पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५३

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कम्पना कम्बन... "गड़ता गंदगदा वाशी रावी निद्रा मवयपि। या विरेचक, कटु, उष्णं एवं लघु पोर प्रण, कफ, प्रसव मयने चैव मुखमाधुर्य में च। 'कास तथा तन्तुछमिनाशक है। फिर सुश्रुत इसके कफीखणस्य लिङ्गानि सनिपातस्य खचयेत्। तेलको तित. कटु, कषायरस एवं व्रणशोधक और मुनिभिः सनिपाती ऽयसक्तः कम्पनसशकः" (मावप्रकाश) अधोगत दोष, कमि, कफ, कुष्ठ तथा वायुनाशक बताते कफोलण सन्निपातमें शरीर में जड़ता पाती, वाणी हैं। २ युतप्रदेशके फरुखाबाद जिलेको कायमगन गद्गद पड़ जाती, गतिको निद्रा अधिक सताती, तहसीलका एक ग्राम। महाभारतमें इसका नाम 'आंख मुखाती और मुखमें मिठास देखाती है। सुनि- काम्मिला लिखा है। कापि त्य देखो। योने इसी ज्वरका नाम कम्यन रखा है। ८ काश्मीर- कम्पिचा (सं. स्त्री० ) घृतकुमारी, धोकुधार । निकटवर्ती एक नगर । ८ उचारणविशेष, एक तला- कम्भिक्ष (सं० पु.) कम्म-इल। श्वेतवित, सफेद फु.ज। १० कंपायो, हिसने डुलनेको हालत। नौसादर। कम्पना (सं० स्त्री० ) कम्पन-टाप। १ नदीविशेष, कम्पिक्षक (सं० पु.) कम्मिल खार्थे कन्। खेत- एक दग्या। २ सेना, फौज। विकृत, सफेद नौसादर ।। कम्पनीय (सं० वि० ) कम्पन-ढक। चलनशील, कम्मिल्लमालक (सं. पु०) वकुलभेद, किसी किसकी मुतहरिक, जो हिल-डल सकता हो। मौलसिरी। कम्यमान (सं० वि०) कपि-भानच दित्वात् मुम्। कम्पिला, कम्पिल्स देखो। कम्मयुला, जो कांपता हो। कम्मी (सं० वि०) कम्मो अस्यास्ति, कम्म इनि। कम्पयत् (सं० वि०) कंपानेवाला, जो हिलाता १. कम्पयुक्त, कपनेवाला । २ कंपानेवाला, जो कंपाता हो। "गौती शौनी पिरकम्पी वथा लिखिवपाठकः। कम्पलक्ष्मा (सं० पु.) कम्पः चलन लक्ष्म लक्षण अमर्थको पकडय पते पाठकाधमा: " (शिचा ३२) यस्य, बहुव्री०। वायु, हवा। कम्मा (सं० त्रि.) कपि-णिच कमणि यत् । १ चलन- कम्पवायु (सं० पु.) कम कम्पकरः वायुः । वात शोल, मुतहरिक, जो हिलाया लाया जा सकता हो। रोगविशेष, बायोको एक बीमारी। इसमें सशरीर २ स्फुरणके साथ उच्चारित होनेवाला, जो अावाजको कंपने लगता है। वातम्याधि देखो। हिंसा डुला कर बोला जाता हो। कम्या (सं. स्त्री०) कपि भावे अ-टाप । कम्पन, कम्म (सं.वि.) कम्पि-र । नमिकम्पि स्यजसकमहिस- कंपकंपी। दोपोर: । पाशराना कम्मान्वित, कांपर्नेवाला । कम्याक (सं० पु०) कम्पया चलनेन कायति प्रका. "विधाय कम्पानि मुखानि कम्पति।" (नैषध ।) शते, कम्म के-के। वायु, इवा। कम्पा (सं. स्त्री०) कम्प्र स्त्रियां टाप । शाखा, कम्पान्वित (त्रि.) कम्पयुत, कंपनवाचा, नो डाला घबराया हो। कम्बन-दाक्षिणात्य के प्रसिद्ध सामिल कवि। मन्ट्रान कम्पित (सल्लो) कपि भावे ला। १ कम्मन, प्रान्तीय वेल्ल र जिलेके वैवेद नेल्ल र नामक ग्राममें कंपकंपी। (त्रि.) २ कम्पयुक्त; कंपनेवाला। इन्होंने जन्म लिया था। यह बात शूद्रवंशीय रहे। ३ कंपाया, जो हिलाया डुलाया गया हो। इन्होंने बारह वर्षके वयससे वाल्मीकि रामायणका कम्पिल (सं० पु.) कम्म इलच । १ रोवनी, सफेद तामिल भाषामें अनुवाद भारम्भ किया और पचास नौसादर। । इसका सस्कृत पर्याय कम्पिक्ष, कम्पिला, वर्षके वय:क्रमकान पूरे उतार दिया। चोलाधिप कम्यौल, कम्पिक्षक, रतात, रची, रचनक, रस्त्रक, "करिकाल चाल कवित्वक गुंगसे मुग्ध हो इनकी लोहिताश और रक्ताचर्णक है। राजनिघण्ट के मतसे प्रशंसा करते थे। फिर राजेन्द्र-चोलने इन्हें अपनी Vol. IV. 14 दुलाता हो।