पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/६६

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करकारटक-करकोष पा शश१.१॥ यह पवषिष्ट अंथ धसर देख. पड़ता है। पुच्छ एक करकाप (सं• वि. ) वरका मेघमवथिलावत् वितस्ति-परिमित दीर्घ और वक्र होता है.। अधि यस्य, मध्यपदलो। करकाकी भांति शुम्रवण करकण्टक (सं० पु०).. कर कण्टक इव । नख, चक्षु रखनेवाला। करकाचतुर्थी (सं• स्त्री०) कार्तिक कृष्णपकी करकना (हिं. क्रि०).१ अकस्मात् भङ्ग होना, तड़से चतुर्थी, करवा चौथ। इस तिथिको भारतीय स्त्रियां टूट जाना, चटचटाना, फूटना, फटना। २ पौड़ा | व्रत रहती हैं। रात्रिको चन्द्रोदय होनेसे करवाकी होना, दर्द उठना। ३ वक्षःस्थल में उग्रतर पीड़ा उठना, टॉटोसे अर्घ प्रदानकर वह खाती पीती हैं। छातीमें गहरा दर्द पड़ना, कसकना, खटकना,सालना । पूजामें कच्चे चावल के पाटका चीनी मिला लड्ड करकनाथ (हिं० पु०) कृष्णवर्ण पक्षिविशेष, एक काजी लुगता, जिसे सब कोई पिनी कहता है। प्रवादानुसार चिड़िया 1. इसके अस्थि पर्यन्त कृष्णवणं होते हैं। करकाचतुर्थीको हौ करवेशी टोटोसे जाड़ा निकलता करकपाविका (सं. स्त्री०) करकः करकमण्डलु. है। खेलाड़ी इसी तिथिको दीपमालिकाके जवेका रूपा पात्रिका। चर्मपावविशेय, ममक। यह पानी मुइत करते थे। भरनेके काम पाती है। करकाज (स'• वि.) कराया जायते, जन-ई। करकमल (सं० ली.) का कमनमिव, उपमिः। पन्यपि हसवे। करकाशात, प्रोलेसे पद्मकी भांति सुन्दर हस्त, कंवलको तरह खब. निकन्ना हुवा। करकाजल (सं. को०) करकाया जलम, ६-तत् । सूरत हाथ। करकर. (हिं. पु.) १ कर्कर, एक नमक । दिव्य जनमेद, प्रोडेका पानी। दिव्य वायु एवं समुद्रके जलसे निकलता है। (वि.) २ कठोर, तेजाके संयोगमें संहत आकाथरी पाषाणखण्डकी गड़नेवाला। भांति पतित जलीय पदार्थक निःसृत ननको करका- करकारा (हिं• पु०) १ ककरेट, करकटिया । जच वा शिलजल कहते हैं। यह रुक्ष, निमंत, गुरु, करवटिया देखो। (वि.) २ कठोर, खुरखुरा, गड़नेवाला । स्थिर, अतिथय शीतल, पित्तनाशक और कफ एवं करकराहट (हिं. स्त्री०) , कठोरता, कड़ाई, वायुवधं क है। (मावप्रकाश) खुरखुराइट। २ पौड़ा, दद। करकाम्बु (सं० लो०) करकाजन्त, पीने का पानी। करकलस (सं: पु०) करः कलस वव, उपमिः । करकाम्भाः (सं० पु० को०) करकावत् अम्भो विद्यते नलादि ग्रहण चिये उभय करका मिन्नान, अजुलि, यन्त्र, बहुव्री। १ नारिवलक्ष, नारियलसा पेड़। पानी वगैरह लेनेशो दोनों हाथका मिलाव । २ करकाजल, ओलेका पानी। करकलित (सं०नि०) करेण कन्तितः कृतः। हस्त करकायु (सं० पु०) धृतराष्ट्रके एक पुत्र । हारात, हायसे पकड़ा हुवा। शरकासार (सं० पु०) करकाया पासार, ६-तत् । करकपालि (सं० पु.) रसालेख, पौड़ा, गना। मिलावष्टि, पास्मान से पत्यका गिरना। करकस (हिं० वि०) कर्कश, कड़ा। करकिशलय (सं० लोक-पु.) करः किसलयमिव । करका (सं. स्त्री०) क्षणोति अपचयं करोति फचा करपाव, पन्लवको भौति सुन्दर हस्त, जो हाय दिकम्, किरति क्षिपति जलं वा, वञ् दुन्टाप, पत्तेकी तरह खूबसूरत हो। चिपकादिलात् नेत्वम्। १ वर्षीपच, पोला, पयर। करकुइमल. (सं• क्लो. ) वारः कुड्मन्नवत्। मुकु: इसका संस्कृत पयाय-वोपल, मेघोपल, वीजोदक, नितालि हस्त, हाथ की उंगली। धनकफ, मेवास्थि, वाचर, कर, करक, राधरकु यौर करकण (सं० स्त्री०) तौरक, नौरा। धाराकर है,। २ कारवनी, करेशा।. करकोष - (सं• पु.) कराभ्यां निर्मितः कोषः, मध्य-