पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४

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धारा। कपिलक-कपिललौह खर सकसके निकट समान है। अयस्कान्त मणिमें कपिलदामोदर-संस्कृतके एक प्राचीन कवि।. चेतन सम्बन्ध न रहते भी लौह आकर्षण करनेवाली प्रवृत्तिको मांति चैतन्यमय ईखर अचेतन प्रकृतिको कपिलद्रुस (० पु.) कपिन्नः कपिलवणे (सुभाषितावादी) सृष्टि रचने में लग सकता है। कपिलके कथनानुसार द्रुमः मध्यपदलो। काधीनाम सुगन्धकाठ, एक खुशबूदार अन्तःकरण नब प्रकृतिमें बौन हो जाता, तब पुरुष लकड़ी। मुक्ति पाता है। अन्साकरण बना रहनेसे पुरुषको कपिलदीप-एक पवित्र तार्थ। यहां भगवान्को मुक्ति नहीं मिलती। अनन्तमूर्ति विराजती है। कपिलके ही कोपानलमें सगरराजाका वंश ध्वंसहुवा कपिलधारा (सं० स्त्री०) कपिलानां धारा टुग्धधारा था। कोई सगरनाशक कपिलको स्वतन्त्र बताता है। श्व शुदा धारा यस्याः कपिलानां दुग्धधाराभिः सम्भू ता १७ ब्राह्मण-सम्प्रदायविशेष । यह पपनेकी कपिल निर्मला धारा यस्याः इति वा, आकारस्य इस्त्रत्वम् । वंशोद्भव बताते हैं। सूरत, भडोंच और जम्बसरमें डायोः मंशा छन्दसो यलम् । पा ६६३ । १गना। ३ सीध- कपिलबायण रहते हैं। विशेष। (कायो ६२ १०) ३ कपिला गायके दुग्धको कपिलक (सं० वि०) कप-पुरन् स्वार्थ क, रस्य -लः। १ कम्मान्वित, कंपनेवाला। २ कपिल, भूरा, कपिलफना (सं० रबी०) कपिलं फत्तमस्याः, वहुव्री० । तामड़ा। (पु.) ३ पिङ्गलवर्ण, भूरा रंग। कपिलद्राक्षा, अङ्कर। कपिलक्षेत्र-नर्मदा और सहीसागरका मध्यवर्ती ज्य- कपिलमत (सं० लो०) कपिलस्य मुनर्मतम्, ६-तत् । कूल। स्कन्दपुराणोक्ष रेवाखण्डके मतसे यह पति कपिलमुनि वा सांख्यदर्शनका मत । पुण्यस्थल है। कपिलासगम देती। कपिलमुनि (सं० पु०) बङ्गाल प्रान्तके खुलना कपिलगणिका (सं० स्त्री० ) कपिलगङ्गा, काम जिलेका एक थाम। यह कपोताच (कवदका) रूपको एक नदी। ( कालिकापु० ०।१४६) इसका वर्त- नटोके तटपर अवस्थित है। पूर्वकाल कपिल नामक मान नाम कपिली है। किसी साधने यहां कपिलेश्वरी देवमूर्ति स्थापन को कपिलच्छाया (सं० स्त्री०) मृगनाभि, कस्त री, मुशक । थो उन्हींके नामानुसार यह स्थान बापिनमुनि कपिलता (स. स्त्री०) १ शकथिम्बी, केवांच । कहाया। चैत्रमासमें वारुणीके दिन कपिलेश्वरी २भूरापन। देवीका महोत्सव होता है। फिर उसी समय मेला कपिलदेव (सं० पु०) किसी स्मृतिशास्त्र के प्रणेता। भी नगा करता है। वारुणीको यहां कपोताच कपिलद्युति (सं० पु०) कापिला रहा पिङ्गलवर्णा वा नदी में स्नान और देवीदर्शन करनेसे अशेष पुरस्थ द्युतिय स्य, बहुव्री०। सूर्य, सूरज । मिलता है। इसके उपवध नाना स्थानचे तीर्थयादी कपिलद्राक्षा (स. स्त्री०) कपिला कपिन्सवर्णा द्राक्षा, श्राते हैं। जाफर अन्नी नामक विासी मुसलमान कर्मधा। कपिलवणं वहद द्राक्षाविशेष, एक.वड़ा पोरकी यहां सुन्दर मसजिद बनी है। यह ग्राम और तामड़ा अलर । इसका सहात पर्याव-धीका, अक्षा० २५.४१ उ. और देशा० ८८.२१ पू०पर गोस्तनी, कपिलकला, अमृतरसा, दीर्घफला, मधुवही, पड़ता है। मधुफला, मधुली, हरिता, हारधारा, सुफला, मुदी, कपिलस्ट्र-संसातके एक प्राचीन कवि । ( सभाषितावलो) हिमोत्तरा, पथिका, हेमवती, शतवीर्या और काश्मरी क्षपितलिङ्ग-लिङ्गविशेष। यह मेघना नदीके पूर्वतट है। यह मधुर, थोतक्ष, वृद्य तथा मदहर्षद और प्रायः दो हजार हाथ दूर नरयासके निकट प्रवखित. दाह, मूळ, वर, खास, ष्णा एवं सास (वमनवेग) है। (म० अनसण १R) निवारक होती है। (रामिघट, कपिससौह (को०) पित्तल, पोतन।.