पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१७९

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१८० होनेको पाशा पर सूबेदारीको चारो ओर सैन्य संग्रह अन्तको हुगलीसे कई कोस दक्षिण गङ्गाके पूर्व पार करने लगे। यह सैन्यदल फौजदारके अधीन रहनेको सूतानटी जाना ठहर गया। यह स्थान अनेक कारणसे दुगली भेजा गया। इधर सन्धिको बात चलती ही सुविधाजनक देख पड़ा। उस समय गडाके पश्चिम- थी। किन्तु १६८६ ई०को २८ वौं पत्तोबरको हुगलीके तौर चन्दननगरमें फरामोसो पौर चुचुड़ामें प्रोनन्दान बाजार में अंगरेज पक्षीय कई सैनिकोंसे नवाबके कुछ कोठी चला समुद्रके नैकव्य वश अपना वाणिज्यव्यव- सैनिक लड़ पड़े। इसमें तीन अंगरेज मरे थे। फिर साय बढ़ाये थे। इसीसे अमरेनोंने भी सोचा,-गाके. एक क्षुद्र युद्ध होने लगा। कई घण्टे लड़ने पीछे दक्षिण किसी स्थल पर वाणिज्य को प्रधान कोठी बना नवाबके सिपाही विकलता वश अंगरेजोंसे हारे। समुद्रसे पाने-जानेको सुविधा नगर्नपर हमारा वाणिज्य सर्व प्रथम अक्षरेज इसी युधमें नवाबसे लड़े थे। फिर भी अधिक चलेगा। वाणिज्यका केन्द्र होते भी सागरसे अरेजोने हुगली नगर आक्रमण किया। जहानी दूर पड़ने पर हुगन्ती विदेशीय वाणिज्य के लिये विशेष वेड़ेके अध्यक्ष प्राडमिरल निकलसन नहानसे नगरपर लाभदायक न थी। नवावी अत्याचार, वाणिज्यतरीके गोले मारने लगे। इससे हुगसीके कोई ५०० घर गमनागमनको विशेष प्रमुविधा और मराठोंके पाद- गिरे थे। अंगरेजीने नगर लटनेको प्राग्रह प्रकाथ मणी सुस्त रहनेके लिये अजीजोंने एकबारगी हो किया, किन्तु जब-चारनकने रोक दिया। अन्तको गङ्गाका पश्चिम कूल छोड़ना चाहा। लटने न देने कारण डाइरेकरोंने जब-धारनकका सूतान टी स्थानको अगरेज़ बहुत पासेसे जानते तिरस्कार किया था। उन्होंने कहा- यदि अङ्गारेजोको थे। वनोपसागरसे हुगली जातेपाते समय गायक आप नगर लूटने देते, तो नवाब सिपाही पौर देशी उभय कूलस्थ सकल स्थान परेजोंने खूब देख भने । लोग हमारा प्रभाव समझ लेते। हुगली छोड़नेका परामश स्थिर होते स्थानानुसन्धानके अङ्गारेज जीतकर युइसे हट गये। फौजदारने समय उन्हें वाणिज्यको बड़ी कोठी चलानेको भूतानुटो. डर कर सन्धिका प्रस्ताव उठाया था। सन्धि होनेपर सबसे बढ़कर स्थान समझ पड़ा। स्थिर हुवा, जब तक सम्राटके निकटसे नया फरमान प्रथमतः हुगलीके फौजदारसे सर्वदा सावन न निकलेगा, तब तक पहली सनदके अनुसार प्रङ्ग रहनेकी वात थी। द्वितीय भागीरथोका गर्भ दिन रेनोंका वाणिज्य चलेगा और नवावको पतिपूरणके दिन मृत्तिकासे पूरते जाता था। उससे कुछ समय लिये ४६ लाख रुपया देना पड़ेगा। सन्धि करने पीछे हुगलीके नीचे जहाज लग न सकते। सूतानुटीमें पोछे मुसलमान भीतर ही भीतर युद्धका आयोजन वह पाशा विलकुल न थी। बतीय फरासोमियाँसे लगाने लगे। नवाबने ढाशा, मालदह, पटना और अगरेजीको शव ता वढ़ी। चन्दननगरसे बड़ी बड़ी: कासिम-बाजारको कोठियां लूट अनरेजीको वन्दी वाणिज्यतरी हुगली ले जाने में विषम भय था। चुचुड़ा बनाया था। फिर १६८५ ई०के दिसम्बरमास नवाबने | और चन्दननगरसे दक्षिण पड़ते सूतानुटीमें उस भयको. सैन्य जुटा हुगलीको भेज दिया। सम्भावना न रही। चतुर्थ समुद्र निकट था। पषम अरेनोंने यह सैन्य संग्रह देख परामर्श किया गङ्गा नदी के पूर्व पार रहते सूतानुटीमें मराठोंके उप- हुगलीमें इस प्रकार नित्य उत्पीड़ित और क्षति द्रवका भय न चगा। षष्ठ महाजमें ही पश्य दृश्य अस्त होनेसे बड़ी कोठी उठा लेना युक्षिसकत है। -चढ़ाया उतारा जा सकता था। सप्तम-गङ्गाको भान सकनेवाले बहान बलोपसागरमें ही बार डास Vide (8) Stewart's History of Bengal, (b) Broom's + Vide "Some Observations and Remarks on a late History of the Rise and Progress of the Bengal Army and (c) Cook's Monthly Mail and Indian Adçertiser, pablication entitled Trevels in Europe, Asia and Africa" by J. Price, Vol. I, or VIII.