पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५४

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गर्दनका बाल। मदुरा नगरमें वर्षकै क्याक्रम कम्बम-कम्बलिका सभामें बोला राजकविका व्याधि दिया। यह ८०७ तक शरीरमें घुस नहीं सकती। शकको विद्यमान रई। इनका बनाया-तामिल रामा- २ सर्पविशेष, कोई सांप। ३ गो प्रभृतिकै गलका रोम, मवेशियों की .यण 'कम्वनपादन', 'काच्चिवरम् पिल्लतामन्त', 'घोल ४ उत्तरीय, अनी चादर । ५ मृग- कुवत (करिकाल घोलका इतिहास) और 'कम्बन विशेष, एक हिरन। ६ नागहय, सांपका जोड़ा। अगराधि' नामक तामिल अभिधान दाक्षिणात्य में इसमें एक पाताल और एक वरुण देवक. सभास्थलमै प्रसिद्ध है। इन्होंने रहता है। ७ मिपिशेष, एक कोड़ा। तीर्थविशेष । . काल इहलोक छोड़ा था। (Wilson's Mackienzie "प्रयाग सुपविधान' कम्बलायसरी सथा। Collection. ) सौर्य भोगवती चव देदिरेया मनापवे" (मारत, वन ८५०) कोई कोई दूनका नाम कम्बर और जन्मस्थान ८ जन्त,पानी। १० लोगिकाशाक, नोनिया। ११ साना। तप्नोर जिलेका कम्ब नाडू नामक ग्राम बताता है। कम्बलक (सं० पु.) कम्बम्न स्वार्थ कन्। कम्बल, इन्होंने रामायणका अपना तामिल अनुवाद राजेन्द्र जनी कपड़ा, जनी पोशाक। घोलके समयमे पारम्भ कर कुलीसुङ्गा चोलके राज्य कम्बलकारक (सं० पु.) कम्बलं करोति, कम्बन- File.g GAITI OI! (Caldwell's Dravidian का ख ल । कम्बल निर्माता, जनो कपड़ा-वनानेवाला । Grammar, p. 134.) कम्बलधारक (सं० पु०) कम्बल-ध-खुन । कम्बल- नम्बम्-मन्द्रानप्रान्तकै कर्णाल जिलेका एक नगर। धारी, ऊनी कपड़ा प्रोदनवान्ता । कम्बर. (सं० पु.) कम्ब-अरन्। विविधवर्ण, चित्र- कम्बलधावक (स० पु०) कम्बन परिष्कार करने- वर्ण, गूनागून रंग। (त्रि.) २ नानाविध वर्ण वाला, जो जनो कपड़ा धोता हो। विशिष्ट, रंग-व-रंग। कम्बलबहिष (संपु० ) १ पन्धकरानके एक कम्बर-सिन्धुप्रदेशको एक तहसील। यह अक्षा० २७.: पुत्र। (भागवत रा२८११) २८ एवं २७°५९ ३० ४० और देशा० ६७.३५ कम्बलवान् (सं० त्रि.) कम्बलो ऽस्थास्ति, कम्बल- ४५ तथा ६८.१० पू०के मध्य अवस्थित है। भूमिका मतुप मस्य वः। १ कम्बलविशिष्ट, ऊनी कपड़ा परिमाण ७७ वर्गमील पड़ता 1. यहां प्रायः एक रखनेवाला। २ प्रशस्त गनकम्वविशिष्ट, गर्दनपर लक्ष मनुष्य रहते हैं। इसका अपर नाम शहादतपुर खव बाल रखनेवाला। है। शिकारपुर जिलेसे .यहां तहशीन उठ पायी है। कम्बलवाद्य (स'० पु०) रथविशेष, एक गाड़ी। इस इसके प्रधान नगरका नाम भी कम्बर ही है। वह पर मोटा कम्बल टका रहता है। इस गाड़ी में वैम अक्षा० ७३° ३५ ७० पौर देशा० ६८.२४५“पू०पर हो जुतते हैं। अवस्थित है। १८४४ ई०को बलुचियोंने उक्त नगर कम्बलवाद्यका, कम्वल कान देखो। लूटा था। फिर दूसरे ही वर्ष अग्निप्रयोगसे कम्बर कम्वनहार (स.पु० ) कम्बलं हरति, कम्बल-ट्ट- एककाल ध्वंस हो गया। पण । १ कम्वतहारक, जनो कपड़ा चोरानवाला। २ऋषिविशेष। कम्बल (स.पु.ली.) कम्ब वृक्षादित्वत् कलच । मेषादिके, लोमसे निर्मित एक वस्त्र, भेड़ वगैरहके कम्बलाणं (स क्लो०) कम्बलरूप ऋणम, कम्बल ऋण वृद्धिः। प्रवत्सारकम्बलयसमा दशनामथे। पासा (वार्तिक) बालसे बना एक कपड़ा। इसका संहत पर्याय-रक्षक, वेशक, गेमयोनि, रेणु का और प्राधार है। इस देश में कम्बलक्ष्य ऋष, जनी कपड़े का कर्न । कितने ही कम्बल व्यवहार करते हैं। पूर्व कम्बल कम्बलिका (सं. स्त्रीः) कम्बल-ई-खार्थ कन इव: कवचका कार्य देता था। किमी किमौके कथनानु- -सार कम्बलको क्यो भरा पहमनेसे, बन्दुकको गोली- 1. मृगको खो। ३ वाम्बम- टाप छ। १ चुद्र कम्बल, कमली।