पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२४

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. '२४ कफप्रकृति-कफाशय २ परिच्छदविशेष, पहननेका एक कपड़ा। इसे साधु | कफसम्भव (स० वि० ) कफात् सम्भवः उत्पत्तिर्यस्य, धारण करते हैं। कफनी सिलाई नहीं जाता। इसमें ५-तत्। कफनात,बलगमसे निकलनेवाला। शिर निकालनेको एक छिद्र रहता है। इसका दूसरा कफस्थान (स'• क्लो०) कफाशय, वनगमका सुकाम । वाम चोलना है। प्रामाशय, वक्षःस्थन, कण्ह, शिर और सन्धिकी कफ- कफप्रक्षति (सं० स्त्री०) स्थिरचित्तता स्निग्धकेशव पादि, स्थान कहते हैं। दिलका ठहराव और बालोंका चिकनापन वगैरह । कफस्राव (सं० पु.) नेवसन्धिगत रोगविशेष, खके . कफप्राय (सं० वि०) कफः प्रायः बाहुल्येन यत्र बहुबो०।। जोड़में पैदा होनेवाली एक बीमारी। इसमें नेत्रका कफबहुल, जो बहुत बनगम रखता हो। सन्धि पकता और उससे खेत, सान्द्र एवं पिच्छित कफमन्दिर (सं. पु.ली.) मखभेद, माड़, भाग। पूय पड़ता है। (माधवनिदान) कमरक्षा (सं० स्त्री०) नागरसुस्ता, नागरमोथा। कमहर (सं० वि०) कर्फ हरति नाशयति, कफ-g. कफरोग (स० पु.) कफजन्य रोगमात्र, बलगमसे अच। कफनाशक, बलगम दूर करनेवाला। पैदा होनेवाली कोई बीमारी। कफत् (स० स्त्री०) कर्फ हरति, कफ-ह-क्किम् । कफरोहिणी (सं० स्त्री०) कफजन्य गलरोगविशेष, श्लेभनाशक, बन्नगम दूर करनेवाला। वलगमसे गलेमें होनेवाली एक बीमारी। गलरोधियो देखो। कफातिसार (सं. पु०) कफनन्य अतिसार, वलगमी यह स्रोतनिरोधन, मन्दपाक, स्थिराङ्गुर और कफ दस्त। इसमें प्रथम लखन और पाचन हितकर है। सम्व होती है। माधवनिदान) फिर पामातिसारन दीपनगण प्रयोग करना चाहिये। वफल (सं० वि०) ककः साध्यत्वेन अस्त्यस्य, कफ कफातिसारमें मनुष्य शुक्ल, सान्द्र, सकफ, श्लेष्मयुक्त, 'च। कफविशिष्ट, बलगमी। पूतिगन्ध,शीत और हृष्टरोमा हो जाता है । (माधवनिदान) क्फवर्धक (वि.) कर्फ वर्धयति, कफ-वृध-णिच- कफामक (सं• वि.) कफ पामा यस्य, कफामन्- शुल्। मेमाको हि करनेवाला, जो बलगम कन्। १ कफमय, बलगमो। २ कफरूयो, बलगमको सूरत रखनेवाला। बावधन (सं० पु०) कर्फ कफननितं विकारं वा कफान्तक (स० पु.) कफस्य अन्सको नायकः। पर्धयति, कफ-वध-णि-त्यु । पिण्डीतगर वृक्ष, | वर्वरक वृक्ष, बवूलका पेड़। किसी किसके तगरका पेड़। (त्रि.) २ कफवर्धक, | कफाचन्द (हिं० पु०) कण्ठके पश्चाभागको फांस कर बलगम बढ़ानेवाला। किया जानेवाला एक च । । कुश्चीमें जब एक पहल- कफविरोधि (स० लो०) कर्फ विशेषेण संगति, कफ वान् नीचे आ जाता, तब ऊपरवाला दाहनी और बैठ विरुध-णिनि । १ मरिच, मिर्च। (वि.)२ श्लेष्ण अपना वाम हस्त उसको कटिमें घुसेड़ दक्षिण इस्त रोधक, बलगम रोकनेवाला। तथा पादसे उसका कण्ठ दबाता और वामहस्तसे वफविरोधी (सं० वि०) लेभरोधक, बलगम लंगोट पकड़ उसे उलटाता है। इसीका नाम कफा- रोकनेवाला। बन्द है। फारसीमें 'कफा' कण्ठके पवादमागको कहते हैं। कफ़स (प.पु.) १ पिनर, पिंजरा । . २ बन्दोग्टह, . कदखाना। ३ कटहरा। ४ सङ्कुचित स्थान; ता | कफारि (स.पु.) कफस्य अरिः शत्रुः, ६-तत्। पा,क, पदरक । २ शुण्ठी, सोंठ। जगह। जिसमें वायु और प्रकाश नहीं रहता, उस थानका नाम कफस पड़ता है। कफालत (१० पु.) वन्धकता, जमानत। प्रतिमू- फर्गशमनवर्ग 1. (२० पु.) कफशान्तिकर द्रव्यगण, पत्रको कफालतमामा कहते हैं। बागम ठरला करनेवाली चीजोंका जखीरा बफ देयो। कफाशय (सं• पु.) कफखान, बच्चगमका मुकाम। । बढ़ाता हो। । १