पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३७५

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२ चमो कानड़गौड़-कानपुर कानड़गौड़ (संयु.) कानड़ा और गौड़से उत्पव ७.३१से ८० ३४ पू० तक अवस्थित है। कामपुर 'एक राग। इलाहाबाद विभागके पश्चिमांध में पड़ता है। इसके कानड़नट (सं० पु. ) कानड़ा और नटके . संयोगले उत्तरपूर्व गानदा, पश्चिम फरुखाबाद तथा इटावा, निकला एक राग। दक्षिणपसिम यमुना पौर पूर्व फतेहपुर है। इस कानड़ा (सं• स्त्री०) एक रागिणी। इसका स्वरग्राम जिलेका सदर मुकाम कानपुर नगर है। निसा ऋगम प.ध है। ११से १५ दण्ड रात्रि चढ़ते कानपुर जिया गङ्गा-यमुनाक मन्तर्गत सुविख्यात यह गायी जाती है। मिव मित्र रागवागिणीसे मिलने दोवाब प्रदेशका मध्यवर्ती है। इस जिलेमें गङ्गा और पर १८ प्रकारके मिश्रकानड़ाकी उत्पत्ति होती है, यमुनाको छोड़ दूसरी भो भनेक तुट्र क्षुद्र नदी हैं। १ दरबारी कानड़ा, २ नायको कानड़ा, ३ मुद्रा कानड़ा। साधारणत: भूमिका भाग दक्षिण-पथिमके पभिमुख ४ काशिकी कानड़ा, ५ वागेश्री कानड़ा, ६ नट कानड़ा, ढान पड़ता है। चार प्रधान क्षुद्र नदियोंसे कानपुर ७ काफी कानड़ा, ८ कोलाहल कानड़ा. २ मङ्गल जिला चार प्रधान आगों में विभक्त है। गलाको उपनदी कानड़ा, १. स्याम कानड़ा, ११ र कानड़ा, ईशानने उत्तर दिक एक खण्ड त्रिकोणाकार भूमिको १२ नागध्वनि कानड़ा, १३ अड़ाना, १४ शाहाना, बांट दिया है। मध्यमें पाण्डु (पांडव) और रिन्द दो.

१५ सूहा कानड़ा, १६ सुधर कानड़ा, १७ हुसेनी नदियोंसे दूसरे दो विभाग बने है। फिर अवशिष्ट

कानड़ा और १८ मियांकी जयनयन्ती। भूखण्ड मध्य यमुनाको उपनदी सेगुर वर्तमान है। कानड़ा (हिं० वि०) १ काण, काना। इन सकल नदियोंका तोड़ फोड़ बहुत अधिक विस्तृत रानीका घर। यह सात समुन्दर खेल में होता है। और गम्भीर है। कानपुर जिलाके मध्य गङ्गा यमुनामें कानद ( सं० पु०) धीमरणके पुत्र । वर्षाके समय बड़ी बड़ी नौका पा-जा सकती हैं, किन्तु. कानन (सं० लो०) के जलं अननं जीवन अस्य, बहुवी. अन्य समय क्षुद्र क्षुद्र नौका व्यतीत बड़ी नौकायाका यहा कानयति दीपयति, कन-णिच-त्यु। १ वन, चलना कठिन है। सुटू बुद्र नदी ग्रीष्मकाल में प्राय: जंगल। कस्य ब्रह्मणः माननम्। २ बयाका मुख। सूख जाती हैं। १८५० तक कानपुर नगरके नीचेः ३गह, घर) प्रान-जानेको गङ्गापर नावका पुल बंधा था। फिर काननचन्द्र-टिकारीले एक विख्यात राना। अवध-पहलखण्ड रेलपथके लिये गङ्गापर पक्का पुत्त (देशावली ५५ ॥ २॥१) बना। पानकल बी० एन० डवल्या पार ने भी अपना काननाग्नि (सं. पु०) कामनालातोऽग्निः, मध्य दूसरा पक्का पुल बनवा लिया है। पदलो। दावानल जंगल में लगनेवाली आग। कानपुर जिलेको भूमि स्वभावत: एक है, किन्तु. काननारि (सं० पु.) काननस्य परिरिक, अपमित अब गङ्गामे नहर निकलनेके कारण अधिक हरा धोर समा। मौवच, कुमतिया पेड़। इसको मध्यस्थित शस्वशालिनी बन गई है। इस नारकी शाखाप्रथाखा. शाखा रगड़नेसे अग्नि प्रज्वलित हो कभी कभी समप्र से छोड़ समस्त निलेमें जल पहुंचानेका प्रबन्ध धा बन जला डालता है। इससे इसको 'काननारि है। इस जिसमें कई झोल हैं। सिकन्दरा परगनिमें (जङ्गलका दुश्मन) कहते हैं। सोना झील है; यह सिकन्दरसे भोगिनीपुर तक चली काननौका (सं. पु.) काननं भोकः स्थानमस्य, गई है। सोना झोल यमुनासे दो मील बहुव्री०।१ वनवासी, जहाल में रहनेवासा। २ कपि, यमुना पाजकन जहां जैसे जितनी झुक झुक कर रही है. यह झोल भी ठीक उसके समानान्तर भाव, वैसे ही. कानपुर-युवाप्रदेशका एक जिला और नगर । यह जिला पचा० २५.२६ से २५५६० और देशा. को यमुना नदीका प्राचीन गर्भ समझते हैं। बिन्दु. सर। ३ वानर, बन्दर। घूम धम कर चली है। इससे कोई कोई सीमा झोल.