पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५४६

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अन्तर्मुद्र-अन्तमि ५३६ ख्याल । असली। दशपवाम्बु जे नाभी डकारादौत्र्यसेद्दश । अन्तर्यामिन् (सं० पु.) अन्तः सर्वान्तःकरणं व्याप्य षट पद्ममध्ये लिङ्गस्थे वकारादीन्यसेच षट ॥ यामयति परिवेष्टते, अन्तर्-यम-णिच्-णिनि ।१ परमे- आधार चतुरो वर्णान् न्यसेत् वादौन चतुर्दले । खर, सबके अन्तःकरणमें व्याप्त । २ वायु। अधधात्म- अक्षौ भ मध्यगे पद्मे हितले विन्यसेत् प्रिये ॥ (तन्त्रसार) वायु सकलके देहमधा रहता है। (त्रि.) सोलह दलयुक्त कण्ठस्थित पद्ममें अकारादि ३ सकलका अन्तर्गत भाववेत्ता, सबका अन्दरूनी हाल सोलह स्वरवर्णका पृथक्-पृथक् नाम ले अङ्गलि रखे। जाननेवाला। हादश दलयुक्त हृत्पद्ममें ककारादि द्वादश वर्णके अन्तर्यामिब्राह्मण ( स० क्लो०) अन्तर्यामिनः परमेश्वरस्य नामसे न्यास करे। नाभिस्थित दशपत्र कमलमें ज्ञापकं ब्राह्मणं मन्वेतरवेदभागः । वृहदारण्यकके डकारादि दश वर्णका नाम ले न्यास करे। लिङ्गमूलस्थ अन्तर्गत ईश्वरनिर्णायक वेदका अंश विशेष । षद्दल पद्ममें वर्गीय बकारादि छः वर्णका नाम अन्तर्योग (सं० पु.) गम्भीर विचार, गहरा ले विन्यास करे। मूलाधारस्थित चतुर्दल पद्ममें अन्तःस्थ वकारादि चार वर्णका न्यास लिखा है, पौछ | अन्तलम्ब (स० त्रि०) १ सरलकोणविशिष्ट, सीधे- भ्रमधास्थित हिदलपद्ममें ह और क्ष इन वर्णके कोनेवाला। (पु०) २ जिस त्रिकोणमें लम्ब भीतर हो नाम ले न्यास करे। पड़े, सौधे ज़ावियेका मुसल्लस । अन्तर्मुद्र ( स० वि० ) १ भीतर मुद्राशित, जिसके अन्तर्लीन (सं० त्रि०) प्रकृत, कुदरती, वास्तविक, अन्दर मुहर लगी हो। (पु.) २ योगविशेष, एक तरहको परस्तिश। अन्तलीम (सं० त्रि०) अन्तः अन्तर्गतानि आच्छा- अन्तमंत (सं० पु०-स्त्री.) अन्तर्जरायौ मृतः, दितानि लोमान्यस्य, अवन्त बहुव्री०। आच्छादित ७-तत्। गर्भके भीतर मृत बालक-बालिका, जो लोम, जिसका लोम देख न पड़े, ढके बालोवाला, लड़का-लड़को पेटमें ही मर जाये। प्रसव शब्दमें देखिये जिसका बाल नजर न आये। गर्भके भीतर सन्तान मर जानेपर क्या उपाय करना आवश्यक है। अन्तर्वेश (सं० पु०) अन्तःपुर, ज.नानखाना। अन्तर्य (सं० त्रि.) अन्तर्मधा भवः दिगां य। अन्तवंशिक (सं० पु०) अन्तर्वशे अन्तर्वेशानां राज्ञा- मधाभव, मधप्रजात, दरमियान्का पैदा, जो बीचसे मन्तःपुरस्थ कुलस्त्रीणां रक्षण नियुक्तः ; नियुक्तार्थे ठक्, निकला हो। संज्ञापूर्वक विधेरनित्यत्वानवृद्धिः। राजाका अन्तः- अन्तर्यजन (सं० लो०) अत्तर्मनसा तन्त्रोक्त कल्पि पुरस्थ स्त्रीरक्षक पुरुष, बादशाहके ज.नानखानका तोपचारयंजनम्। मन-मन कल्पित उपचार हारा मुहाफिज. । 'अन्तःपुर त्वधिवतः स्यादन्तर्वशिको जनः ।' ( अमर ) देवताका आराधन । अन्तःपूजा देखो। अन्तर्वण (स अव्य०) वनस्य अन्तर्मधेा, णत्वं अन्तर्याग (स० पु. ) अन्तर्मनसा यागः, ३-तत् । अव्ययी । वनके मधामें, जङ्गलके बीच । मन-मन-कल्पित उपकरण द्वारा पूजा-होम-रूप आरा- अन्तर्वत् (स• त्रि०) भीतरौ, अन्दरूनौ। इसका विवरण अन्तःपूजा शब्दमें देखो। अन्तर्वती, अन्तर्वबी देखो। अन्तर्याम (सं० पु०) अन्तर्यामः संयमो यस्मात् । अन्तर्वत्नी (सं• त्रि.) अन्तरस्त्यस्यां गर्भ: १ ग्रहरूप याम नामक यज्ञका पात्र-विशेष । अन्त मतुप् मस्य वः णुक् आगमः ङोप। १ गर्भिणी स्त्री, मंधा यामः प्रहरः, कर्मधा । २मधास्थ प्रहर। जो औरत हामिला हो। (त्रि..) २मधास्थित 'छौ यामप्रहरौ समौ ।' (अमर). पदार्थविशिष्ट, बीचवाली चीज से मिला हुवा। (अव्य०) यामस्य प्रहरस्य अन्तर्मधा, अव्ययौ । अन्तर्वमि (सं. स्त्री०) अन्तः कण्ठमधागतैव वमिः, ३ प्रहरके मधा, पहरके दरमियान् । कर्मधा । १ उद्गार, मिचलाई । २ हिक्का, हिचकी। । धन। "Os 1 !