३०४ कादर-कादिर हिन्दुवों में यह बहुत छोटे समझे जाते हैं। डोमा वादी और वाध्य होते हैं। कृधित केयांका बंधाव और हाड़ियों को छोड़ दूसरी कोई जाति इनका छुवा रहता है। वनसे हरिद्रा, पदरक, मधु, मोम इलायची, पानी नहीं पीती। कादर भुइयों और कहारांका अन्न खा लेते है, किन्तु वह लोग इनका अन्न ग्रहण नहीं तम्बाकूके साथ बदलते हैं। वह अंगरेजी नंगलसे जो रोठो, माजूफल इत्यादि संग्रह कर चावस और करते। यह लोग गोमांस, शूकरमांस, मुरगा तथा चीज साते, उसका महसूल नहीं चुकाते। कोचिम- चहा खाते और मद्यादि भो पो जाते हैं। कभी कभी राजके अधिकत वनभागसे इलायची संग्रह करने के कति पौर कुल्हाड़ीको पूजा होती है। लिये केवल वार्षिक १०१)रु रानख देते हैं। कादर कादर हिन्दू होते भी अपर असभ्य जातियोंकी वनमें पथ प्रदर्शक का कार्य करते हैं, किन्तु कभी बोझ भांति कुसंस्काराच्छन्न हैं। इनमें कितने ही चोग नहीं ढोते । -विश्वास करते कि कुछ विशेष शक्तिसम्पन्न अपदेवता कादलेय (सं० वि०) कदलेन नित्तम्, कदल-ठन । उनकी चारोभोर रहते हैं। उन देवतापांमें अनेक कदत निर्मित, केलेका बमा हुवा। इनके पूर्व पुरुषों के पामा होते हैं। दूसरे लोगोंके | कादा (हिं पु०) जहानको एक पटरी। यह विश्वासानुसार अपदेवता कहीं नहीं, फिर भी शहतीरों और कड़ियाँके नीचे सगती है। नदी पर्व सादिसे प्रति उन्नत होती है।..उसकी कोई | कादाचिल्क (सं० त्रि०) कदाचित् भवम्, कदाचित्-ठञ् । मूर्ति वा प्रतिमा मानी नहीं जाती। कही थोडीसी समय पर होनेवाला, जो कभी कभी हो। रंगी मृत्तिका पौर कहीं एक खण्ड सिन्दूरक्षेपित कादाचित्कता (सं० खो०) कादाचित्कस्य भावः, प्रस्तर खण्डमान भगवान्के उद्देशसे मार्गके मध्य कादाचित्क-तल -टाप । कदाचित् उत्पत्ति । प्रतिष्ठित रहता है। उता स्कल प्रतिष्ठित देवताम | कादिपुर-अवध प्रदेशके सुलतानपुर जिलेको एक कारूदानी, हर्दियादानो, सिमरादानो, पहाडदानो, | तहसील। यह पक्षा० २५५८३० से २६ २३ उ० मोहन, दूया, लिलू, परदोना इत्यादि प्रधान हैं। पौर देशा०२२.४४ पू.सक अवस्थित है। इनके मत सांग समझ नहीं सकते उक्त पपदेवता इसके उत्तर अकबरपुर तहसील, पूर्व पाजमगढ़ जिला, कौन कौन शक्ति रखते हैं। कादरीके कथनानुसार दक्षिण पत्ती तहसील और पश्चिम सुलतानपुर उक्त सकल अपदेवतावोंको पूजाम अवहेला करनेसे तहसील है। भूमिका परिमाण ४३९ वर्गमौल है। देशमें नाना अमङ्गल होते हैं। पूजाके समय यह लोग यहां सुलतानपुर और जौनपुरको सड़क पा मिली है। शूकरशावक, छागल, कबूतर, और मुरगा. रानकुमार जमिन्दार हैं। ब्राह्मण बहुत रहते हैं। कर चढ़ाते हैं। शस्थको शिखा और घृतादिका तहसीलको छोड़ थाना और स्कूल भी है। एक देशाती उत्सर्ग किया जाता है। इनके देवता जहां स्थापित है। बाजार बहुत छोटा है। भूमि समान- रइते, उन कुजोंको सरना कहते हैं। नापित हो गुणविशिष्ट है। नाले चारो ओर लगे हैं। बड़ी नदी इनके पुरोहित हैं। उपासक मूलाका द्रव्य खाते हैं। यह अपनेको हिन्दू बताते और परमेश्वर महादेव, कादियान-बोरनिमो दीपवासी एक अनार्य जाति। पानकल इस नातिन मुसलमान धर्म प्रहर कर लिया विष्णु प्रभृति नामीपर विश्वास लाते हैं। कादियान ही-बोरनियो द्वीपके आदिम दाधिणायके कादर पर्वत विभागमें वास करते अधिवासी हैं। यह सरस और भान्तिप्रिय है। है।वह पुलियार और मासय भावसार जातिपर प्रमुत्व इनकी स्त्रियों अधिक मुत्री होती हैं। चलाते हैं। कभी कभी तोप और युह सब्जादि बहन करते भी दासादिके कार्यसे प्रक्षग राते हैं। पले- कादिर-१ शैल अब्दुल कादिरशा उपनाम। भासम- गोरके पुष शासनादे मुहम्मद अकबरने में अपना दार कहने से बुरा मानते हैं। वह बड़े विखासी, सत्य- काट बंक खुला पर पुल बंधा है।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३७३
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