४११ । इच्छा, चाह। ७ सङ्गमेच्छा, मिसनको खोहिय। डिहिदारोंकी. भांति मयठुगीर भी क्षमताशाली थे। ८वर, गौर सकल विषयाँमें कर्तुल चलते भी वह किसीके जीवन- "सन्चानकामाय धेवि कार्म मरणमें हस्तक्षेप कर न सकते थे। फिर उन्हें वर्ण- राजे प्रतियुत्य पयखिनी सा।" (वयंध) छत्र व्यवहार करने की भी चमता न रही। 2 महादेव। १. विष्णु। ११ बलदेव । पहले बहाराज कामसे ८५७१) रु० कर पाते थे। १२ कामदेव । कामदेव देखो। १३ ककार पचर। पानकल इसकी मालगुजारी कुल ७४८८० रु. है। .१४ दृष्णा, लालच । इस सम्बन्ध पर भगवडीतामें सोक-संख्या कोई साढ़े पैंतीस हजार होगी। लिखा है- इस विभागका प्रधान नगर काम है। यह रावदी "ध्यायको विषयान् पुसः साक्षेष पनायते। नदीके दक्षिण पास अचा. १८. १७० पौर देशा. सहात समायते कामः कामात् क्रोधोऽमिजायते ।" (श६९) ८५.१० पू० के मध्य अवस्थित है। इस मगरके बीचसे प्रथमतः विषयचिन्ता करते करते इसमें पासक्ति 'म नामक एक स्रोत वंहता है। गोड़ी दूर पर उत्पन्न होता है। फिर उसी विषयमें काम अर्थात् मतून नदी प्रवाहित है। ढणाका बल बढ़ता है। उसके पीछे वही काम इस नगरमें अनेक बौद्ध देवालय और पाश्रम हैं। किसी कारण प्रतिहत होने पर क्रोध मा नाता है। पहले इसका नाम "महायाम" था। यही बौद्ध इसी कामके सम्बन्ध पर भगवद्गीताके शहर शास्त्र में महाग्राम और पाचात्य. प्राचीन भौगोलिक भाष्यमें भी कहा है,-"नो हो कर भी समुदाय टलेमि कतक मायाम ( Magrama) नाम उक्त हुवा प्राणिवर्गको स्ववशमें रख सकता, उसीका नाम काम है। ब्रह्मरान अलम्पाने इसका नाम काम रखा। पड़ता है। कामही सब अनोंका मूल है। यही लोकसंख्या दो हजारसे कम है। किसी कारणसे प्रतिहत होने पर क्रोध रूपमें परिणत १८ राजपूतानके कमान परगने का प्रधान नगर। हो प्राणियों को कर्तव्याकर्तव्य विषयमें विचारहीन यह भरतपुर राज्य के अधीन है। काम भरतपुर बनाता है। सुतरां उस समय वह पापाचारी हो जाते राज्यको उत्तर-पूर्व सोमा पर अवस्थित है। पहले यह हैं। इस लिये प्राणिमात्रको उस विषयमें यत्न करना स्थान जयपुर राज्यके . अधीन था।. राना. कामसेनने चाहिये, जिसमें दुरामा काम चित्तसे दूर रहे।" इसको श्रोधि कर अपने नामसे परिचित किया । १५ चन्द्रवंशीय माङ्गल्य रानपुत्र । इनके पुत्र शङ्ख यह नगर पतिप्राचीन है। किंवदन्ती अनु- थे। (सह्याट्रिवण १।३०।१५) सार भगवान् श्रीकृष्ण की यहाँ कुछ काल अवस्थिति १६ महिसुरके एक शान्तरराज । कादम्बरान रही। बौह राजावांके समय भी यह स्थान प्रसिद्ध विजयादित्यदेवके साथ इनकी भगिनी चट्टलादेवीका हुवा। आज भी यहां विस्तर बौह-कोतिका ध्वंसाव- विवाह हुवा था। ११४८ ई०को या विद्यमान रहे। शेष पड़ा है। उसमें अतस्तम्भ देखनेको चीज़ है। १७ बटिश ब्रह्मक थयेतमयो निलेका एक इस मन्दिरमें वुड्वमूर्ति खोदित है। १७ई को 'विभाग। यह प्रचा. १८° ४८ से १८:५३०, और यह स्थान सेनापति पेरों कळंक रणजित सिंहके देशा० ८४° ४५ से ८५. १४२० पू० तक अवस्थित अधिकारमुख हुवा। यहांसे भरतपुर तक धातुवम है। इसके उत्तर थयेत तथा भेङ्गदून, पूर्व इरावदी, चला गया है। दक्षिण पदौन और पश्चिम आराकान-योमा है। काम (हि• पु०) १ कर्म, कार्य । २ कठिन कार्य, भूमिका परिमाण ५०५ वर्गमील है। मुशिकल बात। ३ उद्देश्य, मतलब । ४ सम्बन्ध, पहले यह स्थान मयठुगौके. अधीन था।. १७८३ सरोकार। ५... व्यवहार, इस्तेमाल। ६. व्यवसाय, ई० को मयगी इनामें १४२ ग्राम थे। पहले रोजगार। ७ रचना, कारीगरी।
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