पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१८३

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१८४ कलकत्ता । उस तीनों ग्राम क्रय करनेका विशेष कारण रक्षा। बिवारली साइबके लेखानुसार इस तीनों स्थानों की उस समय अगरेज सूतानुटोमें अपना वाणिज्य स्थान | विस्तृति नदी ( भागीरथी ) किनारे तीन मौच नम्बो जमानेको प्रायोजन लगाने, किन्तु उपयोगी भूमि पाते और एक मील चोड़ो होगी * किन्तु बोल्टन न थे। जमीन्दारको महसूल दे बहु विस्तृत व्यवसाय कहा-'यह समस्त स्थान देयं प्रथमें डेढ़ मोलसे कैलानिमें असुविधा पड़ी। फिर नवाबको आज्ञा न अधिक नहीं।" इसका वासरिक कर ११८४) रु. होनेसे भूमि कैसे खरीदी जातो! इसनिये अङ्गारेज, बङ्गालके नवाबको देना पड़ता था। किन्तु नवाब नोभी श्रीम-उस-सानको पर्थ से मिला कार्योहारको अजीम-उम्-शानने उसे अपने प्राप्यमें लगा लिया। चेष्टाम लगे। उस समय अजीम वर्धमान थे। भोल फिर क्रयसम्बन्धीय सनद पानपर स्नानुटीके प्रधान न्दाजोंने भी अङ्गरेनोंकी भांति बिना शुल्ला वाणिज्य बल्कि प्रतिनिधिने लन्दननगरके कोर्ट-भव-वार्डसको चलानेको प्राथासे उनके पास दूत भेजा। अरेनोंने समाचार दिया। उन्होंने प्रत्यत्तर कलकत्तेको प्रेसि- उसीका प्रतिवाद, भूमिक्रय और क्षतिपूरणादिका डन्सी बना प्रबन्ध वांधा, प्रेसिडेण्टको२००)रु०मासिक प्रबन्ध करकी मिटर वेल्स नामक एक विचक्षण वेतन और १०९) मासिक भत्ता मिलेगा। इनके अधीन कर्मचारी रवाना किया। एक सभा रहेगी। सभा में चार सभ्य वैठेंगे। परामर्थ १५९८ ई के जनवरी मास वैक्स अनीमके शिविर में प्रादि दे वह प्रेसिडेण्टको साहाय्य करेंगे। सभ्योंमें पहुंचे और जुलाई मासके मध्य हो नानाविध अर्थ प्रथम हिसाव करनेवाला (Acconstant), द्वितीय दे अपना कार्य बना सके। अनुमतिपत्र उसी समय गुदामका रक्षक (Warehouse keeper ), सोय सूतानुटी भेजा गया। किन्तु सूतानुटी, कलकत्ते और सामुद्रिक कोषाध्यक्ष (Marive-purser) और चतुर्थ गोविन्दपुरकै * जमीन्दार उसमें दीवान्को सही न देख राजस्व-ग्राहक (Beceiver of Revenues) होगा। विक्रयसे षसम्मत हुये। पन्तको १७०० ई के ननवरी पायार साइचके विचायत जाने पर वियाड साहब मास मनरेज़ दीवान्से अनुमतिपत्र ले पाये। फिर कोठीके प्रधान हुये। १६८२ ई०को जब बाछ एक जमीन्दार कोई आपत्ति उठा न सके। विभिव प्रेसिडन्सी बना, तब जोहन वियाडं साबको ही ग्रेसिडेण्टका पद मिला था। किन्तु अस्प दिनमें • स्नान टोसे दक्षिण कलकाना पोर कलकत्तेसे दक्षिण गोविन्दपुर की सर चार्लस पायार विलायतसे प्रेसिडेण्ट हो दी ग्राम गातीर रहे। पाइन-इ-अकबरीम जहां सातगांव सरकार, वापस आ गये। उस समय पियार्ड मात्रको कलकता महाल मिलता, वहां सूतान टी या गोविन्दपुरका नाम देख हिसाब करनेवालेके द्वितीय पद पर जाना पड़ा। नहीं पड़ता। किन्तु कलक के साथ एक बन्धनौम पारिकपुर और फिर हालसो वाणिज्यव्यादि (गुदाम )के रसका बक्या नाम दूसरे दो महालोंका उबेख पाया है। यह निपित मही-41पुर और बकया क्या सुनान टौ या गोविन्दपुरकै को परिवर्तित इवाइट सामुद्रिक कोषाध्यक्ष और राफसेखडन राजख- माम। पर्स घोलन्दाम वालेण्टाइन सावके मानचित्रको गाव की प्राहक थे। किन्तु प्रायार साहबके कार्य में भा चुकी है। उसमें गोविन्दपुरके स्थान पर गोकर्ण पुर लिखा है। करनेसे बियाई साहब की प्रेसिडेण्ट बने रहे। सिवा पाईर-ए-अकबरोके दूसरा प्राचीन अन्य भविष्य अप्रखए है। उस मखममें गोविन्दपुरका नाम देख पड़ता - Vide Report on the Census of the Town of Calcatta "वायलितमदेश घ वर्गमीमा विराजते। taken on the 2nd April 1876, by Beverly, C.S. गोविन्दपुर प्रान्ते च काली सरधनीतट" + Vide Bolt's Consideration on Indian Affairs, 2 ed. उममे मी-३ गाविन्दपुर भागीरचौके वीरकाजी गोविन्दपुर । 1772, 1. 60. Pariniकरने ल य लके बनाये और उपाय (1446) Vide Orme, Vol. 11. p. 17. इलियट प्राचीन समुद्र याबियों का मानचित' नाम पलवमें $ History of the Rise and Progress of tho Besgal मता पाएर गोविन्दपुर नाम लिखा है। Army, by Arthur Bruome, 1.815