अन्त-रा-क। १ अवकाश, फुरसत । २ अवधि, मुद्दत ।३ परिधान वस्त्र, पहननेका कपड़ा। ४ अन्तर्वान, | अन्तरग्नि (सं० पु०) अन्तरुदरमध्यस्थितोऽग्नि, कर्मधाः । छिपाव। ५ भेद, फर्क । ६ परमात्मा। ७.परस्पर जठरानल, जो आग पेटमें खाना हजम करती है। वैलक्षण्य रूप । ८ विशेष, खास । ८ तादर्थ्य, निमित्तार्थ, (अव्य०) अग्नरन्तमध्ये, अव्ययौ । अग्निके मध्य, मतलक्की बात। १० छिद्र, छेद । ११ आत्मीय, आतिशके दरमियान, आगके बीच । अपना आदमी। १२ वहिस्, बाहर। १३ व्यवधान, | अन्तरङ्ग (स० वि०) अन्तर हृद्गतं मच्छति - छाती।