१४४ कर्तरीय-कतीभना लग्न कर अर्थात् प्रथम, ढतीय, पञ्चम, सप्तम, नवम उत्साही और सिद्धि तथा असिदिमें निर्विकार रहने- और एकादश राशिके मध्य पानसे कतरी योग होता वाला पुरुष सालिक कर्ता है। रागी, कर्मफला- है। यह रोग कन्याको मार डालता है। काङ क्षी, लुब्ध, हिंस, प्रशुचि और हर्षशोकादियुक्त कर्तरीय (सं० पु.) वृक्षविशेष, एक पेड़। इस बक्षका पुरुष राजस कर्ता कहाता है। फिर प्रामज्ञानके नाम वस्कल, सार और निर्यास विषमय होता है। रत्वक् निमेष्ट, शठ, प्रतारक, अलस, विषभोजी, दीर्घसूत्री सार-निर्यास-विषमेद, छाल होर और दूधका जहर। और स्तमप्रकति पुरुषको तामस कर्ता कहते हैं। "मनपाचककर्तरीयसीरीयककरघाटकरम्भनन्दनवराटकानि सप्त बक् ३ प्रमु, मालिक । ४ अध्यक्ष, अफसर । ५ महादेव । सारनियांविधायि।" (सश्रुत) "नोधहा क्रोधात् कर्ता विववाहुमहीधरः।" (मारत १२१७३७) कर्तरीयुग (स'• लो०) सिन्धुवारहय, संभालका जोड़ा। ६ व्याकरणका एक कारक, फायल। क्रियाके कर्तव्य (सं० त्रि०) कर्तुं योग्यम, क योग्याद्यथें करनेवालेको कता कहते हैं। यह हिन्दी भाषा तथा तव्यः । १ करने के उपयुत्ता, किये जाने लायक । संस्क तादिमें सर्व प्रथम कारक माना गया है। इसका "हौनसेवा न कर्तव्या कर्तव्यो महदाययः" (हितोपदेश) चिह्न न है। जैसे-रामने रावणको मारा। यहां लगाया जानेवाला। ३ फेरा जानेवाला। ४ दिया मारनेकी क्रिया रामहारा सम्पादित हुयौ। इसीसे जानेवाला। (क्लो०) ५ कार्य, फज, करने लायक राम का कारक ठहरा और उसमें चि लगा। काम। छेद्य, काटने लायक चीज़ । किन्तु अकर्मक क्रिया रहत कर्ता में कोई चिङ्ग लगाया कर्तव्यता (सं० स्त्री.) कर्तव्यस्य भावः, कर्तव्य- नहीं जाता। जैसे-रावण सर गया। अंगरेजीमें तल-टाम्। १ विधयता, वजब, ज़रूरत । २ औचित्य, इसे नमिनेटिव कैस (Nominative case) कहते हैं। मौजनियत, दुरुस्ती । ३. उपयुक्त उपाय, माकूल कर्ताभला (कर्ताभजनी )-बङ्गालका एक उपासक तदबीर । सम्प्रदाय। इस सम्प्रदायके लोगों की व्याख्या के अनुसार कर्तव्यविमूद (स. त्रि०) अपना कर्तव्य न देखने- वही कर्ताभजनो हो सकता, नो कर्ता अर्थात् परमेश्वर वाला, जिसे अपना फर्ज न सूझ पड़े। का पूर्ण रूपसे भजन करता है। कर्ताभननी सम्प्रदायके कार्तव्याकर्तव्य (म.ली. ) करने एवं न करने योग्य प्रवत्तंक, प्रथम मतप्रतिष्ठाता पौर प्रचारक प्रौलिया- कार्य, भला बुरा काम। चांद थे। इस सम्प्रदायवाले उनको एकवाक्यसे खरका कता (सं० पु.) करोति सृजति सम्पादयति वा, क अवतार मानते हैं। प्रवादानुसार माधवेन्द्रपुरी नामक बच् । खल्तचो। पा श६१३३ । १ प्रधा। २ कमसम्मा एक बालक गोपीनाथ-विग्रहक श्रीमन्दिरम एक दिन दक, काम बनानेवाला। यह कर्ता चार प्रकारका अतिथि हुये। उन्होंने वैकालिक जलपानका शोर होता है-१ हेतुकर्ता, २ प्रयोजककर्ता, ३ अनुमन्ता पीना चाहा था। भलवमल गोपीनाथने मोगके थानसे कर्ता और ४ ग्रहीताकर्ता। एक कटोरा चोर चोरा रखा और पीछे पूजकोंसे उन्हें न्याय मतानुसार क्रियाकृति जिसमें समवाय सम्बन्धः देनेको कहा। इसी घटनाके पीछे शचीनन्दन यौचैतन्यं- से रहती उसोको विहन्मण्डची कर्ता कहती है। देव गोपीनायक मन्दिरसे अप्रकट हो अलक्ष्य सन्यासीके वेदान्तपरिभाषामें उपादानविषयक · अपरोक्षधान- वेश पानोरपुरी परगनेके घोला-दुबलो नामक स्थान चिकीर्षा तथा कतिमानको कर्ता माना है। फिर पहुँच कुछ समय तक प्रच्छन्न भावसे रहे। पोछे वह भामतीके मतानुसार इतर कारक द्वारा प्रेरित न होते उलाग्राम गये और महादेव-तंबोलीको भौटमें बासक सकल कारकका प्रयोनक (प्रेरक) कर्ता है। वेश देख पड़े। महादेवके कोई सन्तान न था। उन्होंने गुणके अनुसार कर्ता विविध होता है सालिक, उक्त प्रजातकुल गोल बालकको पा पुत्रनिविशेषस पासन. राजस और तामस । मुक्तासन, निरकारी, धैर्यशाली, किया। बार वत्सरकाल भौलिया-चांद महादेव
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१४३
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