पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/८०

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अक्षरलिपि तो वह दोनो दोनोको मनोभाववाली अङ्कित रेखायें जूरा या सांप ; किसीमें वृक्ष, लता,गुल्य और नद्यादिके अस्पष्ट आभास और इसके सिवा अधिकांश पत्थरोंमें समझ सकते हैं। अक्षरमालाके चिह्न सदृश E, I, R, (), A, IN, n समयानुसार अनुपस्थित व्यक्तिके पत्र-मर्मज्ञानका अभाव अनुभूत हुआ। किसी स्वतन्त्र प्रथासे साधारणमें प्रभृति अक्षर खोदे हुए दृष्टिगत होते हैं। महामति परस्परके अभिप्राय परस्परके स्मृतिपथ पर समारूढ़ पिकौने उनके बीच नाना प्राच्य देशवासी, फिनिकीय करने के लिये कितने ही सङ्कत (Mnemonics) अनु- साइप्रास देशवासियोंको कई अक्षरमाला और शब्दांश मोदित कर लिये गये। यही वास्तविक अक्षरलिपिको (Syllabaries) और मासदे' आजिलको प्राचीन प्राथमिक अवस्था है। इसौसे ही परवर्ती समय वाली अक्षरलिपिके नौ अक्षरोंका सादृश्य देखा है। अक्षर- लिपिको आंशिक गठन संसाधित हुई थी। मालाको ऐसी अवस्था देख उसे अक्षरमालाका आदि स्मरणातौत कालको मनुष्यप्रकृतिके प्रति दृष्टि या उत्पत्ति निदर्शन बताकर कभी मिद्धान्त नहीं किया डालनेसे पहले हम इस तरह उत्पन्न हुई अर्थव्यञ्जक जाता ; वरं वह प्राचीनकालके किसी भौतिक-चिह्न और मनोभिप्रायज्ञापक दो प्रकारको लिपिका निदर्शन या जाति विशेषके निर्धारित साङ्गेतिक विवरणका देखते हैं। एक तो, कड़े पत्थर या हड्डौके टुकड़ेपर निदर्शन बताकर ही ग्रहण की जा सकती है। कारण खोदा गया दृश्य वस्तुका चित्र और दूसरा अङ्कित आज भी आष्ट्रेलियाको पर्वतगुहाओं और अमेरिका- रेखाका फलित चित्र मात्र है। उसी पौराणिक वासी इण्डियनीके बीच जूए प्रति खेलोंक ऐसे ही युगके मनुष्यसमाजने गुहा आदि खोदकर उनके सम साङ्केतिक चिन्ह प्रचलित हैं। तल गात्रमें हरिण, महिष और उस युगके पश्खादिको प्राचीन भूखण्डके विभिन्न स्थानीको अपेक्षा नवावि जो प्रतिकृतियां उत्कीर्ण कर रखी हैं, वही प्रथमोक्त ष्कृत अमेरिका भूखण्डमं सबसे पुरानी चित्रलिपि श्रेणीकी बताई जाकर गण्य होती और M. Ed. (Picture writing)का आदर्श विद्यमान है। उसने Piette द्वारा आविष्कृत एरिजन नदौकूलके सचित्र मिश्र और चीन देशको चित्रलिपिम अनेकांशमै उत्क Ter (L'Anthropologie, Vol. VII. p. 344 ) र्षता पाई थी, किन्तु मिथ और चीनको तरह अम- द्वितीय श्रेणीके अन्तर्भुक्त हैं । यह चित्रित प्रस्तरफलक रिकाको चित्रलिपि, अक्षर या शब्दव्यञ्जक न निकली। (Marked pebble) Reindeer-युगके अन्तिम और चित्र केवल चित्रित वस्तुओंके ही उद्बोधक रहे। Neolithic युगके प्रथमस्तरवाले मध्यवर्ती कालमें चित्रलिपिको छोड़ अमेरिकावामी मंख्यागणनार्थ अङ्कित हुए बताये जाकर गणना की जाती है। एक प्रकारको छड़ीसे काम लेते थे। उसके माङ्केतिक यह युगीय पत्थर कोई दो फुट चिह्न गिनकर वह युवाभियानका व्याक्षिकाल, युद्ध में और कृष्णवर्ण हैं। इनके मध्यस्थित सच्छिद्र हरिणदन्त मारे गये शत्र ओंको संख्या और इसी तरह के परिच- (मालाके लिये) हैं, विभिन्न जीवदेहास्थि प्रभृतिके बीच यादि व्यक्त कर सकते थे। सिवा इमर्क उनके बीच में में इधर-उधर विक्षिप्त जो चिह्नाङ्कित पत्थरके टुकड़े 'बम्पुम्' नामक मालाका व्यवहार होता था। उसके जड़े देख पड़ते हैं, उनको अक्षरमाला प्रधानत: दो सादे दाने सन्धि या शान्तिस्थापनकै उदबोधक, और श्रेणीमें विभक्त है;-१ संख्याबोधक और श्रेणीबद्ध रङ्गीन दाने युद्धघोषक समझे जाते रहे। सन् १६८२ कितने ही चिह्न और २ सुचित्रित चिह्न (Graphic ई में लेनी लेनपमें सरदारोंन सन्धिस्थापनार्थ विलि- symbols)। यह सहजमें ही खौकार किया जा सकता अम पेन्को विभिन्न वाँकी जो माला दी थी, उसके है, कि इन सब प्रस्तरलिपियोंका अर्थ कुछ ही क्यों न मध्यस्थलमें सन्धिको उद्बोधक दो मनुष्यमूर्तियां पर- हो ; किन्तु यह आकस्मिक सम्भूत नहीं हैं। विशेष स्परमें एक दूसरेका हाथ पकड़े खड़ी थीं। इसी तरह परीक्षा करके देखने से इनमेंसे किसीमें बिच्छू, कनख- मेक्सिको-वासियोंका फांस-चिन्न ध्येय या शान्तिज्ञापक मोटे और लाल