पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५५०

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कार्याक्षम-कालिं। ५५१ कार्याक्षम (सं• वि०) कार्य कार्य करणे पक्षमा प्रस- कायिक (सं.वि.) कार्य बुन्। । कार्यविशिष्ट, काम- मर्थः । तत् । कार्य करने में अपारग, जो काम करने काजी २ मुकदमा सड़नेवाला । कार्या ( संवि) कार्य अस्वस्य, कार्य इनि। १ कार्य सायकमहो। कार्याधिकारी (सं• पु.) पदाधिकारी, अफसर, कामका युक्त, कामकाजी। २ कार्यप्रार्थी, उम्मेदवार ।३ कम- रतियार रख्नेवाला। युक्त. मफूल रखनेवाला । ४ मुकद्दमा लडनेवाला। कार्याधिप ( स. पू. ) कार्यस्य अधिपः, नत् । कार्यक्षण (सं० लो . ) कार्य दर्शन,कामकी देखभाल । १ कार्याध्यक्ष, कामका मालिक । २ ज्योतिषोत कार्य कार्येश (सं. पु.) कार्याणां ईश: सत्त्वावधारणेन (दशम ) स्थानका अधोखर। सम्पादकः तत् । कार्याध्यक्ष, कामका मालिक । कार्याधीश (सं० पु. ) कार्यस्य अधोशः अधिपतिः, कार्येवर, कायेंग देखो। तत् । कार्याधिप, कामका मालिक । काय क्य (सं• का० ) कार्याग्या ऐक्यम, ६-तत् । एक कार्याध्यच (सं० पु.) कार्यस्य अध्यचा, तत् । तखा. कार्यानुकूलता, कामको बराबरी । न्यायमतसे छह वधायक, अफसर, कामका मालिक। प्रकारको सततिम यह भी एक सङ्गति मागी गयी है। कार्यानुरोध (सं० पु.) कार्यस्य अनुरोधः ६-सत् । कार्योस क (सं० वि० ) कार्य कार्यसम्पादने उकाका, कार्यको अवश्य कसंध्यताका बन्धन, कामका तकाजा।। ७ तत् । कार्यनिर्वाहमें व्य ग्र, खुमोसे कामकरनेवाला। कार्यान्त (सं० पु. ) कार्यस्य अन्तः, ६ तत् । कार्यका | कार्योहार (सं. पु.) कार्यसम्पादन, काममा अमन्न । शेष, कामका लातिमा। कार्गेधम (सं• पु०) कार्य उद्यमः चेष्टा, ७-तत् । कार्यान्तर (सं० को. ) अन्यत् कार्यम् मयूरव्यं सकादि- कार्यसम्पादनको चेष्टा, कामको कोशिश । बत् समासः । पन्य कार्य, दूसरा काम । कार्योयुक्त (सं० वि०) कार्येषु, सद्यक्त उद्यमशोन्तः कार्यान्वित (सं.वि.) कार्येण कर्तव्येन पन्वितः युक्ताः अन्तत् । कार्य के साधनमें उद्यम विशिष्ट, काममें ३-तत् । १ कार्ययुक्त, काममें लगा दुपा । ३ कार्यबोधक लगा एवा। पदका प्रतिपाद्य पर्थ रखनेवाला। कार्योद्योग (सं• पु०) कार्यस्य उद्योगा, ६-तत् । कार्याधि (सं• पु०) कार्यमागर, कामका ढेर। कार्य के प्रारम्भको चेष्टा, काम शुरू करने की कोथिय। कार्यारम्भ ( सं• पु. ) कार्यम्य पारम्भः, ६-तत् । कालि-पर्वतको एक गुहा । या प्रचा० १८.४५२० कार्यका प्रथम अनुष्ठान, कामक्षा भागाज । १०और देशा० ७३१११पू०पर अवस्थित है । पूमासे कार्याध (सं.पु.) । कार्यका प्रयोजन, कामका बम्बई जानिके पथपर कोई प्राधी दूर पहुंचते ही दक्षिणा मतलब । ३ प्रयोजन, मतलब। ३ कार्य प्राप्त होनेका भागको समुद्रकी पोर थोडा चलकर पर्वतको उपत्यकामें भावेदन, कामपानेको प्रर्जी । ( पश्या) कार्यक कालि गुहा देख पड़ती है। सह्याट्रिपर्वतसे कार्मि सिये, कामके वास्ते। पहाड़ स्वतन्त्र भावमें अवस्थित है। वह नानौलीष्टेशन- कार्यार्थसिदि (सं. स्त्री.) कार्यार्थस्य कार्यप्रयोजनस्य के प्रतिनिकट है। सिदित तत्। उहेश्यसिधि, मतलब पर पानेको इस गुहा में एक सुन्दर मन्दिर खोदित है। भारतम पसके भीतर खोदित नामा स्थान पर नाना प्रकारके कार्यार्थी (सं.वि.) कार्यस्य अर्थी, प्रार्थी, -तत् । १ मन्दिर विद्यमान है। किन्तु कालिकी भांति गठन- कार्य करनेकी प्रार्थनाकारी, प्रमोदवार पैरोकार, मुक. वैचित्र किसी में देख नहीं पड़ता। स्वभावत: यह बोडों- हमेकी पैरवी करनेवाला। का बनाया है। निर्जनमें उपासना बारनेके लिये वोरों- कार्यासय (सं.पु.) कार्य का स्थान, कारखाना, कामकी) ने पर्वतकी गुहाके भीतर इस चैत्यको बनाया था। पथको गठनप्रणाली कुछ कुछ पालकरके गिरनेसे " पाहता