सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कामरूपं ४४५ श्यामवर्णा कामाख्या देवी सहास्यमुख लोल हुसेनशाहके पुत्र शासनकर्ता थे। किन्तु उस समय जिह्वा विस्तारपूर्वक योगिनियों के साथ पर्वतके कोचोंका बड़ा उस्यात रहनेसे हुसेनशाहके पुत्र नसरत शिखर पर चढ़ कर रणका शोणित पान करेंगी। शाह कामरूप छोड़ने पर वाध्य हुये। विश्वसिंहने कुवाच (कोच) इस युद्धमें जीत दश दिन वास कर उसी सुयोगमें अवशिष्ट मुसलमानोंको भगा राज्य स्वदेशको लौट जायेंगे। इसके पीछे कामरूपदेशमें अधिकार किया था। उन्होंने अति पराक्रमके साथ ब्राह्मण राजा होंगे। राज्यमें वह प्रमादिको पूजा १५२८ ई. तक रानव चचाया। उन्हों के रानवकालमें. और जप प्रभृति कार्य में लगा देंगे। इसी प्रकार वह लुप्त कामाख्यापीठका उद्धारसाधन किया गया था। तीन वर्षे राजशासन करेंगे। फिर ब्राह्मणराजा योनि फिर कामाख्याक अनुवर्ती भनेक पौठस्थान आविष्कत मण्डलके निकटवर्ती स्थानमें वासस्थान ठहरा क्रम भी हुये। कोचविहारके प्रतिपक्षमें राजा होते भी क्रमसे एकच्छवी राजा बन बैठेंगे इन राजाका पत्नी कामरूप उस समय विखसिंहके शासनाधीन था। 'श्यामवर्ण होंगी। पति और पत्नी दोनों सर्वदा कामरूपको सीमा कोचविहार तक फैली हुई थी। पार्वतीको पाराधमा रह यथाकाल सवित नामक एक विश्वसिंह समय अहोमोंने उजनिखण्ड पर पाकमण पुत्र लाभ करेंगे। इस पुत्रके जन्मसे बारह दिन पर्यन्त किया। विश्वसिंहने सैन्य भेज पाक्रमण हटाया स्पर्शाचल पर्वतसे स्पर्शमणिका आविर्भाव होगा। था। किन्तु उनके सैन्यदनके उक्त स्थान छोड़ते हो उससे कामरूपवासी सब धनी बन जायेंगे। फिर इसी फिर अहोमोंने उत्पात उठाया। सुतरा विश्वसिंहने समय वशिष्ठ ऋषिका अभिशाप छुटेगा। बाध्य हो उनसे सन्धि को थो। उसी समय रामलुगड़ १६थ शताब्दके प्रारम्भमें वोचविहार राजवंधक कामरूप और विहार राज्यको पूर्वसौमा माना मूल पुरुष शिववंशीय विखसिंहने परामकता हटायो गया। थी । कांचवंशसम्भूत हाजो नामक किसी व्यक्तिके होरा विश्वसिंहने डिमल्या. प्रभृति स्थानोंके सकल और जीरा नामको दो परमसुन्दरी कन्या रहीं। क्षमतामाली विख्यात लोगोंको वशीभूत कर लिया कामरूप धरानक होते समय कोच निकटवर्ती था। फिर उन्होंने कपास, सांवे, रांगे, सीसे, रुपे, साने, पन्यान्य इतर लोगोंको वशीभूत कर कुछ पराक्रान्त चांदी, लोहे, कांच, मिट्टी, नमक वगैरह पर कर बन गये थे। पराक्रममें कोचोंके मध्य हाजो पाणी लगा राज्यका पाय बढ़ाया। उन्होंके समय भोटान- रहे। प्रवादानुसार महादेवके औरससे होराके गर्भ में वाले सर्वदा उपद्रव उठाया करते थे। उस समय शिशु वा शिवसिंहने और जीराके गर्भमें विश वा विश्व- भोटानमें देवराम रामा थे। . विश्वसिंहने . उनकी सिंहने जन्म लिया था। कामतापुर देखो। ई० १६वें | साथ सन्धि की। राज्य के सीमान्त-प्रदेशमें शान्ति शताब्दके प्रारम्भ पर ही विश्वसिंहने कोचविद्यारमें रक्षाके लिये विश्वसिंहके सिपाही नियुक्त थे। राजत्व किया। विश्वसिंहने मुसलमानों द्वारा विध्वस्त विश्वसिंहके १८ सन्तान रहे। उनमें नरनारायण कामतापुर राज्य छुड़ा लिया था। पाधुनिक वुरक्षोके सर्वजाष्ठ थे। उनको ही सिंहासन मिला। उनके मतमें उन्होंने १४२०१३. शक (१४८८१५०८ ई.) के परवर्ती कनिष्ठ भ्राता चिलाराय वा शलध्वज राज्यक मध्य कामरूप अधिकार किया। उससे पहले दीवान या सेनापति बने। नरनारायणने शङ्करदेवके कामरूपमें थोड़े दिन मुसलमानोंका राजल रहा। माता रामगयकी कन्या कमनप्रिया पापीसे विवाह किया था। किसी किसीके कथमानुसार शुलाध्वजका भासामी भाषाम रामसरखवी पणितका लिखा एक पन्य है। उसको देखने से मालूम पड़ता है कि हरिदास मामक किसौ भादमौके • उक्त शहरदेव गौराबादेवकै समसामयिक थे। वह भूषावगीय रहे, चौरस और होराकै गर्मसे विय वा विश्वसिंहका जन्म हुवा। रामसरखती समसामयिक, कामरूपमें वैशवधर्म प्रचार किया था। बनासक गोराादवको महाराज नरनारायणको समाक डिस :...: भांति वह भी कामरूपम विणका अवतार मान नाते। Vol. IV. 112