पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६८९

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मानवतत्त्व वह अपनी अफरौका ६८३ और पूर्व अफरौकामें कितनी ही पुरानो चटाने पडौ | जगह लीबीयनों और सेमाइटोंको ही प्रकृति अधिक हैं। नहीं कह सकते, इनका संगठन कब हुवा था। पाते हैं। अबसौनीयों में से मिटो-हमाइट और सोमाली गण्डवानेकी तरह अफरीकाके अन्तर्भागमें बड़ी-बड़ी एवं गल्ला देशमें हमाइट रहते हैं। अलजीरिया झीलें भरी हैं। किसी समय यहां आग्नेयगिरिने और मोरक्कोमें लोबोय मिलते हैं। यह अरब-संस्रवसे बड़ा उत्पात मचाया था। गोरे होते हैं। उत्तर-पूर्व भूरे चमड़ेके हमाइट अफरीकाको जाति, उसके विभाग, सञ्चलन और और सेमाइट विभिन्न रूपसे मिश्रित होते हैं। जङ्गल ज्ञानको आलोचना करने में तीन बातोंका ध्यान रखना और मैदानमें रहनेवाले हबशी दो दलोंमें विभता चाहिये। इनमें पहला भीतरी प्रान्तपर प्रकत अव हैं,-असली हबशी और बन्तू । कमरून (रावोडल रोधका अभाव है। इससे लोगोंके मिलने-जुलने, २)से उबङ्गो नदी पारकर इतूरी एवं सेमलको शिक्षा फैलने और यहांसे उठ वहां जा बसनेमें सुभीता नदीके बीच होते हुयो जो रेखा अलबर्ट झोल और रहता है। जातिभेद तो ज्यादा नहीं देखते, किन्तु समुद्रतटको गयो, उससे उत्तर हबशी (नीग्रो) और स्थान परिवर्तनशील लोगोंका आधिक्य दक्षिण बन्तू बसते हैं । हबशियोंको बोलीमें बड़ा हेर- अत्यन्त पाया जाता है। दूसरी बात यह, फेर रहता है। किन्तु बन्तू लोग एक ही भाषा कि अफरीकाको जातिका कोई लिखा हुवा इतिहास बोलते हैं। बन्तू सूरत-शकलमें एक-दूसरेसे नहीं नहीं मिलता। लोगोंके आने-जाने और लिखने मिलते। उगण्डेसे गाबनतक भूमध्यरेखाके जङ्गलोंमें पढ़नेका हाल अन्दाज़से ही लगाया करते हैं। बौनौ पिगमी जाति रहती है। यह डेरा डाल कहों न हबशीको आजका बच्चा हो समझिये । ठहरें, जङ्गल-जङ्गल घूम शिकार खेलते हैं। इनका रङ्ग जातिका या अपना बहुत ही कम स्मरण रखता है। काला-भूरा, नाक बहुत चौड़ी और कद छोटा-मजबूत तीसरे जो बातें इस विषयमें कही जाती हैं, वह रहता है। उत्तर ट्रान्सवालके ढालू प्रान्तमें बालपेन समाचार-शून्य होनेसे सन्तोषप्रद नहीं ठहरतों। बसते, जिनका कद छोटा निकलता है। इनके विषयमें युरोपीयों, एशियायियों, चीनावों और भारतीयों कुछ मालूम नहीं। लोग इन्हें बहुत काला बताते हैं। को छोड़ अफ.रोकामें जङ्गली, हबशो, पूर्वीय हेमाइट, यह ज़मीन्के गड्ढों और चटानोंके नीचे ठहरते हैं। लौबीय और सेमाइट लोग रहते हैं। इनके मेलसे जङ्गली जिलोंके लोग ज्यादातर खेती करते हैं। कितने ही वर्णसङ्कर भो पैदा हुये। जङ्गली कुछ किन्तु पिगमी शिकार मारकर ही अपना काम पोले-भूरे रङ्गके होते और घूम-घूमकर शिकार मारते चलाते हैं। पूर्वीय उच्चभूमि, उत्तर और दक्षिणको फिरते हैं। हटेनटट और बन्तू जातिने अगले ढालू जगह और चरागाहमें भी खेती की जाती है। समय इन्हें धौर-धोरे कलहारोके मरुस्थानमें खदेर जमैन दक्षिण-पश्चिम-अफरीकाके प्रोबा हेरेरो खेती दिया था। किन्तु इस बातके चिह्न देख पड़ते, कि नहीं करते, गड़रियेकी तरह जङ्गलमें घूमते फिरते यह टङ्गनयिका झील तक फैले रहे। हटेन्टट | हैं। किन्तु मध्य और दक्षिण अफ,रौकाको अधिक भी इनसे मिलते-जुलते हैं। वह दरमियानो कदके भमिमें गड़रियेका जीवन ज.हरौले मच्छरके कारण होते और उनका रङ्ग पौला-भूरा रहता है। कार्यतः नहीं निभता। उत्तरप्रान्तमें जहरीला मच्छर न अफरीकाका बाको भाग सहारेके दक्षिण किनारे होनेसे जानवरोंके रखने में सुभीता.पड़ता है। और नाइलको उपर उपत्यकासे अबोसोनिया, गलला अफरीकाके पूर्व बाहरी लोगोंने भूमि और जल- अरबोंने और सोमालौ-राज्य छोड़, अन्तरोपतक हबशियों और मार्गसे पहुंच खूब सभ्यता फैलायो थौ। वर्णसङ्करोंसे बसा है। पश्चिम सोदानके फूलावों और यहां गुलामोको जबरन चाल निकाल विकोरिया नियजाके बाहीमावीमें हबशी प्रकृतिको देशको उजाड़ दिया। उत्तर और पश्चिम । सम्वता