पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१९२

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। १२३५ रु. कलकत्ता २८३ बरेज बणिक उतर तन्तुवाऱ्यासे सूत (वा सूतकी| अगरेजी तथा ७२ में बंगला और १२० विद्यालयों में गुटी अर्थात् गोली) क्रय करते रहे। इसी बाजार के वालिकाओंको बंगला पढ़ाई जाती है। पुरुषों और पार्समें दूसरा बड़ा बाजार था। मालम पड़ता, स्त्रियोंको शिक्षकता सिखानसे लिये ३ नार्मल स्कल युरोपीय वणिकीन सूतानुटीहाट निस्टवर्ती समु. विद्यमान हैं। इधर हिन्दुस्थानी बालक थी- दाय स्थानका नाम सूतानुटी रखा है। कारण अशरेजों विगुडानन्द सरस्वती विद्यालयमें संस्कत, हिन्दी और अथवा अपरापर युरोपीयोंके पागमनसे पहले किसी। अरजी पढ़ते हैं। देयीय पत्रमें 'सूतानुटी' नाम नहीं मिलता। अगरेजोंके अस्पताल कलकत्ता ८ बड़े अस्पताल खुले हैं, अधिकार कालसे १७७८ ई. पर्यन्त यह स्थान रेष्ट मेडिकल कालेज अस्पताम्म, मेवो अस्पताल, कम्पवेल इण्डिया कम्पनीके अधिकारमें रहा, फिर इसी वर्षकी अस्पताल, स्थानीय पुलिस अस्पताल, बेलगछिया १६वीं जनवरीको नवापाड़े मौजे.के परिवर्तनसें महा. अस्पताल और स्त्रियोकाडफारिन तथा ईडेन प्रस्मताख। राज नवकृष्णके हाथ लगा। इष्ट इण्डिया कम्पनीने हरीसनरोडपर मारवाड़ियों का भगवानदास बागला महाराज नववष्याको जो पत्र (सनद) दिया, इसमें इन अस्पताल विद्यमान है। कई स्थानोंका नाम लिखा है,-१ महान सूतानुटी धर्मसमाज-कलकत्ते नाना जातियोंके रहनेसे अनेक (२३३७ बीघा), २ हाट सूतानुटी, ३ वानार सूतानुटो, धर्मसमाज देख पड़ते हैं। हिन्दुवों, मुसलमानों ४ सूबा बाजार, ५ चालंस बाजार, ६ बागवाजार पौर ईसायियांके धर्मसमाज छोड़ ५६ हरिसभा और (१०० बौधा) पौर ७ हुगलकुड़िया (२९७) बौधा । ३ बाधसमाज भी हैं। कार्णवालिस छोटपर पार्य- इसके लिये महाराज नववष्णको प्रतिवर्ष समाज बगता है। पौर कुछ पाने महसूल लगता था (* भाज भी जल-बङ्गालके अपर स्थानों की भांति यहां पुष्क- शोभावानारके रानवंशोय उक्त स्थानोंको ताक रिणी (सालाव)का जल किसोको पीना नहों पड़ता। दारीका स्वत्त्व भोग करते है। म्युनिसिपालिटी कल का जल सर्वत्र पहुचाती है। यह विद्यालय-कसकमें सरकारी (गवरनमेण्ट), जल पलता नामक स्थानसे प्राता और कारखानमें ५ मिशनरी और लोगांके यवसे स्थापित ५ देशीय | पच्छी तरह शोधित हो नलसे चारी पोर जाता है। कालेज (विद्यालय) विद्यमान हैं। डाकरी (चिकित्सा पाजकल प्रायः प्रत्येक महमें कमसे कम नलकी एक विद्या) सिखानको मेडिकलकालेज, कार्मास्केलकालेज एक कल लगी है। फिर साधारणको सुविधाके लिये तथा काम्यवैच मेडिकल स्कून्त और शिल्पपिचाके लिये राहको मोड़ों पर भी बड़ी कम खड़ी की गयी है। पार्ट स्कूल वा भिल्यविद्यालय (Government School बीच बीच नानागार बने हैं। पहले हिन्दुस्थानी लोग of Art) खुला है। सिवा इसके ३.० अपर विद्यालय कलकत्ते, पाकर बीमार पड़ जाते थे। किन्तु कलका चलते हैं। इनमें १५५ वालों और १४५ विद्या. पानी पीने को मिलनेसे अब यह बात नहीं रही। सय वालिकाकि लिये है। फिर ५२ में बालकोंका अनेक धर्मप्राय पुरुषों और विधवा स्त्रियों के व्यवहार में अपवित्र होनेसे कलका जल कम पाता है। इसलिये

  • कलकर, गोविन्दपुर और सू वान्टोक प्राधौम भोगोलिक, उन्हें भागोरथीका जल मंगाकर पीना पड़ता है।

सामाजिक, राजनीतिक एवं वाणिज्यबटिय विषय समझनक पायको किन्तु भागीरथीका नल समुटूको लहर पानसे चार विशेष रेटाके साथ पवलम्बन करना चाहिये। सदर बोर्ड, कलको था चौबीस परगनेको वलकरी, मन्दानक पुराने सरिस्ते, विलायतको खिया लगता और साधारणत: स्वास्थ्यके लिये ठोक नहीं भाउस पाग और ब्रिटिम म्य जियम (पारेनी अजायब घर में पड़ता। प्रात:काससे सायंकाल पर्यन्त भागोरथोक पुरातन ६व (कागल) विद्यमान है। उन्हें उनसे अनेक पति तट पर नान करनेवानों की भीड़ रहती है। साविक सत्य प्रकासित हो सकते है। मैस और विजली-पन्या समय सेही कलकतंकी Vol. IY. 49