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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१००

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करिया-करिस्कन्ध प्रथम गणपतिके मस्तकपर पड़ी। उसमे मस्तक । करिरत (सं.को करिशों परतिय रतम्, मध्यपद- मल गया था। मस्तक विनष्ट होते देख शनिने सी०। १कामथास्त्रो एक प्रकार रति । अपनी पांख पर फिर परदा डाला। पार्वती भी "भुगस्तमासमनकामना खयमधोमुखी स्त्रियम् । प्रिय पुत्रको मस्तकहीन देख शोकसे घबरा गयौं। कामति खकरटमेने वजमकरितं तदुचते" (शब्दचि.) उसी समय देववाणी हुई थो, 'उत्तरकी पोर गिर गजको रमण, हाथीका भोग। किये एक हाथी सोता है। उसोका मुण्ड गणेशका करिरा (. स्त्री०) इस्तिदन्तका मुल, हायके मस्तक बनेगा। देवगणने अनुसन्धानको निकन दांतकी जड़। देखा था-पन्द्रका हस्ती ऐरावत इसी प्रकार सोता | करिरी, करिरा देखो। है। उस समय अगत्या देवताने उसी करिका मुण्ड करिव (सं० वि०) करिणं वाति हिनस्ति, करि वा-क। काट गणेशके देहमें जोड़ दिया। इसी प्रकार गण करिको मार डालनेवाला, जो हाथोको मौतके मुंहमें पतिका करिमुख बना था। २ गजमुख, हाथीका मुहै। पहुचाता हो। करिया (हिं. पु.) १ कर्ण, पतवार। २ कर्णधार, । करिबर, परिसर देखो। मलाह, नाव चलानेवाला। ३ सप, काना सांप। करिवेजयन्ती (सं. स्त्री०) 'गजपताका, हाथोकी ४ इक्षुरोगविशेष, अखको एक बोमारी। इससे रस निशान या झण्डा। सूखने लगता और पौदा काला पड़ता है। (वि.) करिशावक (सं० यु०) करियां शावकः। इस्ति- ५ कृष्णवर्ण, काला। शिश, हाथोका बच्चा। पांच या दश वर्षवाले बचेको करियाई (हिं. स्त्री०)१ नौलता, स्याही, कालापन । शांवक कहते हैं। इसका संस्कृत पर्याय-कदम, २ कालिखा करम, करिपोत, करिज, विक और विक है। करियाद (#. क्लो• ) अलहस्ती, दरयायो घोड़ा। करिशुण्ड (सं० सी० ) करिणः शुण्डम् । गजश, यह एक दूध पीनेवाला जन्तु है। जाली सूवरमे | हाथोकी सूड। करियाद मिल जाता है। इसका शिर मोटा और करिष्ठ (वै० वि० ) अतिशयेन कर्ता, इछन्। कर्तृ- ' वर्गाकार होता है। यूंथन बहुत बड़ा रहता है। सम, बड़ाकाम करनेवाला। चच एवं कर्ण शुद्रं और शरीर मोटा तथा भारी "मुक सखिभ्य पासुति करिष्ठः।" (चारा ) लगता है। पैर छोटे रहते हैं। पैर चार इंग- करिष्णु (म• मु०) दृष्णुच्। करणशील, करने- लियां होती है। पूंछ छोटी पड़ती है। पेट में दो यन लगते है। खालपर बाल नहीं जमते । यह करिथत् (स० वि०) करने को इच्छुक, करनेवाला। प्रायः अफरीकामें सब जगह रहता है। लम्बाई १७ करिष्यमाण- (म० वि०) करनेको - प्रस्तुत, जो करने फोट पाती है। पानी में रहना इमे बहुत अच्छा जातानी। लगता है। किन्तु भूमिपर घासपात खा यह करिसत (सं० पु.) करिणः सुतः, तत् । हस्ति- अपना जीवन चलाता है। करियाद अनेक प्रकारका शावक, हायोका बच्चा। होता है। करिसुन्दरिका (सं० स्त्री०) करीव सुन्दरी, करि- करियोग (हिं. स्त्री.) १ कलिकारी, कलियारी, | सुन्दरी संज्ञायां कन्-टाए इखवा नागष्ठि । एक-जहर। २ वरन एष्क करनेका यन्त विशेष कपड़ा मुखानेकी करिर (सं० पु० को०) किरति विक्षपति, कृ संज्ञायां एक कर (हारावली) परन्। १ वंशाहर, बाँसका किला । पाजगुख्य, करिस्कम्ब (सं.की.) करिष समूपा, करिन्- एक झाड़। घट, पड़ा। स्कन्भ। गनसमूह धियोवा झर्ष। रिक Vol. IV, 1 " वाता। २लगाम। 26