पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५७५

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1 कालहस्ती-कालाकलूटा कालहस्तीमें उन्हें भानप्रसन्ना कहते हैं । कथनानुसार कालहीन (सं० पु. ) कालेन कृष्णवर्णेन होनः, ३ तत् । भगवान्न उन्हें किसी समय अभिशाप दिया था। लोध्राक्ष, लोधका पेड़। लीघ्र देखी। उससे उन्होंने नरयोनि पायो। उन्होंने तपस्याके वल कालहोरा (सं स्त्री० ) काले काम्लभेदे होरा, ७-तत् । मानवदेशमें महादेवको रिझाया था। महादेवने एक दिवाराविमें उदित हादश लग्न का प्रवाश। उन्हें मुक्ति दे ज्ञानप्रसन्ना नामसे अभिहित किया। २ ढाई दण्ड परिमित काल, एक घंटे समय। तपस्याकै समय दुर्गा नाम्नी कोई नारी पार्वतीको सह ३ सिन्धुप्रदेशका एक मुसलमान राजवंश। गामिनी बनी थीं। महादेवके प्रसादसे उन्होंने भी १७४० ई.को उक्त वंशका रानव प्रारम्भ हुदा था। देवत्वलाम किया ; उसीसे स्वतन्त्र मन्दिर में दुर्गा देवी कालहोरा और तालपुरवंश हो सिन्धुका शेप वाधीन पूजी जाती हैं। भूत लगने या पपुवक रहनसे वंश रहा। उनमें प्रथमवंशीय अपने को पारस्यके जानप्रसन्ना देवौके सन्मुख भीगे कपड़ों अधो. प्रवासियों का वशोय और शेषोत.. धर्मप्रचारक मुख लेट स्त्रियां देवीका ध्यान करती हैं, उसका मुहम्मदका वशोद्भव बताते हैं । किन्तु वस्तुत: वंशवाले नाम प्राणाचारवत है। जो जितनी देर ध्यान कर वालूचिस्तानके लोग हैं। सकती, उसको वासना भी उसी प्रकार फलवती मुहम्मद कालहोरानि रिन्द नामक किसी बाल- होती है। चिके साहाय्यसे पंवारवंशीय राजपूत राजाको मार शिवमन्दिरसे दक्षिण पर्वतके पाच में भगवान् सिंहासन पर अधिकार किया था। खोदाबादमें उनकी मणिकुण्डेश्वर खामीका मन्दिर है। किसी नारीने कवर है। कवर के सामने कई गदा नटका करती हैं। उक्त स्थान पर महादेवकी तपस्या की थी। महादेवने लोगोंके कथनानुसार उन्होंने मृत्य कानको उस प्रकार प्रसन्न हो उसके कर्णम तारक मन्त्र प्रदान किया। गदा नटकनिका आदेश इसलिये दिया, जिसमें उससे उसकी मुक्ति हो गयी उसीसे सुमुर्घ लोगोंको ले लोग देखते रहें कि उन्होंने कैसी मुगमतासे सिन्धु जाकर वहां दक्षिण पाचपर सुला देते हैं। काल- हस्तोके लोगोंको विश्वास है कि मृत्युकालमें पान | कान्ता (स' स्त्री० ) कालः वर्ण: प्रस्तास्याः, कान्न- बदल अपर कणं रख वामपावं लेटनेसे दक्षिण कसे पर्थ प्रादित्वात् अच्टाप् । १ नोलिनी, नौनिका पेड़। आत्मा निकलता और मृत व्यक्ति चिरानन्द भोग करता २ कालत्रिहत्। ३ विकृत् । ४ पिप्पडी, पोपन्छ । है। मणिकुहेश्वरमन्दिरसे दक्षिण पर्वतके पाददेशमें ५ नागवत्ता।६ मनिष्ठा, मंजीठ । ७ क्षुद्र कृष्ण जीरक, ब्रह्माका मन्दिर है। उसके ऊपर नानाविध मूर्ति | काली जौरी। ८ अहिंसा । अश्वगन्धा, असगंध । खोदित हैं। स्थानीय तीर्थमाहात्म्यके मतानुसार १. पाटला | ११ दक्षको एक कन्या। ब्रह्माने वहीं बैठकर तपस्या की थी। उक्त मन्दिरसे "पदिनिर्दि तिई नुः कामा दनायुः मिहिका तथा ।" (भारत १६५ ) दक्षिण पर्वतको उपत्यकामें एक प्रशस्त पुष्करिणी है। काला (हिं० वि०) १ कण, स्याड, काजल या कोयते- उसकी चारो और पत्थरसे घाट बंध हैं। पुष्करणीके के रंग जैसा। २ कलुषित, बुरा, खराव । ३ प्रचण्ड, निकट भरदान स्वामीकी मूर्ति है । उसोसे उन्ना स्थान जोरदार । (पु.) कालसर्प, काला सांप । भरहाज मुनिका पाश्रम कहाता है। माघमासको | कालांश (सं० पु० ) कालरूपोऽशः । ग्रहणका दर्शनो- वह १० दिन महोसव होता है। उसमें बहुतसे लोग पयोगी अंशविशेष, ग्राण देखने लायक एक मा। इकट्ठा हो जाते हैं। कालाकन्द (हि. पु. धान्य विशेष, किमी किमका कालहानि ( सं स्त्री० ) कालस्य हानि, ६-तत् । धान । यह अग्रहायण मासमें काटा जाता है। इसका १ समयचति, बेफायदा वलको बरबादी। २ समयका चावस सैकड़ों वर्ष रखते भी नहीं बिगहता । निहायत .. प्रभाव, वकको सङ्गी। कासाकलूटा (•ि वि.) अत्यन्त सणवर्ण, जीता था।