पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४८

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कमन्न। कमलाकार-कमलासन राजेन्द्रलाल मित्रकी भांति इनका नाम पृथिवीके ई०को कमलादेवीके गर्भ से उत्पन्न गुजरातको राज- सकल स्थानों में विघोषित हो जाता। कन्या देवलदेवी भी दिल्ली पहुंच गयीं। अचा-उद- कमलाकार (संपु.) १ एक छप्पय । इसमें २७ दोन्को पुत्र शाहनादे खिच्च खां उनके रूपसे मुग्ध हुये गुरु एवं३८ लघु अर्थात् १२५ वर्ण और १५२ मात्रा थे। अवशेषको देवलदेवी और थाहनादे खिन्नखान्का का समावेश होता है। (त्रि.),२ कमलका प्राकार भी विवाह हो गया। मुबारिक शाहने सबाट वन रखनेवाला, जो कमल जैसा हो। अपने माता खिच्च खान्को ग्वालियरके निकट वन्द कमलादेशव (सं० पु०) पुण्य स्थानविशेष, एक कर माग और देवलदेवीको घरमें डाला था। खिच परस्तिश-गाह । इसे कमलवतीने बनवाया था। (राजत०) खान् और देवलदेवीको प्रणय कथापर तदानीन्तन कमलाच ( सं० त्रि. कमलमिव अक्षि यस्य, राजकवि अमीर खु.शरी एक सुन्दर फारसी काथ्य बहुव्री०। १ पद्मको भांति सुन्दर चक्षुविशिष्ट, जो लिख गये हैं। इतिहासलेखक मुसलमानोंने कमला- कमलकी तरह प्रांखें रखता हो। (पु.) २ पद्म देवीको 'कंवला देवी' कहा है। वीज, कमलगट्टा। यह स्वादु, रुच्य, पाचन, कटक, कमलानन्दन-कमलाके पुत्र दिनकर मित्र । शीतल, तुवर, तिक्त, गुरु, विष्टम्भकारक, गर्भस्थिति- कमलानिवास ( सं० पु. ) नमीका वासस्थान, कर, रुक्ष, वृष्य, वातकर, बल्य, ग्राही, कफकत एवं लेखन और पित्त, रत, वमि तथा दाहनाशक है। कमलापति (सं० पु०) कमलायाः पतिः, ६-तत् । (वैदकनिघण्ट ) ३ स्थानविशेष, किसी जगहका नाम । लक्ष्मौके स्वामी, विष्णु। कमलाग्रजा (स० स्त्री०) हरिद्रा, इलदी। कमलायताक्ष (स. त्रि०) कमलके समान दीर्घ कमलादेवी-१ कादम्बराज शिवचित्तवीरप्रमादिदेवकी चक्षु रखनेवाला, जिसके कमलकी तरह बड़ी पटरानी। दाक्षिणात्यको शिलालिपि पढ़नेसे समः प्रांख रहे। झते-कमन्तादेवीके पति गोपकपूरी (गोवा)में राजत्व कमलायुध (सं० पु.) १ संस्कृतके एक प्राचीन कवि । करते थे। यह अपने पतिको प्रियतमा महिषी रहीं। २ कान्यकुनके एक प्राचीन नृपति । देवद्दिजपर इन्हें बड़ो भप्ति श्रहा थी। अपनी दान कमलालय (स. क्लो० ) मन्द्रानप्रान्तीय तल्लोर शीलता और परोपकारिताके गुणसे यह श्रेष्ठ रम जिलेके त्रिवलर नगरका एक पवित्र तीर्घ। यहां गोके मध्य परिगणित रहीं। इन्होंने वेद-वेदाङ्ग महादेवको लिङ्गमूर्ति विद्यमान है। पारदर्शी ब्राह्मणोंको अनेक ग्राम दे डाले। फिर कमलालया (स. स्त्री०) कमलं पालयो यस्याः। इन्होंके अनुरोधसे ११७४ १०को कादम्बराजने वाम कमलमें रहनेवाली लक्ष्मी। गोंको देगम्ब ग्राम प्रदान किया। कमलादेवी उमा कमलासख (सं० पु०) कमलायाः सखा, टच । को पूजती थौं। राजाः सखिम्यष्टच । पा 8८ । लक्ष्मीले सखा विष्णु। इतिहासमें दूसरी कमलादेवीका नाम भी मिलता | कमलासन (सं० पु०) कमलं श्रासनं यस्य, बहुव्री। है। नीचे उनका विवरण लिखा है, १ कमलपर बैठनेवाले ब्रह्मा । "क्षान्नानि पूर्व कमला- सनेन ।” (कुमार) (लो) कमलाया लक्ष्मया पसनं २ गुजरातके राजा करणरायको परमासुन्दरी क्षेपणं दानमित्यर्थः। २ लक्ष्मीका दान। ३ पद्मा- १२८७ ई०को सम्राट् अला-उद-दीन खिल- जीने गुजरात जय किया था। उस समय बन्दियोंके सन। यह दो प्रकार होता है-वध और मुक्त। साथ कमलादेवी भी दिल्ली पहुंचायी गयौं। कुछ मुक्त में वामपद पहले दक्षिण पदको नवापर चढ़ाया जाता, फिर दक्षिणपद वामपदको जापर प्राता है। दिन पीछे अता-उद-दोन्की कुशलता और प्ररोचनासे अन्तको दोना हायकी हथेली जानुपर खुली रखते हैं। इन्होंने सम्राट्को गले लगाया था। फिर १३०५ पत्नी।