पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६८८

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। अफरीका होनेसे गर्मीका जोर कम लगता है। अधिकतर उत्तर या कहवा जङ्गली तौरपर उपजता है। दक्षिण-अफरीकामें दक्षिण जल-वायु समान रहता है। उत्तरमै कुछ गर्मी सिवा नौची घाटी और समुद्रतट प्रान्तके दूसरी ज्यादा पड़ती और दक्षिणमें थोड़ा जाड़ा जोरसे होता जगह जङ्गल नही लगता। है। दृष्टिके परिमाणसे जलवायु अधिक बदलता है। हिरण, जिराफ़ा, गधा, जेबरा, भैंसा, जङ्गली गधा, सहारके मैदान और कलहारी प्रान्तमें पानी बहुत चार तरहका गैंडा, शेर और चौता खुले मैदानमें कम बरसता है। भीतरी रेखा-प्रान्तमें अधिक वृष्टि रहता है। भाल अटलास प्रान्त और पशु, पक्षी होती है। गोनीकी खाड़ी और उपर नोलनदके ओर लोमड़ी, भेड़िया उत्तर-अफरीकामें मिलेगा। अच्छा पानी बरसता है। कमरून पहाड़से पश्चिम जो हाथी मैदान और जङ्गल दोनो जगह होता है। समुद्रतट भूमिका टुकड़ा है, उसपर वर्षमें कोई ३८० लङ्कर अफरौका-जैसा कहीं देखनेमें नहीं आता। एक इच्च पानी पड़ता है। भूमध्यरेखा-प्रान्तमें दो बार और कुब्भेका ऊंट सिर्फ उत्तरके जङ्गलों में हो पाया जाता दूसरी जगह एक बार वृष्टि होती है। सभी पहाड़ों है। ओकोपी अफरीकाका विशेष पशु है और पर बर्फ गिरता है। सहारके पासवाले देशमें रेत उड़ कोङ्गोके घने जङ्गलमें मिलता है। उड़कर जमा होता है। दक्षिणमें कलहारीसे भी ऐसौ उष्ण प्रान्तको नदीमें दरयायो घोड़े और कुम्भीर ही सूखी हवा चलती है। उत्तर-सागरतटपर बराबर बहुत होते हैं। दरयायो घोड़ा सिवा अफरीकाके भारतीय महासागरका बरसाती वायु अपना प्रभाव दूसरी जगह नहीं मिलता। अब यहां शिकार कम देखाता, और दक्षिण-पूर्व कभी-कभी तूफान आता है। पड़ गया है। सन् १८०० ई०के मई मास अन्तर्जातीय दक्षिण और सहारेका जलवायु अच्छा, किन्तु सन्धिके अनुसार वन्य पशुको रक्षा का प्रबन्ध किया उष्ण प्रदेशका खराब है। नीचे और तट प्रदेशों में गया था। दक्षिण अफरौका, ब्रटिश मध्य अफ्रीका, मलेरिया बुखारका बड़ा ज़ोर रहता है। अंचे ब्रटिश पूर्व अफ़रोका, सोमालौदेश प्रभृतिमें आखेट टोलोंका जलवायु अधिक स्वास्थासम्पन्न है। सन् सुरक्षित रखते हैं। १८६८ ई० में जबसे जहरीले मच्छर मारनेको तककीब शुतुरमुर्ग ( उष्ट्रपक्षी ) अफ़रीकाका असलौ पक्षी निकली और दलदल बन्द करा दिये गये, तबसे वहां है। यह जङ्गल और ढालू पहाड़पर मिलेगा का जलवायु बहुत सुधर गया है। इस महादेशक यहांको चिड़ियोंकेपर बहुत ही चमकीले होते हैं। निवासी भी गर्मीकी बीमारीसे ज्यादा मरते ; निद्रा दंशक जीवोंमें गुहेरा बहुत देखते हैं। ज़हरीले सांप भी रोग कितनों हीको विनाश करता है। सन् १८८३ पाये जाते, किन्तु उनका आधिक्य नही। बिच्छू बहुत और १८०७ ई०के बीच इस रोगने बड़ा उपद्रव मचाया हैं। अफरीकामें हज़ारो तरहके कीड़े-मकोड़े होते हैं। था। शीतप्रधान देश में जानेसे यहांके निवासियोंकी किन्तु टिड्डी और दीमक देशके नाकों दम लाती छाती दर्द करने लगती है। हबशियोंको शीतला रोग है। यहांका ज़हरीला मच्छर काटते हो पालू जान- ज्यादा सताता है। वर मर सकता है। खुशीको बात है, कि यह मच्छर अफ.काके वृक्षलतादि कई तरहके होते हैं। अफरीकाके बाहर कहों नही होता । भूमध्यसागर किनारेके देशमें नारङ्गी, शाहबलूत, सदा- देखने-भालने में अफरीकाको आकृति भारतसे बहार, ओक, काग, सनौवर, शमशाद, मिलती है। पूर्व और पश्चिम दोनो ओर चमकीली उहिद मेहदी और दूसरे सुगन्धित वृक्ष उपजते हैं। चट्टानोंका समुद्रतटके समानान्तर प्रान्त भौतरौ ऊंचे सहारमें छोहाराखूब फलता और अर्धमरु भूमिमें मैदानमें गोट लगाता है। दक्षिण और उत्तर भूतत्त्व बबूल भर जाता है। पहाड़ोंके उतारपर भी जङ्गल अफरीकामें भी पहाड़ उभरे थे। किन्तु मिलता हैं। लिबेरिया और दक्षिण अबसौनीयामें उससे भोतरी मैदानपर कोई प्रभाव न पड़ा। पश्चिम 1