पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

। कपिलवस्तु -कपिलाक्षौ ५ कपिलवस्तु (सं० लो०) प्राचीन नगरविशेष, एक शिंशपा, कर्मधाः । शिशपा वृक्षविशेष, भूरी सौसम । पुराना शहर।.यह शाक्य-राजावों को राजधानी रहा। इसका संस्कृत पर्याय-शपिला,' पौता, सारिणी, शाक्यसिंहने यहीं जन्मग्रहण किया था। बौहग्रन्थ. कपिलाक्षी, भस्मगर्भा और कुशिंशपा है। राज- पढ़नेसे समझ पड़ता-वुद्धदेवके समय कपिलवस्तुमें | निधण्ट के मासे यह तिक्त एवं शीतवीर्य और विस्तर व्यक्तियोंका वास रहा। सुन्दर राजप्रासाद, धामवात, पित्त, ज्वर, वमन तथा हिकानाशक है। मनोहर उद्यान और असंख्य सुरम्य हयं स्थान कापिलसहिता (स. स्त्री०) एक उपपुराण। इसमें स्थान पर शोभित थे। फिर यहां नाना देशीय लोग एकल देशके तीर्थो का माहात्म्य वर्णित है। प्रवि-जाते रहे। शाक्य देखी। कपिलमति (सं० स्त्रो०) कपिलप्रणेता स्मृतिः, मध्य- प्रसिद्ध चीन-परिव्राजक फाणहियान् और हिसएन पदलो। सांख्य शास्त्र । वेदक अधका अनुभव रहने सियङ्ग कपिलवस्तु देखने पाये थे। उन्होंने मान्वयसे | और मुनिप्रणोत ठहरनेसे सांख्ययास्त्रका स्मृतित्व "किया बी-लो-' और 'कि-पि-ली-फ--ति' नाम- माना जाता है। "कपिलम तेरमयकायदोषमाशा मातयादि- पर इस स्थानका उम्लेख किया है। म स्यन्तरानवकायदोषात् सांख्यमतं प्रन्यायातम्।" 'मत्यनवकावदोष- हिटएन सियनको वर्णनासे समझते कपिल प्रसन इत्यादि सांख्या' (सांख्यस्वभाष्य) वस्तु एक क्षुद्रराज्य और परिमाण का फल प्रायः कपिला (सं० स्त्री०) कपिलो वर्णो ऽस्यास्ति, कपिल ६०० मील (४००० लि) है। उभय परिव्राजकोंके अर्शमादित्वात् अच-टाप् । १ पुण्डरीवा नामक समय कपिलवस्तुको अवस्था नितान्त' शोचनीय हो टिग्गजको पनौ। २ भस्मगर्भ शिशपाक्ष, भूरी सौसम। गयो थौ। पूर्व जो-जो स्थान समृधिशाली रहे, वही ३ रेणका नामक गन्धद्रव्य, एक खुशबूदार चोल । उनको जनमानवशून्य मरुप्राय देख पड़े। यहां तक, ४ स्वर्णवर्ण गाय। ५. दक्षकन्या। ६ सहकन्या। कि उस समय शाक्य-राजधानी कपिलवस्तु नगरको ७ कामधेनु। ८ शिपा, सौसम। . राजरोति, पूर्वी देखनेमें भाती न थी। नगरका प्राचीन किसी किस्माको पीतल। १० कामरूपस्थ नदीविशेष । इष्टकनिर्मित प्रासाद टा-फूटा पड़ा रहा। उसके (कालिकापु० ८५ ८०) ११ मध्यप्रदेशके अन्तर्गत एक निकट हीनयान मतावलम्वियोंका एक सखाराम था। नदो। यह नर्मदा नदीसे मिल गयी है। सिवा इसके हिन्दुवोंके दो मन्दिर भी रहे। प्रासादके मध्यस्थल में शुद्धोदन राजाको प्रस्तरमूर्ति थी। उससे "आपगा कपिला नाम व्यूष्टा नर्षि देवसः । थोड़ी दूरपर बुद्धजननी मायादेवीका अन्तःपुर रहा । मर्मदा सत्रामस्तव रुद्रावतः प्रकीर्तितः" (श्वाखण्ड १०॥ फिर नगरके इधर उधर अनेक स्तूप देख पड़ते थे। कपिला और नर्मदा नदीका' सङ्गमस्थान रुद्रावर्त वर्तमान फैजाबादसे घर्घरा एवं गण्डकी नदीके कहाता है। रेवाखंण्ड के मतमें यहां मानध्यानपूर्वक मध्यवर्ती स्थान और दोनों नदीके सङ्गम पर्यन्त | महेश्खाको पूजा करनेपर अक्षय स्वग लाभ होता है। चीनपरिवानक-वर्णित कपिलवस्तु राज्य समझ पड़ता १९ तो विशेष। १२ श्यामलता। १३ विशाल देशका है। फैजाबादसे २५ मोन उत्तर-पूर्व अवस्थित बस्ती एक ग्राम । (भ० ब्रह्मखम ४८९९) १४-निविषजलायुका, जिलाके अन्तर्गत मन्सूर परगनेका सामोल भुइना १५ क्वच्छसाध्य लूमाभेद, मुश्किनसे आराम स्थान ही प्राचीन कपिलवस्तु नगर माना गया है। होनेवालो मकड़ो। १६ कपिलवर्णा, भूरी। अाजकल सबलोग उसे 'भुपला ताल' , कहते हैं। कपिलाक्षो (सं० स्त्री०) कपिलं कपिलवर्ण अक्षि व ( Cunningham's Arch. Sarvey of India, Vol. XII, पुष्यं यस्याः। १ मृगैर्वारु. किसो किस्म का सफेद P. 88-172.) हिरन। एसको आंखें भूरी होती हैं। २ कपिल- कपिलशिंशपा (सं० स्त्री०) · कपिला पिङ्गलवर्णा'| शिपा, भूरी सोसम । IV. 2 नौक। Vol.