पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३३७

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. समूह। 1 काठवेम-काठबेल काटवेम ( सं० पु. ) कालिदास-प्रणीत शकुन्तला हैं। पौतस पौर कांसेका व्यवसाय बहुत होता है। नाटकके एक टोकाकार। काव्य (सं० वि०) काटे विषममार्गे कूपे वा भवः, काटव्य (सं० लो०) कटोर्भावः, कटुष्य । १ करता, काट-यत्। १ विषममार्गजात, वैदव राइसे निकला कड़वापन, कड़वायो। २ काश्य, करकसपन। हुवा। २ कूपनात, कूवे पैदा । (पु०) ३ रुद्र विशेष। काटाखाल-दक्षिण कछारवाली धवलेखरी नदीको एक काठ ( सं• पु० ) काव्यते तयते, कठ-धन् । शाखा। कहते बहुत पहले कछारके किसी राजाने इस १ पाषाण, पत्थर। (वि.) काठस्य इदम्, कठ-अण् । नदीसे नहर निकाल बाराक नदी में जा मिलाई थी। २ कठसम्बन्धीय, कठका लिखा हुवा । फिर उन्होंने सङ्गम स्थानपर एक बांध बंधाया। पान- काठ (हिं.पु.) १ काष्ठ, लकड़ी। २ ईधन, जलानको कले बारही मास इसमें जल रहता और सोत बहता है। लकड़ो। ३ शहतीर, तख्ता । ४ वेडो, कलन्दरा। काटाल-बङ्गालके मालदह जिलेका एक कंटोला काठक (सं० क्ली• ) कठानां धर्म आम्नायः समूहो वा जङ्गल । यह भूभाग पूर्व और उत्तरपूर्वी चमे विस्तृत है। कठवुञ्। १ कठ शाखाध्यायोका धर्म। २ कठ उत्तरपूर्व और दक्षिणपूर्वको काटाल महानदीको घर- शाखाध्यायीका शास्त्र । ३ कठ शाखाध्यायीका भूमिसे दोनाजपुरको सीमातक चला गया है। इसका प्रकृत गठन अति.अद्भत है। बड़ा वृक्ष वा गहन वन | काठड़ा (हिं पु०) कठौता, काठको बड़ी परात । कहीं देख नहीं पड़ता। केवल कंटोलो झाड़ियां चारो काठबनिया-विहारके वणिकों को एक थेगी। इनमें ओर लगी हैं। पहले यहां बहुत लोग रहते थे। पुष्क- अधिकांश वैष्णव होते हैं। मैथिल ब्राह्मण इनका पौरो- रिमी और ग्रहादिका भग्नावशेष आज भी इसकी हित्य करते हैं। हिन्दू शास्त्रोक्त देवदेवियोंके अतिरिक्त प्राचीन समृद्धिका साक्ष्य देता है। प्रसिद्ध पाण्डया यह सोखा शम्भुनाथ और सत्यनारायण नामक ग्राम्य नगर इसी बनमें बना था। काटालमें कई खाड़ी और देवताको पूजते हैं। अपर वणिकोंके मध्य कन्या और नदियां हैं। यहाँ केवल असभ्य लोग रहते हैं। उनमें वर उभय पक्ष, सप्तपुरुषका सम्बन्ध रहते भी पिण्ड अनेक शिकार करते और मछली खा अपना पेट भरते पड़ते विवाह रुक जाता है। किन्तु इनमें वैसी कोई हैं। कुछ कुछ सन्याल अब भा और घर बना बसने बाधा नहीं जगतो। यह वाल्यकालमें कन्याका लगे हैं। विवाह करते और एक पत्नो रखते अपर पत्नी सा काटुक ( सं० लो० ) कटकस्य भावः, कटुक-अण् । सकते हैं। इनमें विधवाविवाह प्रचलित है। फिर भी विधवा पूर्वपतिके कनिष्ठ सहोदर अधया सम्पर्कीय कटुता, कड़वाहट। कनिष्ठ भातासे विवाह करनेको सक्षम नहीं। कोई काट (हिं. पु०) १ कर्तन करनेवाला, जो काटता हो। २ भयानक, खौफनाक, काट खानेवाला। गुरुतर अपराध प्रमाणित इति खामी पंचायतको काटोया-बङ्गाल प्रान्तके वर्धमान जिले का एक नगर। अनुमतिसे यत्रो यरित्याग कर सकता है। इस प्रकार परित्यत स्त्रियोंका फिर विवाह नहीं होता । यह यह भागीरथौके पश्चिम तौर अक्षा० २३ ३७३०. और शवदाह करते पोर प्रशौचान्त ३१ दिन श्राद्धका देशा० ८८:१०पू० पर अवस्थित है। यहां केशव नियम रखते हैं। सामान्य व्यवसाय और कृषि कार्य भारतीने चैतन्यदेवको संन्चासको दीक्षा दी थी। गौराङ्ग इनकी उपजीविका है। देवका मन्दिर अभी बना है। मुसलमान नवाबों के समय काठवेल (सं. स्त्री.) लताविशेष, एक बेल। यह यह नगर बहुत बढ़ा। १७४२ ई० को महाराष्ट्र राज- भारतकै युक्त प्रान्त, अफगानिस्तान और फारसमें मंत्री भास्करपंथ वनविजयके लिये घोड़े दिन यहौं आकर ठहरे थे। १७३३ ई.को कासिमपनी ने उनसे उपजती है। इसका फल इन्द्रायणको भांति कटु युद्ध किया। अधिवासियोंमें तन्तुवाय (जुलाहे ) वर्षिष्ठ) होता है। वौजसे तेल निकालते हैं। कहीं कहीं काट- । -