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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७००

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काश्मीर महती सेनाके समभिश्याहार परिणाम पुरके निकट काश्मीरका सिंहासन वाया था। उस समय लोहरबान लड़ाई करनेको सम्म खोम डुवे । घोरतर लड़ाई हुई ने याकूबका शरण लिया। किन्तु याकूबने सुविधा देख उनके और उनके भाईके नेत्र फोड डाले। फिर हैदर- यो। उसमें मुगलराजको बहुतसी सेमा मारो गयो । वह अपने स्थानको भगे थे । दौलत प्रतिभय निष्ठुर चकके साथ याकूबशा युद्ध हुवा । उसमें हार हैदर रहे। किसी दिन फल चोरानेके अपराधमें उनने एक अकवर वादगाइके पास भाग गये । यूसुफने काश्मीर चालक दोनों हाथ काट डाले थे। फिर उनके प्रताप जीत बहुतर उपढोकनसह अपने पुत्रको मम्राट् प्रश. शालो पुवने मातुनके प्रति कोई पत्याचार किया था । बरके निकट भेजा था। अकबरने यूसुफके भेजे उप- दौलतने उसे भी मार डाला। उनके राज्यमें १८ मन्त्री ढौकन पाते मी काश्मौरके जयका अभिन्नाप न छोड़ा। रहे। अवशेषको वह गसित कुष्ठरोगसे पाकात हुवे। उन्होने भगवानदास सेनापतिको काश्मोर भेजा था। उनने इहलोको नरकयन्वणा भोग पश्चल पाया था। युसुफ भगवानदासको बहुतर धनरत उपहार दे प्रक- दौलतकै वाद इनके माता हुसैनखान्ने राज्य लाभ बरके शरणागत हुवे । कुछ दिन राज्य कर वह अक- किया। वह दाता और प्रनारक्षक थे । खान् जमान् वर सम्राट्के सेवार्धं चले गये। फिर उनके पुत्र याकूब नामक.मन्त्रीने उन्हें हटा स्वयं थोडे दिन राज्य किया। ने काश्मोरका राजत्व किया। उस समय शम्सचक वह प्रति दिन सौनोगोंको बध करता था। यहां तक अत्यन्त कुछ हो याकूबसे लड़े थे किन्तु शेषको हार गये। कि दिलावरखान द्वारा उनने अपने पुत्रको भी मरवा डाला। हुसेनखानने फिर जाकर मन्तिको मारा था । फिर सम्राट् प्रकवरको काश्मीर विजयकी सहा पोछे अपस्मार रोगसे इसेनखानका मृत्यु, हुवा । उनने बढ़ी थी। उन्होंने बहुतर सैन्य के साथ कासिमखान्के ७. वर्ष राजत्व किया था। अधीन २२सेनाध्यक्ष काश्मीर भेजे। कासिमखान्के अरगमनकी बात सुन याकूबने पन्तायन किया था । फिर उनके माता अलीखान राजा हुवे । वह प्रजा उनका सैन्य सकल छिन्न भिन्न हो गया। फिर शम्स को मुखो करने पर तत्पर रहे । उसो समय धोर टुर्भिक्ष चकने अल्प संख्यक सैन्य ले कासिमसे लड़ाई को । पड़ गया 12 वर्ष के राजत्व वाद प्रलोखान् मरे थे। किन्तु मुगल जीते थे। हैदरचक कासिमखानको लाते अलीखान के बाद उनके पुत्र यूसुफगाइने राजत्व देखें गये । सोमे लोगोंने उनका पक्ष अवलम्बन किया । पक्षण किया । किन्तु उनके पिलश श्रब्द लखान्ने | कासिम खान्ने हैदरचकके साथ अनेक व्यक्तियों को किसी दूतसे काला भेजा था-"माताके मरने पर देख कर पकड़ा था। उससे काश्मीरको बहुतसी मजा माता हो राजापद पाता है। आप क्यों राजालामको भयसे वनको भाग गयो । वममें सब लोग मिले थे। पाशा करते हैं।' सिकन्दरपुरमें अब्दुल और यूसुफ लड़ाई करनेको कृतसङ्कल्प हो प्रजा याकूबखानुको की लड़ाई हुई । अब्दुलने प्राणत्याग किया था । उसके ले गयो। कासिमने मोमारखानको याकूबके विरुर भेजा बाद सुधारकखान् यूसुफसे सड़ने चले। यूसुफके सेना. था। याकूबने सदाशिवपुरमें मोमारखानको सेना पर पति मुहम्मदखान उस लडाई में मारे गये । उसके बाद आक्रमण किया। कासिमखान्नै काश्मीरका बहुतर मुवारकखान काश्मोरके राजा हुवे। यूसुफने भकवर मन्त्र देख काराग्रह-स्थित हैदरचकको मार डाला । बादशाह के निकट दिल्ली जा साहाय्य मांगा था। इसी उसके बाद कासिम और याकूचको लड़ाई हुई । किन्तु समय धोंने मुहम्मदखान को हरा लोहर-चकको जय पराजय समभान पड़ा। याकूच काठवाट चने काश्मोरका राज्य दे डाला। यूसफने अकवर के निकट गये। उस समय याकूचके पिता यूसुफ और अन्यान्य से लौट वितस्तावेष्टित स्वय्य पुर ग्राममें पवस्यान किया प्रधान व्यतिन सन्धिके लिये प्रार्थना को । कासिमने था । मोहरचक उनसे खड़ने लगे। उस लड़ाई में लोहर यूसुफ प्रभृति व्यक्तिको अकबर के पास भेजा था। अक- चकके मन्त्री अष्टु लमौर मारे गये । फिर यूसुफने | वरने उन्हें समादरसे लिया ।