सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४१३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कामकला-कामगा पोतका मूल, विफमा, गुडूची, मरिच हरिद्रा, "विवचन्दसतः पयात काही नकृषि किर सप्तच्छदा, मुरामांसी एवं कुष्ठ दो दी तोले, विड़ा, मायासरेप संयुक्त नादविन्दुबखाष्टितम् । सुस्तक, कृष्णलवण, तासक, तथा टंकण चार चार तोले प्रथम शामराजस्य कू परमदुखमम् ।" (समकामडौम्) और शोधित गुमा लु चौंतीस तोले एकत्र घोमें घांटनेसे श्य कामकूट- यह बनती है। चार माषा इसको सेवन करने से "विविधयुर्व कामा 'मः शक्रस्ततः परम् । वातरक्त रोग भारीग्य होता है। महामाया वत: पान स्वप्रयतौति दया । (कमहडीम् ) (रमरवाकर) कामकलाविलास (सं•पु.) कामकलाया: विलासः श्य कामकूट- "मदन शिवयीन बायुवोमं चतःपरम् । सम्यक् विवरणं यन, बहुव्री.। एक तन्वशास्त्र । रट्रयौन वक्षः पयात् महामायां समुहरेन। (कामवडीन ) इसमें कामकला विद्याका विषय विशेष रूपसे । कामकत् (सं.वि.) कामम करीति, काम-ज-क्तिम् । वर्णित है। इसके प्रणेता पुण्यानन्द और टीकाकार १ यथेच्छुकारक, मन के मुवाफिक चलनेवाना। नटनानन्द थे। [ कामकला देसी] २ अभीष्ट सम्पादक, प्रपनी मुराद पूरी करनेवाला । कामकाज (हिं. पु. ) कर्मकार्य, कारवार, दौड़धूप । (पु.) ३ विष्णु । कामकाजी (हिं० पु. ) व्यवसायी, कारवारी। "कामहा कामवत् कान्ता कामः कामप्रदः प्रमः।" (विश्वमहसनाम ) कामकाति (सं० वि०) कामपरा कातिः शष्दो यस्थ, कामकेलि (सं.वि.) कामे ततुकरतौ केमियस्थ, काम कै शव्द तिन् बहुव्री०। काम शब्दयुक्त, अपनी | बहुव्री. १ नम्यट, ऐयाश, छिनरा, (पु. ) काम- खाहिस जाहिर करनेवाला। निमित्ता केलिः, मध्यपदन्नो । २ सुरत, छिनाला। कामकान्ता ( सं० स्त्री० ) राजनैपाली, नेपालको । कामक्रीड़ा (सं. स्त्री०) कामेन क्रीड़ा, ३-तत् । १ सुरन, मनःधिला। ऐयायो। २ पञ्चदशाचरी एक छन्द । कामकाम (सं० त्रि०) कामं कामयते, काम-कम-णिच् "माः पञ्च स्य यस्यां सा कामकोड़ा शाया" (चरानकरटोका) भण। अभीष्टप्रार्थों, खाहिश को यो चोल मांगनेवाला । जिस छन्दमें पांच मगण अर्थात् पन्द्रहो वर्ण गुरु रहते, कामकामी (सं.वि.) कामं कामयते, कम्-णिच्-णिनि । उसे 'कामक्रीड़ा कहते हैं। अभीष्टप्रार्थी, मुराद मांगनेवाला। कामखदखा (सं० स्त्री.) कामं कमनीयं खन्नमिव "भापूर्वमायमचलप्रतिष्ठ समुद्रमापः मविन्ति यहत् । दलं पत्रं यस्याः, बहुव्री० । सुवर्णकेतकी, पीला केवड़ा । तहत कामा: यं प्रविशन्नि सबै स मानिमाप्रीति न कामकामौ " कामग (सं० वि०) कामन वाचस्य इच्छया यथेवं (भगवद्गीता) देशं गच्छति, काम-गमड़। १ इच्छानुसार चलने- कामकार (सं० वि.) कामं करोति, काम-क-पए । वाला, जो अपनी खुशीसे पाता जाता हो। २ नम्पट, १ काम्यकार्यका निष्पादक, शाहिसके मुताविक | रण्डीवाज, छिनरा। (पु.) ३ कन्द, कामदेव । चलनेवाला। (पु.)२ फलाभिसन्धि, खाशिकी | कामगति (सं०वि० ) काम यथेच्छ गतिर्यस्य, बद्री । १ इच्छानुसार चलनेवाला, जो मर्जी के मुताबिक कामकाली (सं.सी.) जसपचिविशेष. एक दरयायो प्राता-जाता हो।२ यथेच्छ देयको गमनकारक, मन- मानी जगरको जानवाला। १ नम्पट, रहौवाज़। चिड़िया। कामकूर (सं० पु. ) काम एव कुटं प्रधानं यस्य, | कामगम (सं. वि.) काम यथेच्छ गच्छति, काम- बहुव्री। १ वेश्याप्रिय, रण्डीगज। ३ वैश्याविनम, रहीबानी। ३. कामराज श्रीविद्यावा कामगा (सं.सो.) कामिन अनुरागेय गच्छति, एक मन्त्र। यह तीन प्रकारका होताकामकूर, कामकेलि और कामक्रीड़ा। यया १म कामकूट,- पुरुषगामिनी, हिनास। । गम-पच । वामगति देखो। मामक काम-गम-ड-टाप। १ कोविसा, कोयमा २ यथेच्छ.