पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७३९

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०३२ अब्द विलायती सन्। अमली सन्। प्रचलित सौर माससे समता रखनेके लिये चान्द्र यह वर्ष सौर है, किन्तु मास मुहर्रम इत्यादि चान्द्रमान हिजरी सन्को सौर बगला सन्में परिणत कर दिया। नामसे भी माना जाता है। हिन्दुस्थानमें प्रायः सर्वत्र सन् ८०३ हिजरी या १४८७ ईस्खौमें सुलतान हुसेन पूर्णिमान्त मासपर आश्विन कृष्ण प्रतिपदसे फसली शाहका राज्यारम्भ हुआ था। उसी समय या उसके वर्ष आरम्भ होता है कुछ दिन बाद बंगला सन्का आरम्भ माना गया। बंगला फ़सलौ सन्में ५१४-१५ वर्ष और दक्षिणी फ़सली सन्में ५१२ १३ वर्ष जोड़ देनेसे ईस्वी सन् हो बङ्गाल और प्रधानतः उड़ीसामें यह सन् प्रचलित जाता है। उल्लिखित वङ्गाब्द, विलायती, अमली है। इसका वर्ष सौर होता, परन्तु मास चान्द्र नामसे और फसली सब सनोंका मूल एक ही है, केवल गिना जाता है। कन्यासंक्रान्तिके दिनसे वर्ष प्रारम्भ आरम्भमें गणनाके प्रभेदसे भिन्न हो गये हैं। होता है। संक्रान्तिके दूसरे वा तीसरे दिनसे बङ्गला इलाही सन् या अकबरी सन् । सन्के मासका प्रारम्भ, परन्तु बिलायती सन्का सन् ८६३ हिजरी रब-उस्मानी महीनेको २रो मासारम्भ संक्रान्तिके दिन ही होगा। विलायतौ तारीख शुक्रवार (सन् १५५६ ईस्खौको १४वौं फरवरी) सन्में ५८२-३ जोड़ देनेसे ईखो सन् हो जाता है। को अकबर सिंहासनपर बैठे थे। उसके ३० अङ्कसे सन् ८८२ हिजरी ( १५८४ ईस्वी )में उन्होंने 'तारीख- यह सन् उत्कल (उड़ीसा)में प्रचलित है। वहां अद्भुत इलाहौं' या महाब्द प्रचलित किया। अबुल फजलने प्रवाद है, कि इन्द्रद्युम्न राजाको जन्मतिथि भाद्र लिखा है, कि उस कालको कई तारीखोंका गड़बड़ पद हादशौसे अमली सन् चला; विलायती और मिटानेके लिये ही यह अब्द चलाया गया था। इस अमली सन्के वर्षारम्भमें प्रभेद नहीं है। सन्की गणना सौर (सावन )के हिसाबसे होगी। इलाही सन्में १५८३-८४ जोड़ देनेसे सन् ईस्वी सन् ८६२ हिज में (१५५६ ईस्खौमें ) अकबरने हो जाता है। साम्राजा लाभ किया था। उनके अभिषेक-दिनसे परगणाति सन्। उत्तरपश्चिमाञ्चलमें एवं तदनन्तर शाहजहांके समय मुसलमानोंके समय यह सन् पूर्ववङ्गमें प्रचलित (१६३६ ईस्खौमें) दाक्षिणात्यमें फसली सन् आरम्भ था। ढाका, नोयाखाली और त्रिपुरा प्रभृति जिलाओं- हुआ। साधारण प्रजा फसल तैयार हो जानेपर के प्राचीन कागज़ोंमें इस सन्का उल्लेख पाया जाता मालगुज़ारी देते रहो। हिजरी चान्द्रमानमें बड़ा है। सन् ११८८ ई० में लक्ष्मणसेनका गौड़-अधिकार गड़बड़ पड़ता, इसीसे सबको सुविधाको सौर वर्ष के छूट गया था। इधर देखते, कि सन् १२००ई०से हिसाबपर फसली सन् प्रचलित हुआ था। सन् इस अब्दका प्रथम अङ्क आरम्भ हुआ है। इससे २५६ हिजरीको दाक्षिणात्यमें फसलो सन प्रचलित समझ पड़ता है, कि लक्ष्मणसेनके 'राज्यातीताब्द' पर हुआ, इसीसे उत्तर-भारतको अपेक्षा दक्षिण-भारतमें हो प्रथम विक्रमपुर परगने में 'अतीताब्द' और पौछ अङ्क अधिक आता है। मन्द्राज प्रदेशमें कक मुसलमानो सन् चलनेसे यह परगणाति सन्के नामसे मासको प्रथम तिथिसे फसलो सन्का आरम्भ गिना पुकारा गया। जाता था, परन्तु सन् १८५५ ईस्खीमें अंगरेज- विपुरी सन् या विपुराब्द। गवर्नमेण्टने कामके सुभौतेको १लौ जुलाईसे वर्षारम्भ पार्वत्य खाधीन त्रिपुरामें यह अब्द प्रचलित है। स्थिर कर दिया। बम्बई प्रदेशमें कहीं-कहीं सूर्य जिस त्रिपुरामें प्रवाद है, कि वहां किसी राजाने दिन मृगनक्षत्रमें जाते (अर्थात् ५वीं, ६ठी, या ७वीं दिग्विजय-उपलक्षमें गङ्गाके पश्चिम तटपर जयपताका जनको), उसी दिनसे फसलो वर्ष प्रारम्भ होता है। उड़ाकर इस अब्दको प्रवर्तित किया था। त्रिपुराब्द फसलौ सन्।