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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१५९

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कमरखा .

कर्मभोग-कर्म

.. वर्षका नाम भारत है। यहां भारती सन्तति होती | कमर (सं• पु:.) कर्म हिंसां राति, कम न-रा-क। है। विस्तार नौ हजार योजन है। इसीको कर्म- कमरग, कमरख। , भूमि कहते हैं। यहां पुण्यकर्म करनेसे वर्ग अप कमरक (सं० पु०) कर्म र स्वार्धे कन्। कमर, वर्ग मिचता हैं। कर्मभोग (स.पु.) कर्मयः कर्मजन्य सुखदुखादे कमरण (सं• पु० ली.) कर्मणि हिंसाय रयत (गः, -सत्। कर्मफचानुसार सुखदुःखादिका भोग, रोगादिजनकलादिति भावः, कर्मन्-रष्ठ धन । कामके नतीजेसे पाराम तकलीफ, मिलनेको हालत। खनामख्यात वृक्ष, कमरखका पेड़। (Averrhoa कर्ममन्त्री (सं० पु.) कर्म. मन्त्रयति, कर्मन-मन्त्र carambola) इसका संस्कृत पर्याय-मिराल, वादन, पिच्-णिनि। कर्मक सम्बन्धमें मन्त्रणादाता, कामको रुजाकर, कार, कम रक, पौतफल, कमर, मुहरक,

समाह देनेवाला।

मुहर, धराफल और कर्मारक है। मराठीमें इसे कर्ममय (सं० वि०) कर्मसे बना हुवा, कामसे करमल, तामिलमें तमतम्बरम, तेलगुमे तमत चेतु, निकलनेवाला। मलयमें निङ्गविक मनिस, ब्रह्मोमें मुंगया पौर • कर्ममार्ग (सं• पु.) १ कर्म का नियम, कामका पोर्तुगीज भाषामें बरम्बोच कहते हैं। तरीक । २ मिप्ति प्रति तोड़नेको दस्यु हारा व्यवहार कमर पन्त, उष्ण, वायुनाशक, तोय, कटुपाको किया जानेवाला एक शब्द, दीवार वगै रहमें सेंध और अम्लपितकारक होता है। इसका पक्षफल मधुर, लगनेको एक इशारका लफल । अम्बरस और बल, पुष्टि तथा रुचिकारक है। (राननि०) कर्ममीमांसा (सं० स्त्री.) कर्मणि मीमांसा। कर्म भावप्रकाशक मतसे यह शीतच, मरायकारक सम्बन्धमें निसयकारक शास्त्रविशेष । मौमासा देखो। पौर कफ एवं वायुनाशक होता है। कर्ममूल (स. को०) कर्मणो मूलमिव मूलमस्य कमरा दो प्रकारका होता है-मिष्ट यहा कर्मणि यत्रादि क्रियाजन्य सत्कर्मार्थं मूलं यस्य । किन्तु पंक पन्न फल ही लोगोंको अच्छा लगता है। १ कुछ। २घरवण। कारण खनिम यह अधिक मुखरोचक है। कर्मयुग (स' लो०.). क्षणाति हिनस्ति भन्योऽन्य १४से २६ फीट तक बढ़ता है। युरोपीयोंके मतानु- यत्र, क-मनिन् ; कम हिंसाप्रधान युगम्, कर्मधारय । सार यह प्रथम भारत-महासागरके मसका दीपमें हिंसाप्रधान कलियुग.. उत्पन होता था। वहांसे कमर सिंहल गया कर्मयोग (सं० पु०) कर्मसु योगस्तत् कौशलम, पौर सिंहलसे भारत- पा पहुंचा। किन्तु इमारी ७-तत्। १ चित्तराषिजनक वैदिक कर्म। विवेचनामें यह बात ठीक नहीं। बहु प्राचीन कालसे कमरा भारतमें उपजता, जिसका प्रमाण रामा- "अयमेव क्रियायोगो शानयोगस्य साधकः । कम योग विना भानं कस्यचिन्नेव हत्यते ॥" (मलमाससच्च) यणमें मिलता है। भाजकल भारतमें प्रायः सर्वत्र कर्म योगको ही क्रियायोग कहते हैं। विना इसके यह वृक्ष होता है। किधीको ज्ञान प्राप्त नहीं होता। कम देखो। कमराष्ट्र दाक्षिणात्यका एक प्राचीन उपविभाग । २ परिश्रम, मेहनत। ३ यत्रादिसे सम्बन्ध । (Ind. Ant. VII. 189.) कर्मयोगी (सं० पु.) कर्म योगो ऽस्वास्ति, कम- कमरौ (सं• स्त्री.). कम भैवन्योपयोगक्रियां राति योग-इनि । वम योगरत, ईखरको मासिक पमिलाप ददाति, कमर-क गौरादित्वात् डीम् । वंशलोचना। या ध्यानादि वैदिक कम करनेवाला। कमरे (सं..पु.) कम को रखा, मत्स्य का लिया, कर्म योनि (सं. पु..). कर्मणो योनिः श्रादिकारणम्, होनहार। । कर्म का मूलकारण, कामका असली. सबब । । कमधे (म.पु.) अथर्ववेदो एक प्राचीन ऋषि । प्रह। .