। कूचों में बटे हैं। हुवा। काबुल बना है। पक्के पुल भी कई हैं। अनेक स्थानों पर. स्थान स्थान पर उसका भग्नावशेष देख पड़ता है। नगरका अधिकांध स्थान वृक्षवाटिकासे परिपूर्ण है। भदौमें जन्म कम रहनेसे सेतुको पावश्यकता नहीं बस्ती ५०.. घरसे अधिक नहीं। नगरमें पाने जाने के पड़ती। लिये पहले सात फाटक थे। भाजकल लाहारी तैमूर शाइने काबुल में अफगानस्थानशी राजधानी और सरदार नामक दो ही ईटके फाटक देख पड़ते हैं। स्थापित की थी। उस समय तक सादुनाई वंशीय लोगों के घर अधिकांश कच्ची ईंट और महीके बने हैं। राजा हो कावुलमें रहते थे। सादुजाई वंशका पतन कई महल्ले में विभक्त है। नगर फिर महले होने पर यह नगर दोस्तमुहम्मदके हाथ नगा। अंग- । कूचे प्राचौरसे वेष्टित हैं। युध रजोंके रान करते समय कावुलमै बहुत युद्धविग्रह विग्रहके समय प्राचौरकी मरम्मत होती है। उस पफगानस्तान देखी। समय एक. एक कूचा दुर्गको भांति देख पड़ता है। १८९ ई० को ज्यौं अगस्तके दिन अंगरेजोने प्रवेश के लिये कूचेमें सिर्फ एक फाटक रहता है। ससैन्य भाइशुजाको कावुल भेजा था। अंगरेजोंका ऐसी आत्मरक्षाके व्यवहारको कूचावन्दी कहते हैं। सैन्यदल दो वर्ष वहां रहा । फिर १८४१ई० को मौतरकी राई अत्यन्त सकीर्ण है। नगर में अनेक शरी नवम्बरके दिन कावुलके सिपाहियोंने विद्रोही हो वानार हैं। उनमें दो प्रधान है। वह दोनों प्रायः प्रमौर शाहशुजाको मार डाला। दोस्त मुहम्मदक समान्तरालमें अवस्थित हैं। एकका नाम थोरबाजार पुत्र पकवरखानने फिर अंगरेजोंसे सन्धि करना चाहा और दूसरेका नाम लाहोरी बाजार है। नगरको था। सन्धि होनेकी वात इस मर्म.पर चली थी कि दक्षिण और थोरवाजारमें चहा-छाता नामक एक अंगरेजोंको कावुल छोड़ना पड़ेगा। सर विलियम इमारत हैं। यह देखने में बहुत सुन्दर है। बाजार में माकनाटन सन्धिको बात चीत करने गये थे। किन्तु यह देखने लायक चीज़ है। इसके छठे चित्र वह पिस्तौलसे मार गये। उनके साथ देवर, मेकेजी विचित्र बने हैं। अली मरदान खानने यह इमारत और लारेन्स साइव थे। गिलजाई सिपाहियोंने बनवायौ थी। नगरके बाहर बाबर और तैमूर ट्रेवरको भी मार डाला। दूसरे साहव बांध लिये शाइका समाधिस्थान है यह दोनों चीजें भी गये। शेषमें स्थिर दुवा कि अंगरेजोंको रुपया पैसा देखने लायक हैं। काबुलके शासनकर्ता खुद अमीर सब देना घऔर उन्हें सिर्फ ६ तोयें ले लौटना पड़ेगा। हैं। पहले वालाहिसारमें ही राजभवन था। १८४२१० को ६ठी जनवरीको अंगरेजो सेना नौटने आजकल प्रमौर नगरके मध्य पन्य स्थानमें रहते हैं। लगी। ..४५०० सिपाही और १२००० नौकर सख्त नगरमें एक विद्यालय है। विदेशी वगिकों या ठण्डो बरफको तोड़ते वापस आते थे। इस दलके मध्य व्यवसायियोंके रहनेको यहां १४३१५ सराय हैं। इन्हें केवल डाकर ब्राइडन सशरीर जन्नालाबाद पहुंचे। कारवान्-सराय कहते हैं। साधारण लोगोंके नहानेको बन्दी हुये ५ लोग भी अवशेषमें पा गये। १८४२० स्नानागार हैं। उन्हें हम्माम कहते हैं। इम्माममें गर्म की १५वों सितम्बरको अंगरेजी सेना ले कप्तान पोचकने पानी रहता है। ग्रोमके समय चारो पोरसे वणिक् काबुम्न पहुंच .बालाहिसार दखल किया था। १२वौं पाते हैं। क्रयविक्रय अधिकांश दलालोंके द्वारा अक तोवर तक अंगरेज नगर पर अधिकार किये रहे। सम्पन्न होता है। नगर में स्थान स्थान पर कूप हैं। माकनाटन साइबकी इत्याके पीछे उनका देह बाजारमें किन्तु उनका जन्म कुछ भारी होता है। नदीका नल खटकाया गया था। इसके बदले में अंगरेजोने चहार- बहुत पच्छा है। छाता बानार तोपोसे उड़ा दिया। नगरमें जानेके लिये कई पुल है। उनमें किश्तीका १८७८ई के मई मास गहामको याकूब खान्के पुल प्रधान है। कई नावें जोड़कर. नावका पुक्ष ‘साथ अंगरेजोंको सन्धि हुई। इससे काबुल में अंग- Vol. IV, 103 ।
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