पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५४८

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समयका कार्यकारणता-कार्यभाजन कार्यकारणता (सं० बी० ) कार्यकारणयोर्भावा, १ कार्य का तत्त्वावधान, काका इन्तिजाम । ३ कार्य- कार्यकारण-तल। कार्य और कारण परीक्षा, कामको जांच। परस्परापेची धर्म, नतीने पौर सबब दोनाको कार्यदर्शी ( सं० वि०) कार्य पश्यति रद सम्यक् को हालत । जैसे घट दलका कार्य और दण्ड एदमसम्यगिति विवेचयति, कार्य-य-शिनि । घटका कारण है। सुतरी घट और दण्ड में तत्वावधायक, काम देखनेवाला। परस्परको कार्यकारणताका धर्म अवस्थित है। कार्य हेष (म.पु.) कार्य वार्तव्य निष्पादने हेष अनि. कार्यकारणभाव (सं० पु. ) कार्यञ्च कारणच च्छा. ७-तत्। १ बालस्य, सुस्ती। २ काम कर- मयार्भावः तत् । कार्यकारणता, नतीजे और नेकी अनिच्छा, काम, जी न लगनको हालत । सबको मिली हुई हालत । कार्यध्वनि, कार्यपुट देखो। कार्यकारी (सं• पु. ) कार्य -क-णिनि । कार्यकारक, | कार्य निर्णय (सं० पु. ) कार्य स्य निर्णयः स्थिरीकरणम्, काम करनेवाला। ६.सत् । निश्यरूपसे कामका स्थिरीकरण, किसी कार्यकास (सं. पु. ) कार्याणां उपयुक्तः कालः, कामका फैसला। मध्यपदलो । कार्य का उपयुक्त समय, कामका कार्य निर्वाहक (सं० वि.) कार्य निर्वाश्यति सम्माद. ठीक मौका। यति, कार्य -निर्-वह ख ल! कार्यसम्पादक, काम कार्यकुशल (सं• त्रि) कार्येषु कुशलः दक्षः ७-तत् । चलानेवाला। कार्यदक्ष, काममें होशियार। कार्यनिष्पत्ति (सं० स्त्री०) कार्यख निष्यत्तिः समाधानम्, कार्यक्षम (सं० नि०) कार्येषु क्षमः समः, ७-तत् । ६-सत् । कार्यको संपूर्ण ता, कामका खातिमा । कार्यसम्पादनमें चमतायुक्त, काम करनेमें होशियार । कार्य पञ्चक (सं० पु. ) पञ्चकार्य, पांच काम। अनु. कार्यगुरुता (सं. स्त्री० ) कार्याणां गुरुता गौरवम्, ग्रह, तिरोभाव, पादान, स्थिति और उदभवको ६-तत् । कार्यका गुरुत्व, कामको बड़ी नसरत । कार्य पंचक कहते हैं। कार्यगौरव (सं० लो०) कार्याणां गौरवम्, इ-तत् । कार्य पट (सं०नि०) कार्ये कार्यकरण पटुः निपुण, तत्। कार्यगुरुता, कामको नरूरत। कार्यकुशल, बड़ी होशियारीसे काम करनेवाला। कार्यचिन्तक (सं० वि० ) कार्य चिन्तयति, कार्य-कार्यपुट (सं० पु० ) कारि-अपुट-क । .१क्षपणक, एक चिन्ति खुस । १ कर्तव्य विषयको चिन्ता करनेवाला, बौद्धसंन्यासी। २ उम्मत्त पुरुष, पागल. पादमी। जो कामको खबर रखता हो। २ पटु, होशियार । ३ अनर्थकारक, वैफायदे काम करनेवाला। कार्यचिन्ता (म. स्त्री०) कार्य स्य कार्य षु वा चिन्ता, | कार्यपहेष (सं०.पु.) कार्य प्रष्टि अनेन, कार्य-प्र. वा ७-तत्। १ कार्यको चिन्ता, कामको फिक्का कर्तव्य विष करण घन्। १ पालस्य, सुस्ती। २ कार्य करनमें विषयको चिन्ता, किये जानेवात कामको फिक्र । अत्यन्त अनिच्छा, काममें दिन न लगने की हालत।, कार्ययुत (सं.वि.) कार्यात् च्युतः भट, ५-तत् । कार्यपान (सं० लो० ) कार्येषु उपयोगि पात्रम्, मध्य कार्यमष्ट, जो कामसे अलग हो। पदली। कार्यमें आवश्यक पात्र । कार्यत्व (सं• ली.) कार्य स्य भावः, कार्यत्व । कार्यय (सं० वि०) कार्येषु मेष्यः, ७-तत् । १ कार्य- कर्तव्यता, नतीजेको मत। सम्पादन नियुक्त करने योग्य, काममें लगाने खायकः । कार्य दर्शक (सं० वि०) कार्याणां दर्शका, ३-तत् । (पु.)३ दूत, हरकारा। १ कार्य का तत्वावधायक, कामगा इन्तिजाम करने कार्यभाजन (सं० लो. ) कार्येषु उपयोगि भाजनम्, वाला। २ कार्य को परीक, काम देखनेवाला। • मध्यपदस्तो। कार्यपान, जो बराबर काममें लगा कार्य दर्शन (सं• को०) कार्याणां दर्शनम् द-सत् । Pol. IV, 188 1 रहसा हो!