किल-किलमोरा ७४१ किल (सं० प्रव्य०) किल्-क । १ वास्तव में, दरहकीकत पेट भरती है। वह मछलियों को देख पानीके ऊपर असलमें। २ अर्थात्, यानौ । ३ सम्भवतः, गालिबन् १. हाथ अंचे उड़ा करती है। घात लगते ही किल- किम्ता मछन्ती पर एकाएक टूट उसे पकड़ कर ले शायद। " किलाब्याज मनोहर पुतपःकर्म साधयितुंय इच्छति।" जाती है । (पु.) २ समुद्रका एक भाग । किनशि- (थाकुन्तल, प.) लाकी लहरें भयानक शब्द करती हैं। शिलक (हि. स्त्री० ) १ हर्षध्वनि, खुशीको आवाज। किनकिलाना (हि. क्रि०) १ हर्षध्वनि करना, किन- २ प्रसन्नता, खुधी। ( फा०) ३ विशेष, किसी कना।२ कोलाहल करना, शोर मचाना। ३ वाद- किस्मका नरकट। किलकका कलम बनता है। विवाद नगाना, भागड़ा उठाना। 8 खुनन्नाना । किसकना (हिं० कि. ) हर्षवनि करना, खुशोकी ५ क्रोध करना। आवाज निकालना, किलकारना । किलकिलाहट (हिं० स्त्री०) १ हर्षध्वनि, किन्तकार। किलकार (हिं. स्त्री०) हर्षध्वनि, खुशीको अावाज । २ कण्डु, खुजली। ३ क्रोध, गुस्सा । ४ वादविवाद, किलकार गम्भीर तथा अस्पष्ट रहती और प्रानन्द एवं झगड़ा। उत्साहके समय सुइसे निकलती है। किलकी (हिं. स्त्री०) यन्त्र विशेष, एक औजार । किलकारना, किचकमा देखो। बढ़ई किलकोसे. नापके मुवाफिक लकड़ीपर चिह्न वितकारी, किलकार देखो। लगाते हैं। किलकिचित (सं० ली.) किल अलीकेन कि ईषत् चितं किन्तकैया (हिं. पु० ) १ रोगविशेष, एक बीमारी। रचितम्, ३-तत्। शृङ्गारभावजन्य क्रियाविशेष, एक किलकैसे पशुवों के खुरों में कोडे पड़ जाते हैं। अदा। "मितकरुदितहसितवासकोधनमादीनाम् । २ वर्षध्वनिकारी, किलकार लगानेवाला। सास्य किलकिषिरुममौष्टतमसमादिवाइर्षात " किलटा (हिं. पु. ) करण्डविशेष, किसी किस्मका (साहित्यदर्दए, ३११०६) टोकरा। किलटा ऐवो युक्तिसे बनाया जाता है कि प्रियनायकके समागमसे अतिमात्र हृष्ट हो उसी उसमें रखी हुयी चीजका भार ढोनेवाले के कंधों पर हो नायकसे स्त्री शुष्कहास, रोदन,भय, क्रोध और श्रान्ति पाता है। प्रभृति मित्ररूपसे जो भावप्रकाश करती है, उसोको कितना (हिं० क्रि०) १ कोला जाना, अभिमन्त्रित 'किलकिचित् कहते हैं। होना।२ वशमें लाया जाना, तावेदारोमें पाना । "त्वयि बौर विराजते परं दमयन्तीकिलकिषितं किल । किन्ननी (हिं० स्त्री. ) कोटविशेष, एक कीड़ा । किलनी तरुचारुल पव दीप्यते मणिहागवतिरामबीयकम् ।" गाय, वैन, मैंस, कुत्ते, विल्लो वगैरह नानवरो के चिपटी (नैषध, ५म सर्ग) रहती और उनका रत पान कर अपना शरीरं पोषण दिलकिल (सं.पु.) १ महादेव । २ नगरविशेष, कोई करती है। उसे किलो और किलौनी भी कहते हैं। किलपादिका (सं० स्त्री०) क्षुद्रलज्जालुका, छोटो साज- किसपिला (सं० स्त्री.) किल-क प्रकारे वीसायां वा दित्वम् टाए । १ हर्षध्वनि, किलकार । २ वोरोंका.सिंह किलबिलाना (हिं. क्रि० ) कुलबुलाना, धीरे धीरे नाद, लत्तकार ३ दिग्विजयप्रकाशीत वङ्गदेशक अन्तर्गत सरस्वती और कालिन्दी नदीका मध्यवर्ती किलमी (हिं. पु. ) नौकाका पञ्चाभाग, जहाजका चलना फिरना। कोई जनपद, बंगालको एक वस्ती। कलकला देखो। पिछला हिस्सा । २ पिछले हिस्स'के मस्त लका- किचकिक्षा (हिं॰ स्त्री०) १ पक्षिविशेष, एक चिड़िया। वादवान। किनकिला छोटी रइंतो और मछली खाकर अपना | फिलमोरा (Eि. पु. ) दारुहरिद्राविशेष, किसी Vol. IV. 186 शहर। वती।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७३८
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