पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२३

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1 कफचय-कफना (२३ वमनाभ वराबर बराबर ले प्राट्रकके स्वरसमें नौन ! कफणि (सं० पु०-स्त्री.) केन सुखेन फपति धना- भावना देनेसे यह रस बनता है। माना गुलामात्र है। यासन महोच-विकोचनत्वं प्राप्नोति, क-फम्-इन् । (भेषज्याबावली) केन अनायासेन स्फ रति, क-स्क रन् पृषोदरादित्वात् कफक्षय . (सं० पु०) कफानां चयः, ६-तत्। शरीरस्थ साधः। कफोणि, मिरफक, कोहनी, बांके बीचकी. खाभाविक कफका नाश, जिस्मके कुदरती बलगमका गांठ। बिगाड़। कफणी (सं.स्त्री०) कपि देखो। कफगण्ड (सं० पु.) गलरोग, गलेको एक बीमारी। कफद (स.नि.) कर्फ ददाति, कफ-दा-ड। क्षेत्र- यह स्थिर, सवर्ण, गुरु, उग्रकण्डू, शौत, महान्कफामक, कारक, बलगम पैदा करनेवाला। पारुष्ययुक्त और चिरधिपाक होता है। फिर इस कफन (प० पु०) शवाच्छादनवन, मुर्देपर डाला रोगके प्रभावसे रोगोका मुख वैरस्य पकड़ता और जानेवाला कपड़ा। तालु तथा गल सूखने लगता है। (माधवनिदान) कफनखसोट (हि, वि०) १ यवके पाच्छादनका कफगोर (फा. पु०) कम्बा, करछी, डोई। इसका वस्त्र नोच लेनेवाला, जो मुर्देपर डाला जानेवाला कपड़ा अग्रभाग करतलकी भांति चपटा रहता और दण्ड फाड़ लेता हो। पहले डोम मथानमें मुका कपड़ा लम्बा लगता है। कफगोरसे दाल, भात, खिचड़ी, उतार आपसमें फाड़ लेते थे। २ कपण, कस। घी वगैरहका मैल उतारते और पूरी कचौरी ३ दरिट्रका धन हरण करनेवाला, जो गरीबका माल निकालते हैं। हिन्दुस्थानमें से प्रायः कलछुत उड़ा लेता हो। कहते हैं। कफनखसोटी (हिं. स्त्रो०) १ शवाच्छादनवस्त्रको कफगुलम (स० पु. ) नेमन गुल्म, बलगुमके बिगाड़से चौरफाड़, मुर्देपर डाले जानेवाले कपड़ेको नोच- पेटमें पड़नेवाली गिलटी या गांठ। इसका रूप- खसोट। यह डोमोंका कर है। २ कृत्तिविशेष, रुपया स्तमित्य, शीतज्वर, गावसाद, मास, कास, अरुचि, कमानेको एक चाल। अयोग्य रीतिसे दरिदका धन- गौरव, शैत्य और कठिनोबतत्व है। (घरक) हरण करना कफनखसोटी कहाता है। ३ कपणा, कफन (सं० वि०). कर्फ तद्विकारच हन्ति, कफ- इन्-टक् । मनाशक वा कफजनित पौड़ानाशक, कफनचोर (हिं० पु०) १ प्रधान तस्कर, बड़ा चोर । बलगम या बलगमको बीमारी दूर करनेवाला । जो गड़े मुर्देको उखाड़ कफन चुराता, वही कफनचोर सुश्रुतोल पारग्वधादि, वरुणादि, सानसारादि, कहाता है। २ दुष्ट, बदमाथ, उपका। ट्रव्य लोध्रादि, अर्कादि, सुरसादि, पिप्पल्यादि, एलादि, चोराने और किसीको देखमें न पानेवालेका नाम वृहत्यादि, पटोलादि, अषकादि तथा सुस्तादि गणीता कफनचोर है। और त्रिकद, त्रिफला, पञ्चमूल एवं दशमूल प्रकृति कफनाड़ी (सं० स्त्री०) दन्तमूलगत रोगविशेष, दांतोंकी सकल ट्रव्य कफनाशक हैं। जड़में होनेवाली एक बीमारी। पन्यान्य कफन द्रव्य का शब्दमें देखो। कफनाना (हिं. क्रि०) शवको वस्त्रसे पाच्छादन कफनी (सं० स्त्री० ) कफन्न-डीए । १ शुकनासा, करना, सुर्देको कपड़ा ओढ़ाना। २ हवुषाभेद, एक पेड़। कफनाशन (सं.वि.) कर्फ नाशयति, कफ-न- कफज (सं०वि०) कफानायवे, कफ-जन-ड नेपासे पि-यट । कफको नाश करनेवादा, जो बलग्रम उत्पन, बलगमसे पैदा। मिटाता हो। कफचर (सं• पु०) कफनिमित्तो ज्वरः, मध्यपदलो। कफनो (हिं. स्त्री०) १ शवके कण्डमें पड़नेवाला श्रेषजन्य ज्वर, बचगमी बुखार। ज्वर देखो। वस्त्र, जो कपड़ा मुदके गमें सखा जाता हो। कन्न सौ। a . 3 केंवाच।