पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७५९

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७५२ अभिचारक-अभिजित् ५ उच्चाटन-तन्त्रके मतसे कृष्णपक्षको चतुर्दशी भूता छाया यस्य, बहुव्री। २ जिसके सम्मुख छाया वा अष्टमीको जब शनिवार पड़ता, तब यह क्रिया आये, जिसके सामने साया दौड़े। (अव्य०) छायाया की जाती है। इस अभिचारक्रियाको देवता दुर्गा अभिमुखम्, अव्ययो । ३ छायाभिमुख्य, छायाकी हैं। बालका धागा बनाकर घोड़ेके दांतकी माला सम्मुख रखकर, छायाको दिक्, सायेमें, छांहको ओर। पिरोते हैं। फिर दुर्गाको पूजा आदि करके जिसके | अभिज (सं० त्रि०) चतुर्दिक् उत्पत्र, जो चारी ओर नामसे यह माला जपोगे, शीघ्र ही उसका मन उच्चाट पैदा हुआ हो। हो जायगा। अभिजन (सं० पु.) अभिजायते अस्मिन्, अभि जन ६ वशीकरण-तान्त्रिक लोग स्त्री प्रभृतिका वशी अधिकरणे घञ् न वृद्धिः। अभिजनश्च । पा ४।३२६० । १ कुल, भूत करनेके लिये नानाप्रकार औषध प्रयोग करते खान्दान, जात। अभिमती जनः प्राधान्यात्, प्रादि- हैं। कोई-कोई स्त्री भी पुरुषको वशीभूत करनेके स०। २ कुलश्रेष्ठ, वंशशिरोमणि, अपने खान्दानका लिये ताम्ब लादिमें औषध खिला देती है। इस बड़ा आदमौ। ३ अभिमत-उत्पत्ति, अच्छी औलाद । कुक्रिया द्वारा कितनी ही बाद विघ्न उठ खड़ा हुआ ४ पूर्वबान्धव, बुजुर्ग। ५ पूर्वबान्धव-सम्बन्धीय देश, हैं। कहते हैं, कि पानके साथ ब्रह्मदण्डी, बच, केऊ, बुजुर्गों का मुल्क । ६ पूर्वपुरुषोंका वासस्थान, बुजुर्गों के प्रियङ्गु और नागकेशर खिला देनेसे स्त्री वशीभूत रहनेको जगह। ७ प्रख्याति, प्रसिद्धि, शोहरत, हो जाती है। खेत अपराजिताकी जड़ और नामवरी। गौरीचन दोनोंको एकसाथ पीस जिसे वशीभूत अभिजनवत् (सं० वि०) उच्च अथवा उत्तम कुलका, करना हो, सौ बार उसका नाम निकाल कपालमें जो शरीफ़ खान्दानसे ताल्लुक रखता हो। -विन्दु वा तिलक लगा लेना चाहिये ; इससे राजा, अभिजनितु (वै० स्त्री०) जन्म लेने या पैदा होनेवाली प्रभु, स्त्री, शत्र, आदि सभी वशीभूत हो जाते हैं। अभिजय (सं० पु०) विजय, जीत, फतेह । अभिचारक (सं०वि०) मारणादि क्रिया करनेवाला, अभिजात (स.त्रि.) अभिमतं जातं जन्म यस्य, जो जादू वगैरह चलाता हो। ( स्त्री०) अभिचारिका। बहुव्रौ । कुलीन, खान्दानो। २ पण्डित, बुध, अक्ल, अभिचारकल्प (सं० पु.) अभिचारस्य साधनं कल्पः, मन्द, पढ़ालिखा। ३ न्याय्य, श्रेष्ठ, काबिल, बड़ा। मध्यपदलोपी ६-तत् । अथर्ववेदके अन्तर्गत ग्रन्थ ४ मनोहर, दिलकश । ५ मधुर, मोठा। 'अभिजातवाचि।' विशेष । इसमें अभिचार क्रियाका विवरण बताया है। ( कुमार ॥४५) (क्लो०) ६ आभिजात्य, कौलौन्य । अभिचारणीय (सं.वि.) मारणादि क्रियो किये| अभिजातता (सं० स्त्री०) कुलीनता, शराफत, पाली- जाने योगा, जिसपर जादू चलाया जाये। खान्दानी। पभिचारिन् (स.वि.) अभिचरति, अभि-चर-णिनि। अभिजाति (सं० स्त्री०) अभि अभिमता जाति अभिचारकर्ता, श्ये नयाग लगानेवाला, जादूगर। जननम्, प्रादिस०। प्रशस्त वंशका जन्म, पाली- (स्त्री०) डोष्, अभिचारिणी। खान्दानको पैदायश । (वि.) अभिमता जातिः जन्म अभिचारित (सं० वि०) मारणादि क्रिया किया हुआ, यस्य, बहुव्री। २ उत्क्वष्टजन्मा, सार्थकजन्मा। जिसपर जादू चल चुके। अभिजिघ्रण (.स. ली.) नाकसे किसीका माथा अभिचारी, अभिचारिन् देखो। सूंघना या कुना। अभिचार्य, अभिचारसोय देखो। अभिजित् (सं० त्रि०) पाभिमुख्येन जयति शव न्। अभिचैद्य-शिशुपालका दूसरा नाम । अभि-जि-क्किए तुगागमः। सम्मुख होकर शत्रु को अभिच्छाय (स: वि.) अभिगतं छायाम् अतिक्रार जीतनेवाला। अभितो जयत्यनेन करणे क्विप्। सब तत् । १ छायाप्राप्त; जिसपर साया पड़े। अभिमुखी- ओर जय करना। अभिजयति जडाक स्थित्वा अप- -