इन तीनों में लगा। २०८ कलादगी -कलान्यास डाली गयी थी। फिर भी प्रमाण मिला, कि सुदूर बनमें व्यान, शूकर, वृक ( भेड़िये), शृगान और विगतकाल पर कलादगीमें नगर स्थापित हुवा। ई के हरिण रहते हैं। से शताब्दमें टलेमिने यहांको.बादामी, कलकैरी और जलवायु अत्यन्त मन्द नहीं। फिर भी यथा- इन्दी नामक नगरीका उल्लेख किया है। कालको दृष्टि बन्द रहने भच्छा शस्त्र कम उपजता,. बादामी वा वातापीपुरी नामक स्थान की प्रतिप्राचीन जिससे दुर्भिक्ष पड़ता है। १३९६ ई० से १४०६० तक है। पक्षव राजावाने दुर्भद्य दुर्ग बना निरापद प्रबल बहुवर्षव्यापी दुर्भिक्ष लगा था। उससे कलादगी प्रतापसे राजत्व रखा था।ई के ६ठे शताब्दमें चालुक्य एककाल ही उत्पन्न हुवा। दूसरे भी कई दुर्भिक्ष पड़े। रानाम पुस्तिकेशीने पलवोंको हटा बादामी अधिकार १९८१ ई में पत्रके प्रभावसे सैकड़ों नरनारियोंने किया। पुलिकेशीके पौछे ७६० ई. सक चालुक्योंका प्राण छोड़ा। इस अकालको लोग कशावरूपी राज्य चला। फिर राष्ट्रकूट राजा हुये । ८७३ ई. में महामारी कहते हैं। वास्तविक अकानमें मरे असंख्य. राष्ट्रकूटवंश गिर जानेसे कलचुरि और इयशात बलाल स्त्रीपुरुषोंका काल भूगर्भ खोदते समय पान भो वंशको ठहरी। उन्होंने ११८० ई. तक राज्य किया। मिलता है। अनन्तर कलादगीमें देवगिरिके यादवोंका शासन | कलाधर (स'• पु०) कलाः धरति, कला-ध-अच् । उस समय देवगिरि ( वर्तमान दौलताबाद) १चन्द्र, चांद। २ चतुःषष्टिकलाभिज्ञ व्यक्ति, चौंसठ- नगरमें यादव राजावों को राजधानी रही। १२९४ कला जाननेवाला। ३ शिव । छन्दोविशेष। यह ई०को अलाउद्दीनने देवगिरिपर आक्रमण किया। दण्डकका भेद है। इसके प्रत्येक चरणम १५ गुरु यादववंशीय य रामचन्द्र देवगिरिके राजा थे। उन्होंने और १५ लघुके पीछे एक गुरु लगता है। मुसलमानोंक पाक्रमणसे घबरा दिल्ली के अधीश्वरको कलाधिक (सं० पु० ) कुक्कट, मुरगा। अधीनता मानी। ई०के १५वे शताब्द यूसफ आदिल कलानक (सं• पु०) शिवके एक पनुचर । शाइने दक्षिणापथमें एक स्वाधीन राज्य जमाया। कलानाथ (सं० पु०) १ चन्द्र, चांद। २ गन्धर्वविशेष । बीजापुर उसको राजधानी बन गया। विजापुर देखो। इन्होंने सोमेश्वरसे सङ्गीत सीखा था। पहले कलादगीके भनेक बौइस्तूप चीन-परि- | कलानिधि (सं० पु०) कक्षाः निघीयन्ते ऽस्मिन्, कला- व्राजक यपन चुयाङ्गने आकर देखे थे। उन्होंने इस नि-धा-कि। १ चन्द्र, चांद। २ चतुःपष्टि कचामिनः राज्यको ६००० लि (कोई साढ़े चार सौ कोस) व्यक्ति हुनरमन्द। कलानुनादी (सं० पु.) कलं अनुनदति, कच-अनु. इस जिले में भामा, कृष्णा, धोन, घाटप्रभा और नद-णिनि। १ शब्द निकालते निकालते गमनकारी,. मालप्रभा नदी प्रवाहित है। सिवा इनके और भी बोलते बोलते चलनेवाला । कितनी ही क्षुद्र स्रोतखती विद्यमान हैं। धोनका ३ जलविङ्घ, गौरवा। ४ चटक, चिड़ा। ५ कपिचर,. जल बहुत खारी, किन्तु दूसरी नदियोंका मोठा है। एक चिड़िया । चातक, पपीहा। कलादगीमें लोहा, स्लेट (तख तोका पत्थर), फलान्तर (सं० क्लो०) अन्या कचा अंशः, मुप्सपेति कालापत्थर, चना, लाल बिसौर प्रभृति खनिज द्रव्य समासः।१ लाभवद्धि, सूद,व्याज।२ चन्द्रकी अन्य कला। उत्पन्न होते हैं। "पुपोष लावणामयान् विशेषान् ज्योत्सान्तराणीव कलान्तराणि ।" अषिमें चार, बाजरा, गई और कपासको उपज पधिक है! फिर अण्डे, अलसी, तिल और कुसुमको कलान्यास (सं० पु०) कचानां न्यासः, तत् । भी कोई कमी नहौं। वसन्तके आगममें कुसुमका तन्वोक्त न्यासविशेष। शिष्य शरीरपर कशाम्बास करना चाहिये । पादतलसे जानुतक 'मो नृत्य नमः', विस्तृत लिखा है। २ चमर, भौरा। ! कुमार श..) सुनहला फूल खिल जाता है।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२०७
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