पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७७३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अभिनिवर्तम्-अभिनेतव्य . . अभिनिवर्तम् (सं. व्य.) अभि-नि-वृत-णमुल्। । अभिनिष्टान (सं० पु०) अभि-निस-स्तन्-धज भब्द: वारंवार निवृत्त होकर, फिर-फिर घूमकर । संज्ञायां वा षत्वम् । १ बन्द हो जानेवाला शब्द, अभिनिविष्ट (सं० त्रि.) अभिनिविशति स्म, अभि जो आवाज डुब जाती हो। २ विसनीय, विसगे। नि-विश कतरिक्त । १ अभिनिवेगयुक्त, पहुंचा हुआ। ३ वर्ण, अक्षर, हफ। २ मनोयोगी, दिल लगाये हुआ। ३ आग्रहयुक्त, अभिनिष्यतन (सं० लो०) अभितो निष्यतनम्, अभि- इरादा बांधे हुआ। ४ चिन्तासे व्यग्र, जो फ़िक्रसे | निस् -पत-लुट्। आभिमुख्य निर्गमन, सम्मुख गमन, घबरा गया हो। अभिपतन, निकलपैठ, लपट-झपट, धावा। अभिनिविष्टता (सं. स्त्री०) १ अभिनिवेशयुक्त अभिनिष्पत्ति (सं० स्त्री० ) अभि सम्यग्रूपेण निष्पत्तिः, होनेको स्थिति। २ मनोयोगिता, दिल लगनेकी अभि-निस-पद-तिन्। १ पूर्णता, अन्त, सोमा, हालत। ३ आग्रहयुक्तता, इरादा बांधनेको बात । कमाल, अखौर, हद । २ उत्पत्ति, पैदायश । ४ चिन्ताको व्यग्रता, फिकरमन्दी। अभिनिष्पन्न (स० वि०) अभि-निस -पद क्त । सम्पन्न, अभिनिवेश (सं० पु.) अभितो निवेशः, अभि-नि सिद्ध, खत्म, पूरा किया हुआ, तैयार। विश-घ । १ आसक्ति, लगाव । २ शास्त्रादिका प्रवेश, अभिनिस्तान, अभिनिष्टान देखो। किताब वगैरहको पहुच । ३ निबन्ध,प्रणिधान, इरादा, अभिनिङ्गव (सं० पु०) अखौकार, इनकार । मकसद। ४ योगशास्त्र के मतसे–मरणका भयजनक अभिनीत (स० त्रि०) अभिनौयते स्म, अभि-नी- अज्ञान विशेष, जो नादानी मौतका खौफ दिलाती हो। त। १ न्याय्य, युक्त, काबिल, वाजिब । २ भूषित, अभिनिवेशित (सं० वि०) निक्षिप्त, फेंका हुआ, खूब सजा हुआ। ३ पूजित, परस्तिश किया गया । जो डाल दिया गया हो। ४ क्रोधन, क्रोधी, गुस्सावर, बेसब्र । ५ हस्तादि द्वारा अभिनिवेशिन् (सं० त्रि०) अभिनिवेशते, अभि-नि अनुकरण किया हुआ, जो हाथ वगरहसे नकल विश-णिनि। आसक्तियुक्त, आग्रहविशिष्ट, मनोयोगी, किया गया हो। ६ सम्मुख प्रापित, सामने पहुंचाया फोफता, जिद्दी, दिलदार, मुश्ताक । (स्त्री०) अभि हुआ। ७ कपालु, मेहरबान् । निवेशिनी। अभिनौति (सं० स्त्री.) अभिनीयते अनया, अभि- अभिनिश्चित (वै त्रि०) पूर्ण रूपसे समझ हुआ, नौ-क्तिन्। १ प्रियवाक्यादियुक्त युक्ति, मीठी-मीठी जो अच्छीतरह जान गया हो। २ सम्मख गमन, सामनेको रवानगी। अभिनिष्कारिन् (सं० वि०) अभितो निःशेषण करोति, ३ देहादि द्वारा रूपादिका अनुकरण, जिस्म वगैरहसे अभि-निस -क-णिनि । १ सम्मखमें निःशेष रूपसे कार्य शक्ल वगैरहकी नकल। 8 अभिनय, खेल, तमाशा । कारी, जो सामने कामको पूरे तौरपर करता हो। ५ मित्रता, सभ्यता, कपा, दोस्ती, शायस्तगी, मेहर- (वै०)२ अपकारी, चोट पहुंचानेवाला। बानी। (अव्य.) ६ नोतिके आभिमुख्य, नीतिमें अभिनिष्कृत (स० त्रि०) विरुद्धाचरित, मुकाबले में उद्यत होते, मुन्सिफोके रूबरू, इन्साफसे । किया गया। अभिनीयमान (सं० त्रि.) निकट लाया जानेवाला, अभिनिष्क्रम -(सं० पु.) अभि-निस -क्रम घञ् । जिसे नजदीक ले आयें। १ अभिमुख गमन, सामनेको रवानगी। २ बौद्ध मतमें- अभिनेतव्य (सं• त्रि.) अभिनीयते, अभि-नो-तव्य । संसार-वैराग्य, साधु बनेनेके उद्देश्यसे गृहत्याग। १ देह चेष्टादि द्वारा अनुकरणीय, अभिनय, नकल अभिनिष्क्रमण (सं० क्ली) अभिनिष्क म देखी। करने काबिल। २ सम्मुख प्रापणीय, सामने लाने अभिनिष्क्रान्त (सं० त्रि.) अभि-निस -क्रम कर्तरि काबिल । (क्लो०) भावे तव्य । ३ आवश्यक अभिनय, व दीर्घश्च । निर्गत, निकला हुआ, जो चला गया हो। ज़रूरी तमाशा। बोली।