1 कामगामी-कामज्येष्ठ ४१५ "पापणमारिणवा म्ये मा.मा कामगादिकार १ पमिसावजात, खाडियसे पैदा। बाम व्यसन सुरापा भाग्मत्यागिन्धी मायामोदकमानना:" (याचवला) दप प्रकारका होता- ."गयाची दिवाखाः परीवादा स्त्रियो मदः। कामगामी (स.वि.) काम यथेच्छ योनिविचार नौयविक उपायाच बामजी दशको गवाः।" (मनुसरिता) अक्कलेव गच्छति प्रत्यर्थः, काम-गम-चिनि। योनि- मृगया (शिकार ) यूतक्रीड़ा, दिवानिद्रा, पर- विचारशून्य हो यथेच्छ भावसे स्त्रीगमन करनेवाला, निन्दा, स्त्रीसम्भोग, मद्यपान, नृत्य, गीत, वाद्य और रडीयाज़, हिनरा। २ कामचारी, खाहिमके मुवा- वृथापर्यटन दश कामन व्यसन है। इनमें मद्यपान, फिक, चसनेवाना। द्यूतक्रीड़ा, स्त्रीसम्भोग और मृगया चार उत्तरोत्तर कामगार (हिं. पु०) राज्यप्रवन्धकर्ता, कामदार । अधिक कष्टदायक होते हैं। कामज़, व्यसनमें पासत कामगिरि (सं० पु.) कामप्रधानो गिरि, मध्यपहलो.। होने पर धर्म और अर्थशामसै वञ्चित रहना पड़ता है। १ कामरूपका एक पर्वत । (कालिकापुराण) २ दाक्षि- इसलिये इनको सर्वदा छोड़ना चाहिये । २ कामजात, जात्यका एक पर्वत मुहब्बतसे पैदा । (पु.) ३ कामदेवके पुत्र, पनिरह। "कामगिरि समारम्य धारकान्त महत्वरि।" (गतिसमतन्त्र) कामजन्दर (सं० १०) कामचासो ज्वरोति, कसंधा। कामगुण (सं.पु.) कामतो गुणः, मध्यपदली। कामजन्य ज्वर, एक बोखार। कामरिपुके पाधिक्यसे १ अनुराग, मुहब्बत । २ विषय, ऐ।। ३ भोग, मज़ा । यह ज्वर पाता है। वैद्ययास्त्र मतसे इसका लक्षण,- कामगामी (सं. वि.) काम यथेच्छ गछति, "क्षामने चित्तविन गम्नन्द्रालस्यममोननम् ।" (माधवनिदान) कामम् गम-णिनि। कामगामी देखो। मनको विकलता, तन्द्रा, पालस्य पौर भोजन कामचर (सं.वि.) कामिन धरति, काम-चर-ट। है।. भावप्रकाशके मतानुसार प्रावासवाक्य, पभोष्ट स्वेच्छाचारी, मर्जीके मुवाफिक सब जगह घमनेवाला । पस्तुकै लाभ, वायुके उपशमकारक कार्य और दृष्ट " नारद: कामचर कदाचित।" (इमारसम्भव) रहने के उपाय यह ज्वर छूट जाता है। क्रोधसे भी कामचरण (सं० लो०) कामं यथेच्छ चरणं विचरणम्, इस ज्वरका उपथम होता है। कर्मधा । यथेच्छमावसे विचरण, मनमानी चनफिर। कामनननी (सं. स्त्री.) नागवती, पानको वेन । कामचरत्व ( सं० लो० ) कामचरस्य भावः, काम-कामननि (सं० पु०) कामस्य जनिरुत्पत्तिः अस्मान, चर-ख । कासचरका कार्य, मनमानी चलफिर। बडुब्रो०। १ कोकिल, सोयन। (वि.)२ मुंगधि, कामचलाउ (हिं.वि.) किसी न किसी प्रकार कार्य बुधबूदार। निकाल देनेवासा, जो काम चला देता हो। कामना (सं.स्त्री.) वृक्षविशेष, एक माड़। यह कामचार (सं० वि०) कामन वेच्छया चरति, काम कर्णाटक देशमें प्रसिद्ध है। इसका वोज भी कामना घर-धन । . १ यथेच्छभावसे विचरणकारक, मर्जीके कंडाता है। वैद्यकनिघण्टु इसे मटर, बल्य, करम- सुवाफिक घूमने फिरनेवाला । २ यथेच्छभावसे पशु वृषिकर, इन्द्रिय बप्तिकर और रुश्य बताता है। राज- चरानेवाला, जो मर्जीक मुवाफिक मवेशी चराता हो। निघण्ट के मतसे इसके वोनमें भी उन गुण होता है। कामचारिणी (सं० स्त्री०) सुगन्ध लताविधेष, एक कामजान (सं० पु.) कामं जनयति, काम-जन-णिच्- खुशबूदार बेल। अच् निपातनात् न खः। अथवा काम कन्दर्पभावं कामचारी (सं० त्रि.) १ कामिन स्वेच्छया चरति, काम. पानयति, कामज-मा-नी-ड। कोकिल, कोयल। घर-णिनि । कामुक, ऐयाश, छिनरा । २ यथेच्छचारी, कामजित् (सं• पु.) काम जयति, काम-जि-क्किए । मनों के भुवाफिक चसनेवाला। (पु.) ३ मरुड़। १महादेव। २ कार्तिकेय । ३ जिनदेव । ४ काविर, एक चिड़िया। कामज्येष्ठ (सं.वि.) कामको बड़ा समझनेवासा, कामन (सं.वि.) कात्मा बायते, वाम जन-। जो पाशिका पाचन्द हो।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४१४
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