काफिर ३९३ पार पशिनसीय काफिरोकी मध्यवर्ती जाति है। कर है। उस झोपकै पधिवासी पापुया "प्रासफारों" अष्ट्रेलीयांके साथ ही उनकी पाशति प्रति पौर नामसे स्थात है। वह मशको वाम दिक्के बाल बांधते हैं। बालोंके मध एक अंगुल मोटा सूत्रा व्यवहारका साहय अधिक है। पुरुष जांध तक तुमको जुनी चटाई या कपड़ा पहनते हैं और रखते हैं। सूजाका अपभाग और पाददेश खाख दुपट्टा व्यवहार करते हैं। वह क्रोधनखभाव रंगा रहता है। वह प्रायः नम्न और पलकारवर्जित नहीं होते। किन्तु गुरुषों वा स्त्रियोंसे तिरशत होने शेते हैं। केवल पुरुष घास या रूपकी बासी पर हठात् बिगड़ उठते हैं। स्त्रियां तुनको बुनी बजुक्षा और पौत या छोटे छोटे एक फरकी मात्रा चटाईका एक खण्ड सम्म ख और एक खण्ड पचात् पहनते हैं। स्त्रियां बात नहीं बांधतौं। किन्तु उस दिक् लटका लेती हैं। उनमें कितने ही मुसलमान समस्त पनहार वा भी परिधान करती हैं। वह और कितने ही ईसाई है। प्रोजन्दाजाने अवयना अपेक्षाकृत दीर्घन्द होते हैं। दीपम ईसाई धर्म प्रचार कर देयके प्रायः प्रधान प्रधान सिलिविस दीपके काफिर मलय दीयवासी और लोगोंको ईसाई बना डाला है। पर होपके पापुया काफिर जातिको मध्यवर्ती श्रेणी समझ पड़ते हैं। अपने अपने गृहको धातुफलक और हस्तिदन्त हारा वह मलय जासिकी भांति सभ्य होते हैं। उनका सनाते है। इस्तीक मर जानेसे वह दन्त संग्रह नाम " बुगि" है। करते हैं। फिलिपाइन दोप, पथमको भांति वासवाले कि दीपके काफिर मुसलमान होते भी शूकरमांस काफिरों की संख्या अधिक है। परीकावासियोंकी खाते हैं। उनकी स्त्रियों में भी प्रवरोधप्रथा नहीं। अपेक्षा उनके गावका वर्ण कुछ तरल कश रहता है। वालक वालिका बड़ी प्रामोदप्रिय होती हैं और स्पेनीय उन्हें "क्षुद्रशाय काफिर कहते हैं। क्योंकि पूर्णवयस्क भी प्रायः सकल विषयां में गड़बड़ करते हैं। तीन हाथी पधिक दोध नहीं होते। उनका जातिगत इस दीपमें दो जातिके लोगोंका वास है। उनमें नाम "इटावा पाएटा है। उस दोषपुश्चके पामाग, . पापुया नारिकेलका तैल, नौका और काठका गमला निग्रीस, समर, लेयटी, ममवेत, वोहल और जेबू बनाते हैं। उनकी बनाई बड़ी बड़ी नावामि २०से दीपके मध्य उस जातिके लोग देख पड़ते हैं। अन्यान्य ३. टन तक बोझ लाद सकते हैं। उनमें किसी हीदीमें विशद इटा श्रेयोके काफिर नहीं मिलते।
- प्रकारको मुद्राका चलन नहों। समस्त क्रय विक्रय बेवुद्दीपमें एक भी इटा श्रेणीका काफिर कहां है।
विनिमयसे सम्पन्न होता है। वह पेड़की छाल या गिवि होपके पापुवायों को नाक चपटी होती है। स्तका कपड़ा पहनते हैं। वहांको दूसरी जाति हांठ मोटा, चक्षु कोटरगत और रत. वादामी रहता वान्दादीय मुसलमानांकी हैं। वह वहांसे भगाये जाने है। अनेकोंके अनुमानमें नवगिनिको पाया जाति पर यहां पाकर बसे हैं। वह सूतका कपड़ा पहनते पौर मलय, जातिके मिश्रणसे वह जाति उत्यवाई हैं। वह मलयनातीय मालूम होते हैं। किन्तु है। उनके बात भी पापुयामि नहीं मिलते। अष्टे- आजकल उa जातिकी. सन्तानपरम्परा परस्पर लिया, नवकालिीडनिया, पिलु. प्रधति होमि जो. संमिश्चपसे एक स्वतन्त्र मध्यवर्ती जाति बन गयी है। सकस पापुया काफिर देख पड़ते, वर पसिनसिय मेरम दीप. मलकास दीपपुनके मध्य सर्वापेक्षा :पापुया काफिरों के संमिश्रणले. उत्पन्नवा मध्यवर्सी बात है। वहां गिोटी दोपवास पधिवासियाक वाति ठहरते हैं। साथ पापुयावोंका. प्रति निकट साश्य है। उनके । मित्रो... होपके - पाया ही पापुया बेबीके पुरुषवा पूर्ण मठन होता है। विदेश वर्कश रहता काफिरों को पूर्वमूर्ति हैं। पर क्यावामिः गव है। हियोंबी पाति मधवातिची अपेक्षा नीति भोरमवहारमै महोते. विमगिगि नव