पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१९

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कपोताधि-कप्पर जिलेका 'चांदस्खाली नाला निकला है। चांदखाली । शत रखता हो। ६ कपोतवणे, कबूतरका र नाखेके मुखसे अक्षा• २२.१३३०७० पौर देशा. रखनेवाला। ८९.२० पू० पर इससे खोल-पटुवा नदी पा मिली कपोतेखरी (स. स्त्री.) कपोतेखर-डीए । पार्वती, है। इन दोनों संयुक्त नदियोंके सङ्गमस्थलसे दक्षिण | दुर्गा। कहीं इसे पांगासो, कहौं बाड़, कहाँ पांगा, कहीं कपोल (स.पु.) कपि-भाल नखोपः। कपिल- नामगाद और कहौं समुद्र कहते हैं। सागरके निकट- गणिकटिपटिश्य बोलच् । उ १६५। १ मस्तक, मत्था। वर्ती स्थानपर इसका नाम मालच है। यह अवशेषको २ गण्डस्थत, गात। यह लज्जासे सिकुड़ता, भयमे मालच नामसे ही वनोपसागरमें प्रविष्ट हुयी है। उभरता, क्रोधसे कंपता, हर्ष से खिलता, खाभाविक यशीर लिलेमें इस मदीके तौर सागरदांडी नामक भावसे सम रहता, कष्टसे शष्क पड़ता और उत्साह एक क्षुद्र ग्राम है। १८२८ई को इसी प्राममें पूर्ण लगता है। बङ्गालके प्रसिह कषि और मेघनादवध तथा कपोन्तकल्पना (सं० स्त्री०) पमूलक कल्पना, झूठ बात । व्राङ्गनादि काव्यके प्रणेता माइकेल मधसूदनने जन्म- | कपोलकल्पित (सं० वि० ) असत्य, मठ । ग्रहण किया था। कपोलकवि-सहतके एक प्राचीन कवि। कपोता ध्रि (सं० स्त्री०) कपोतस्य अनि इव, उपमि०। कपोलकाष (सं० पु.) कपोलानां काषः (कपी नलिका नामक गन्धद्रव्य, एक खुशबूदार चीज़। अनेन इति काषः) कर्षणस्थानम्। १ स्तिगण्डस्यस, कपोतासन (सं० लो०) कपोतवणे अमनम्, मध्य हाथीको कनपटो। २ वृक्षादिका स्कन्धखान, हायोके पदवी। स्रोतोलन, सुरंमा। अपनी कनपटी रगड़नेका मुकाम, पेड़का खवा । कपोताण्डोपमफल (सं० को०) निम्ब भेद, किसी "नौखालिः सुरकरियां कपोलकापः।" (भारवि) किस्मका कागजी नीबू । कपोलगेंदुवा (हिं० पु०) गण्डखलोपधान, गलतकिया। कपोताभ (सं० पु०) कपोतस्य आमा इव पाभा यस्य, | कपोलफलक (सं० पु.) कपोलः फलक इव । प्रथम मध्यपदलो। १ कपोतवणं, पीला या मैसा भूरा गण्डस्वच, चपटा गाल। सम्भवतः कपोलास्थिको हो रण। २ मूषिकविशेष, किसो किसका चूहा। कपीचफलक कहते हैं। इसके काटनेसे दष्टस्थान पर अन्यि, पिड़का और | कपोलमिति (सं० स्त्रो०) कपोला मित्तय इव, उपनि। शोथको उत्पत्ति होती है। फिर उससे वायु, पित्त, | विस्तृतकपोल, तम्बा-चौड़ा गास।। कफ और रक्षा चारों बिगड़ जाते हैं। (सनुस ) | कपोलराग (सं० पु०) गण्डस्थलको रकता, गालवी (वि.) ३ कयोतसदृश वर्णविशिष्ट, चमकीला भूरा, जो कबूतरका रङ्ग रखता हो। कपोली (स• स्त्री०) जान्वयभाग, घुटनेका पगमा कपोतारि (सं० पु०) कपोतानां परिर्मारकः, ६-तत् । श्येनपची, बाज चिड़िया। कपौला (हिं. पु०) वैश्यजातिविशेष, बनियोंकी कपोतिका (सं० स्त्री०) कपोत खार्थे कन्-टाप् प्रत एक कौम। इत्वम्। १ कपोती, कबूतरी। २ चाणक्यमूल, किसो कप्तान (१० पु०= Captain) १सेनानी, सिपक्ष- किस्मकी मूली। सत्तार।२ पोसाध्यक्ष, जहाजका मुहाफिज । ३ नायक, कपोती (सं० स्त्री.) कपोत-डीए । १ कपोतजातिको अगुवा। स्त्रो, कबूतरी। २ यनीय यूपविशेष। ३ पिड़को, कमानी (हिं. स्त्रो०) १ अध्यक्षता, सरदारी। (वि०) फाखू ता। (नि.) ४ कपोतयुक्त, कबूतर रखने- अध्यायसम्बन्धीय, सरदारसे सरोकार रखनेवाला। वाचा।.. ५ कपोतसदृश भाकारयुक्त, जो कबूतरको | कप्पर (हिं. पु०) कपट, कपड़ा। चमक।