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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५५७

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o कालकूटक-कालखञ्च कूट विष है। यह विष शृद्धवर, कोहण और मलय व्याधके पुत्र हुये थे। उस समय उनका नाम काल केतु पर्वतमें होता है। कानकूट को शोधित करने के लिये पड़ा था। (कविकरण चौ) प्रथम ३ दिन गोमूत्र में भिगोकर रखते हैं। फिर | कालवय (स' पु०) क्रान्तकाया अपत्यम्, कालका ठञ् । सर्षपतैलमे जीण वस्त्र व राज भिगो कुछ दिन बांध कर एक दानव । वासुरके मरनेपर कालकेय समुदौ रखनेपर यह शुद्ध होता है। कान्त कूट प्राणनाशक, रहते और रादिक्षान्नको गुप्तभावसे देवगणका अनिष्ट सर्व शरीरव्यापी, अग्निगुग्णबहुत, भोजः, रुखा, सन्धि साधन करते। फिर देवगणने उनमें कितनी हीको बंधका शैथिल कारक, संयुक्त ट्रव्य का गुणग्राहक और मार डाना। अवमिष्ट कालकेय हिरण्यपुरमें जाकर वुदमाश क है। किन्तु विशुद्धि होने से कान कूटके उक्त ठहर । पीछे अर्जुनने उन्हें भी निहत किया। सकन गुण घट जाते हैं । ऐसे भयङ्कर गुग्ण रखते भी (हरिराम १०३.१.१." युनिःयुना रूपसे प्रयोग करने पर यह रसायन और वायु, कामकेशी (सं. स्त्री कान्तः कैश इव पवादिय स्याः लेमा तथा सत्रिपात दोषनाशक है। (भावप्रकाग) कालकेश-डीप । १ नौनी, बोटानीन्न । २ कालकेशयुक्त ७ मुलभेद, एक जड । इसका वृक्ष सौंगियाकी तरह स्त्री, काले बालों वाली औरत । ३ कान देवी । रहसा और सिंकिम तथा भोटदेशमें मिलता है। इस | कालकोटि (स. स्त्री०) देशविगेप, एक मुल्क । पर इद्र क्षुद्र गोलाकार बिहू होते हैं। काल कोठ (सं पु.) कन्दगाक विशेप, तरकारीका एक कालकूटक (स'. पु. क्लो०) कालस्य कूटमित्र कायति डन्ना, इसे प्रायः लोग मनमारू कहते हैं। प्रकाशते, काल-कूट केक । १ कारस्कर सद, कुचिलेका कालकोठरो (हि.स्त्री०) कारागारका स्थान विशेष, पेड़ । २ कारस्कर फन्न, कुचिला । ३ शिव, महादेव । कैदखानेकी एक जगह। यह सहीण और अन्धकार- "स्तो टुर्योधमा पापकाचे फार फूटकम् । मय होती है। इसमें अन्नग रहने वाले कदी रखे नाते विप प्रापयामास भोमसेनजिओसया" महाभारत ।।१५८० हैं। २ कलकत्ते के फोटंविलियमको एक जगह। इसमें कालकूटइट ( स० पु० ) कानः कालवर्णः कूटभटः सिराजुद्दौलाने कितने ही अंगरेजों को कैद किया था। कर्मधा० । काल बटइट, महादेव । कान्तक्रम ( स०.पु.) समयका प्रवाह, वक्तको चान्न । कान्नकूटरजोध (स पु०) राल । कामक्रिया (सं० स्त्रो०) काले यथाकान्ने निष्पना अनु- काम्न कूटि (स.वि.) कलकूटे भवः, कलकूट-इन । ठिता वा क्रिया, मध्यपदनो। १ यघाकान्त सम्यादित साल्वाषरावप्रत्ययधकल कूटारमकादिन । पा 81१।१०३ कलकूट- कार्य, वक्त से किया हुवा काम | २ मधं देहिक कार्य। नात, कलकूट मुल्का में पैदा होने वाला। ३ कासनिर्देग, वक्त का ठहराव | ४ सूर्य सिद्धान्तका कालवत् (सं० पु. ) कास' करोति उदयास्ताभ्यां एक अध्याय। कालस्य दण्डादि परिमाणं करोति इत्यर्थः, काल-क- कालनीतक (स• लो०) नोलीच, नीनका पेड़। क्किए तुगागमः । १ सूर्य, आफताब । २ परमेश्वर। कालक्षेप (सं० पु०) कालस्य क्षेत्रः ६ तत् । १ समयका कानक्कत (स.पु. कालेन परमेश्वरेण कृतः सर: यहा पतिवाइन, वक्तकी बरबादी। काल कानपरिमाणवतः कर्ता काल-क कतरिका समयका नग्न, देर। १ सूर्य, सूरज । २ पापविशेप, एक गुनाह । इसके "उत्पयामि द्रुतमपि सबै मतृप्रियाई यियासोः। मिटानका काल निर्दिष्ट होता है। (त्रि.)३ काल कासककुमसुरमी पति पर्वत है।" (मेघदूत २५) जात, वक्तसे पैदा । ४ निर्दिष्ट, मुकरर । ५ कुछ समयके | कान्तक्षेपण (सं० ली.) कालस्य क्षेपणं पतिवाहनम्, लिये रखा हुवा। . ६-तत् । कालोप, वनका गुजार। कालवैतु (सं० पु.) एक देवीमत। पन्द्रपुत्र कामखन (स'• पु०) १ दानवविशेष। २ यछन् मौकाम्बर महादेवके अभिशापसे धर्म केतु नामक कलेजा। . २ कर्तव्य कार्य के