पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१११

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- उद्दत - कर्क-कर्कट बढ़ते भी पार्वतीय मीना जातिके उत्पातसे इसकी राष्ट्रकूट वंशीय २य कर्क-गुजरातराज ३य इन्द्रक समृद्धि मिट गयो। १५०६ १०को राजा गोपाल पुत्र रहे। उनका अपर नाम सुवर्णवर्ष या। वा दासके शासनकाल इस नगरने पूर्वी पायी थी। गुजरातमें राजत्व चलाते थे। २य ध्रुवराज उनके उसी समय यहां बहु सुरम्य हम्य बने। नगर पुत्र रहे। वरदा और अपर स्थानके ताम्रयासन और प्रायः एक कोस है। इसको चारो ओर बिल्लीरी शिलालेखमें उनका समय ७३४ पौर ७४८ शक पत्यरका प्राचीर खड़ा है। नगरमें घुसनेकी ६ निर्दिष्ट है। उक्त उभय राष्ट्रकूटराज प्रवन्द पराक्रान्त सिंहदार और ११ गुप्तहार हैं। करौलीके मध्य थे। इस वंश एक ३य कर्क भी रहे । उनका पपर गोपालदासके समयका एक सुबहत् राजप्रासाद बना नाम अमोघवर्ष वा वल्लभनरेन्द्र था। पिता श्य है। प्रासादको चारो ओर पत्य ञ्च प्राचीर है। कृष्णराज रहे। समय ८७२-७३ ई. बताया जाता है। सिंहद्वार दो हैं। प्रासादके मध्य राजमहल और कके उपाध्याय-कात्यायनीतसूत्र पौर पारस्कर या दीवान-पाम नामक ग्रह देखने योग्य है। इन सूत्रके भाष्यकार। सायणाचार्यसे पहले यह विद्य- दोनों ग्रहों का चित्र विचित्र कारकार्य और शिल्प मान रहे। सायपने अपने वेदभाष्य में कक्षा मत नेपुण्य देखने से निर्माणकारियोंकी यथेष्ट प्रशंसा करना किया है। पड़ती है। यहां शिकारगच्न, शिकारमहल पौर कर्कखण्ड (सं० पु०) कर्कः खण्डः भूमिभागो यत्र, आममहत नामक तीन मनोरम उद्यान बने है। वहुव्री० । जनपदविशेष, एक मुल्का । (भारत, बन २५३-०४) कर्क (सं० पु०) क-क । कदाधाराचिंकलिभाः कः। उप ४० । | कर्क चिमिटिका, वर्कचिमिटी देखो। १ खेत अश्व, सफेद घोड़ा। २ कुलीर, केकड़ा। कर्कचिभिटी (सं० स्त्री०) कर्कवर्णा शक्का चिभिटी, इसका शरीर वल्कलसदृश शङ्खास्थिसे आच्छादित | मध्यपदलो०। १ चिमिटी, छोटी ककड़ी। २ कटी रहता है। पाद दश होते हैं। उनमें पगला जोड़ा भेद, किसी किस्मको ककड़ी। चुङ्गल बन जाता है। ३ दर्पण, पायोना। ४ घट, कर्कट (सं० पु०) कर्क भटन्। १ चविशेष,. घड़ा। ५ कर्कट राशि। पुनर्वसुके अन्तिम चरण, एक पेड़। इसका संस्कृत पर्याय-कक, मुद्रधात्री, पुष्या और अश्लेषा नक्षत्रपर यह राशि रहता है। क्षुद्रामनक और कर्कफल है। फच छोटे पांवले के ६ अग्नि, आग। ७ तिल। ८ सौन्दर्य, खूबसूरती। वराबर होता है। यह रुच्य, कषाय, प्रतिदीपन, टकण्टक, कांटा। १० कर्कटवृक्ष, ककड़ासोंगी। कफपित्तकर, ग्राही, चक्षुष्य, लघु और गोतन है। ११ कङ्कर, किसी किसाका पत्थर। १२वदरी वृक्ष, (राननिघण्ट) २ जलजन्तुविशेष, केकड़ा। इसका वरवा पेड़, वैरी। १३ विखवच, वेलका पेड़ । संस्कृत पर्याय-कर्कटक, कुलीर, कुचौरक, संदंशक, १४. गन्धक । १५ काक, कौवा। १६ कश्पक्षी, पछवास और तिर्यकगामी है। इसको बंगला में एक चिड़िया। १७ मानभेद, एक तौल। .१८ वृक्ष कांकड़ा, मराठी, दरजाका केकड़ा, तामिसमें कहल- विशेष, एक पेड़ । १८ कात्यायनयौतसूत्रके एवा नांदु, तेलगुमें समुद्रपु, मञ्चय, कपितिक, फारसी- भाष्यकार। (वि.)२० शुभवणं, सफेद । २१येष्ठ, में - पञ्जपा, परबीमें खिरचित लांटिनमें कानसर (Cancer) और अंगरेजी में क्राय (Crab) कहते बड़ा। २२ उत्तम, अच्छा। कर्क-राष्ट्रकूटाधिपति गोविन्दराजके पुत्र। खोदित हैं। युरोपीय प्राणितत्वविदोंने कर्कट जातिको दृढ़ा- शिलालेखके अनुसार यही प्रथम कर्क रहे। इनके वरणविशिष्ट दधयादी जीवोसो (Crustaceans of the order Decapoda )के मध माना है। दो पुत्र थे-इन्द्ररान और कृष्णराज। कके मरने- इसके वालसनिःसत पांच जोड़े प्रत्यक्षं होते पर राष्ट्रकूटराज्य दो भागमें बंट गया। ६८५ ई.को कर्क राज्य करते थे। राष्ट्रकूट देखो। हैं। इसीसे फारसीमें इसे 'पापा' अर्थात् परपद