कामतापुर उसके पीछे गौड़खरने कामरूपको अवस्था देख १०) यहां राजधानी स्थापित की। उक्त ग्रन्थको राजा दुर्लभनारायणके पास सात ब्राह्मण और सात हो देखते १४२० शक, (१४८८०) हुसेन शाहने कायस्थ भेजे थे। उन्हीं चौदह मनुष्योंमें प्रधान १२ कामतापुर अधिकार किया था। १२ वर्ष अवरोधके पीछे भादमियोंको राजा दुर्लभनारायणने बारé या पाख्या नगर अधिकृत हुवा। सुतरां १४०८ शकको (१४८६ दो। कामरुप देखो। बारभू या ही सम्भवतः गौड़ेश्वरके ई.) हुसेन याहने प्रथम नगर पर पाक्रमण किया। सेनापति थे। दुर्लभनारायणने उनके साहाय्यसे भोट उस समय नीलध्वजके पौत्र नौशाम्बर कामतापुरके राजका विद्रोह दबायाथा। कालक्रममें कामरूपके मध्य सिंहासन पर अधिष्ठित थे। मुतरां नीलध्वजके समयसे कोचजातिको संख्या और प्रभाव बढ़ने से राजा दुर्लभः | नौशाम्बरको राज्यकाल-समाप्तिके मध्य प्रायः १५०॥ नारायण कुछ श्रीधष्ट हो गये। फिर पादि भूयांवोंके १६. वर्ष व्यतीत हुये। फिर नीलध्वजवंशीय राजा- 'मरनेसे वह अधिक उत्कण्ठित हुये। कुछ दिन पीछे वोंने प्रत्येक न्यूनाधिक ५५ वर्ष राजत्व किया। पूर्व- कोचोंके मध्य हानी नामक किसी सरदारको प्रधानत्व भारतके इतिहास लेखक मिष्टर मनटगोमागे मार्टिन मिला। वह क्रमशः अपना अधिकार बढ़ाने लगा। साहबने इस सम्बन्धमें जो कालसंख्या निर्देश की है। पौर प्रवशेष, घोड़ाघाटको छोड़ भासाम प्रदेशका उसके साथ इसका मेल नहीं। उनके कथनानुसार राना बन बैठा। इसके हीरा और जीरा दो कन्या १४॥ईको (१४१८ शक) हुसेन शाहने और भित्र अन्य कोई सन्तान न थी। दोनों कन्यावाके १५२३ ई० को (१४४५ शक) अव्यवहित परवर्ती अविवाहितावस्था में पति अप दिनके पागे पोछे दो | गौडराज नसरत चाहने राज्यारोहण किया था। सन्तान एये। जीराके सन्तानका नाम पिश और सुतरां हुसेन शाहका राजत्वकाच २७ वर्ष रहता है। होराके सन्तानका नाम विश था। हाजीराजकुमारी २७ वर्षसे नगरावरोधके १२ वर्ष (मार्टिन साहब इसे कन्यावोंके पुत्र होते देख महा चिन्तान्वित हुये। उसी नहीं मानते। वह इस वातको अतिशयोक्ति समझ छोड़ समय देववाणी सुन पड़ी थी-यह दोनों पुत्र देवदेव देना चाहते हैं। फिर वह स्वयं भी अवरोधकालकी महादेवके चौरससे उत्पन्न हुये है। किसी किसीके कोई संख्या नहीं बताते।) निकाल डालने पर १५ कथनानुसार हरिया नामक किसी मच जातीय सर वर्ष बचते हैं। फिर विखसिंहके कामतापुरका अधि. दारसे हीराका विवाह हुवा था, किन्तु उसके औरससे कारकास बुरुजौके मतमें १४२० और १४३० शकके. सत्यब नहीं। अन्तका यह दोनों सन्तान विशेष (१४८८ और १५०८१०) मध्य था। मिष्टर मार्टिनने पराक्रमी हुये। इन्होंने अपना नाम "विखसिं"और विश्वसिंहके कामतापुर अधिकार की कोई बात "शिवसिंह" रखा तथा अपने को शिवबंधीय एवं 'नहीं लिखो। उक्त कानसंख्याके अनुसार हुसेन खश्रेणीके लोगोंको "राजवंशीय" बता प्रचार किया। शाहने स्वीय राज्यारोहणके कालसे (मार्टिनके मतमें क्रमशः विश्वसिंह नाना देश (बुरुजीके मतमें १४२ से १४५4ई० या १४१८ शक) प्रायः ७० वर्ष-पोछे ३. शकके मध्य) कामतापुर पधिकार कर राजा हुये (तुरुनीके मतमें १४०८ शक या १४८७ ई.) कामता. पौर श्रीसे वैदिक ब्राह्मण वा "कामरूपी ब्राह्मण" .पुर पर आक्रमण किया था। किन्तु मार्टिनके मतले प्राख्या दे स्वराज्यमें वसा दिये। इन्होंने बौद्धधर्म बढ़ते उनके राजत्वकालका परिमाण केवल २७ वर्ष था। समय लुप्तप्राय कामाख्यापीठका उहार किया था। फिर बुरुजीके मतसे कामतापुरका पाक्रमण-काल कामतापुर कितने दिनका है। पुरुचीके मतसे १४०८ शक या १४८६ रहा। विन्तु मार्टिनक राना नीलवन कामतापुरके सापयिता नहीं, संस्कार मतसे उस समय ( १४५१५) १५११ ई. कर्ता और राजधानीकर्ता मात्र थे। अन्यके अनुसार (१४४१ अंक) या उससे दो-चार वर्ष पर्व था। राजा नीलध्वनने १२५०-६. शकको (१२२८-३८ कारब बुरुषीके मतले विससिपके कामतापुरका Vol. IV. 106
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