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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२४२

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4 नाश्ता। 1. कल्मषाडि -बाल्याण राक्षस होगे। विना अपराध अभिशाप पा राजाने । बल्यपान (सं० पु०) क मधु मद्य पालयति, कथा- भी गुरुको प्रतिशाप देनेके लिये जल उठाया। किन्तु पाल-पण । शौण्डिक, कलवार, शराब टपकानेवाला। राजमहियो मदयन्तीने द्रुतपद उपस्थित हो राजाको कल्यपालक (स.पु.) कत्यं पालयति, कल्य-खुल् । कळापाव देखो। रोका.। राजाने वह जल अपनेही पैर पर डाला था। इससे दानों पैर काले पड़ गये और लोग उन्हें कथ्यवर्त (स.पु.) कल्ये प्रातः वर्तते जीव्यते कल्माषपाद कहने लगे। (मागवतार.) अनेन, कख्य हत-णिच-अप्। १ प्रातराश, सवेरेका कल्मषाडि, खल्मायपाइ देखो। २ लघुभोजन, इलका खाना। (लो.) कल्माषाधिक (सं० पु. ) कल्माषौ कृष्णवर्णी पी ३ तच्छ वस्तु, मामूली चोल । यस्य, कल्माषाङ्गि-कन्। इल्माषपाद देखो। कल्या ( स्त्रो०) कलयति मादयति, कल-णिच- कल्माषी (सं० स्त्री०) कल्माष-डोष् । १ चित्रवर्णा स्त्री, यक-टाप् । १ मद्य, शराब। २ हरीतकी, हर। काली या सांवची ओरत । ३ रुणवणा यमुना, ३ कन्याणवाक्य, मुबारकबादी। . कालिन्दी नदी । “थापीतोरस'स्वस्य गतमत्व शिष्यतां भगोः।" कयास (स• पु. ) पर्पटाप, दमन पापड़ेका पड़। (मारत, सभा ५०) कल्याण (सं० पु०-क्लो०) कल्ये प्रातः पयते शब्दाते, कल्चर-मध्यप्रदेशके नागपुर जिलेका एक नगर । कल्य-प्रण्-घञ् । पकर्तरि च। पा ॥१९॥ १मङ्गल, यह नागपुर शहरसे ७ कोस पश्चिम पड़ता है। यहां भनायो। इसका संस्कृत पर्याय-ख, श्रेयस , शिव, कुनवीको नमीन्दारी है। वह नगरके मध्य एक भद्र, शुभ, भावुक, भविक, भव्य, कुशल, हेम और दुर्गमें रहते हैं। दिलोमे किसी हिन्दू मनसबदारने शस्त है। .२ अचय स्वर्ग। ३ नागविशेष । इस रागमें पाकर यह दुर्ग बनाया था। कल्मे खरमें धान्य, तैल ध, नि, सा., ग, म और प क्रमसे खर लगाये जाते और देशीय वस्त्रका व्यवसाय चलता है। यहांकी हैं। दश दण्ड रात्रि बीतनेसे यह राग गाया जाता है। जमीनमें पफोम, जख और इसके ठाटपर राजधानी, कल्याण, विरारी, ऐरावत अव्य (सं० ली.) कलाते पागम्यते, कल कर्मणि यत् । और कोकिल कल्याण प्रभृति रागिणियां चलती है। १ प्रातःकाल, सवेरा, भोर। कलयति मिष्टतां सम्पा- कल्याणके पुत्र हिमाल, बल्लभ, वीर, जनाल, कलि- दयति, कल्-यक् । २ मध, शहद । ३ सुरा, शराय । सरा, पुलिन्द 'और गुरुसागर हैं। '४ राजविशेष, ४ कल्याणवाक्य, मुबारकबादो, बधाई। ५शुभाका एक राजा। वह 'भो कल्याण' नामसे ख्यात थे। चा, खेरखाही। बम समाचार, पच्छी खबर । ५ 'गीतगङ्गा' नामक पुस्तक प्रणेता। (त्रि.) (नि.) ७ सन्न, प्रस्तुत, तैयार। ८ नोरोग, चङ्गा, ६वाल्याणयुक्ता भला। जो बीमार न हो। ५ वाक्चतिरहित, बौरा और कल्याए-बम्बई प्रान्तके थाना जिलेका एक उपविभाग बहरा, जो कह सुन न सकता हो। १०दक्ष, होधि- और नगर। इस उपविभागका परिमाणफल २०० यार, चालाक । ११ माइलिक, खुशगवार । १२ शिक्षा वर्ग मील है। कल्याणसे उत्तर उल हास तथा प्रद, नसीहत, अनेजा भातसा नदो, पूर्व शाहपुर एवं मुरवाद, दक्षिण करनत कलाजन्धि (सं० स्त्री०) कल्ये प्रातः नग्धि भोजनम्, तथा पनवेल और पश्चिम पारसिक पर्वतमाला है। ७-तत्। १प्रात:कालका भोजन, सवेरेका नाश्ता । उत्पन्न द्रव्यों में धान्य, माष और संपादि प्रधान है। .२ प्रातःकालका भोन्य, सवेरैके खानेकी चीन । सन प्रत्यन्त होता है। कल्याण प्राय: त्रिकोणाकार कल्यत्व (सं.क्लो.) कवाय नोरोगस्य भावः, कम है। पश्चिमांश में प्रशस्त समतल भूमि पायो है। फिर त्व। पारीम्य, पाराम, बीमारीसे छुटकारा। पूर्व और दचिपमें पर्वतमालाका यसमूह परिष्याप्त 'कल्पद्रुम (स.पु.) विभौतक वृद, बोडेका पेड़ है। यहां वैशाख-ज्येष्ठ मासमें पूर्वदिकसे वापरता तमाखू होती है। ।