पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७११

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७१४ कास- -कासन्दौ कास (सं• पु०) कासते शब्दायते पनेन, कास धन्। शीतल और पिचनाशक है । उसका मूम्त उष्ण, इलय । पा३।३।१२१ १ रोगविशेष, खांसी । काश देखो। बलकर और ज्वरहर होता है। २ शोभाजनाच। ३ कासवण, एक घास । ४ कफ । पश्चिमको कासनीका हो पादर विशेष है । वह (वि०) ५ हिंसक, खुंखार । पञ्जाव तथा काश्मीरसे उत्तर साइवेरिया, समस्त युरोप कासकन्द (सं० पु.) कामहेतुः कन्दः, मध्य पदलो० । और पफरीका भी बहुत उत्पन्न होती है। युगेपोय कासालुस, कसेरू। उसका शाक बड़े पादरसे खाते और मूनको बुकनी कासकर (सं० वि०) कास करीति, काम-क-पच । बना कचाके साथ पी जाते हैं । भारतवर्ष उत्तका कासरोगोत्यादक, खांसी पैदा करनेवाला । वैसा प्रचार नहीं । युरोपको भांति भारतमें उसकी कासन्न (सं० वि०) वास इन्ढक् । १ कासगेग- क्वषिमें यन भी कम करते हैं । पञ्जाबको काङ्गडा नाशक, खांसी मिटानेवाला । (पु.)२ विभीमकक्ष, उपत्यकामें उसके वीजका सामान्य यत्न देख पड़ता है। बहेराका पेड़। ३ कासमद, कसौंदी। ४ कण्टकारी, उक्त सामान्य वृक्षसे जिस विशेष लाभको सम्भावना है, कटैया । ५ मोदकविशेष, एक लड्डू । वह हरीतकी, उसे बहुतसे लोग नहीं समझते। अकेले इङ्गालेण्डमें पिप्पन्नी, शुण्ठी, मरिच और गुड़के योगसे बनता और ही प्रति वर्ष लाखों रुपये की कासनी विकती है। वह कासरोगको नाश करता है। बलकारक, स्निग्धकर और शीतल होती है । कासनी- कासन्नधूम (सपु०) पञ्चविध धूमपानान्यतम धूम, का वीज रजोनिःसारक है। बीजका वर्ण पैत्तिक- पौनसे खांसीको मिटानेवाला एक धुवां। वह बहतो, वमननिवारक और सर्ववरहर होता है। कासनी- कण्टकारी, त्रिकटु, कासमद, हिङ्ग, अङ्ग दौत्वक् और का मुख खाने में कट लगता है । औषधादिमें वही मनःशिला जलानसे निकलता है। उक्त सकन द्रयों का व्यवहार किया जाता है। युरोपमै कहबाके बदने, कुछ कल्क बना लेना चाहिये। (सन्नुत ) लोग कासनीके मृतका चूर्ण सिद्ध कर सेवन करते हैं। कासन्नी (स'. स्त्री.) कासघ्न डोप। १ कण्ट कारी, कटैया मूल में प्राय: चौथाई भाग शर्करा डाल जलमें सड़ा २ भार्गी। यथानियम निचोड़ लेनेसे उत्कष्ट तीव सुरा बन जाती कासजित् ( स० स्त्री०) कास जयति, कास जि-क्किए है। कासनी अल्प परिश्रम करनेसे बहुत उत्पन्न हो सुगागमय । १ भार्गो. ब्राह्मणयष्टि का । ( त्रि.) सकती है। उसमें लाभको भी अधिक सम्भावना है । २ कासरोगनाशक, खांसी मिटानेवाला । वह हाथ डेढ़ हाथ ऊंची होती है। कासनी देखने- कासनाशिका (सं० स्त्री०) १ अरुणवित् । २ ककट हरीभरी पड़ती है। पत्तियां छोटी शृङ्गो, ककड़ासौंगी। छोटो रहती और पालकी से मिलती जुलती हैं। डण्ठ- कासनाशिनी (स. स्त्री०) कास नाशयति, कास-नश लमें तीन तीन चार चार अङ्ग लोके अंदर पर ग्रंथित णिच्-णिनि-डीए। कर्कटशृङ्गी, ककड़ासोंगी। होती है। उसी में नीलवर्ण पुष्पके गुच्छ निकलते हैं। फूल कासनी ( फा० स्त्री०) वृक्षविशेष, एक पौदा। ( Gi गिर जानेसे वीज पाते हैं। कासनीका मुख डण्डस chorium Intybus ) वह भारतके उत्तरांश, चीन, और वीज समस्त अंश औषधमें व्यवहृत होता है। पारस्य पार इजिपमें उपजती है। कासनी शाक हिन्दुस्थानमें कासनो ठण्डाई में डालकर पी जातो है। केवल भारतवर्ष नोग ही नहीं, वरन् बहुत दिन २ कासनीका बीज। ३ वर्ण कविशेष, एक रंग। वह युरोपीय भी खाते हैं । भोमिद, ग्लिनि प्रभृति नीला और कासनीके फूल जैसा होता है। ४ नोलवर्ण- प्राचीन पाश्चात्य पण्डितोंके अन्यमें उसका विवरण वापोत, नीता कबूतर। वित हुवा है। कामन्दी (सं० स्त्री०) कासं द्यति नाशयति कास-दो-क- मुसलमान इकोमोंके मतानुसार वह द्रावक, डोष् । बामका एक प्रचार । में बहुत । मालूम a