कौर्तिमय-कौल वशेष मिलता है। पहाड़ पर वैसा इष्टक-मन्दिर प्राय: जन्म हुवा। राज्यकाल १६८-१०७७ ई० था। बोर्तिदव देखी। देख नहीं पड़ता। २ प्राचीन ग्रामविशेष, एक पुराना गांव । वह ३ चन्द्राय (चंदेल )-बंधीय काननगधिष विजयपालके पुत्र । उन्होंने अपने प्रधान सेनापति स्वर्गदेशके अन्तर्गत करहसि ग्रामसे उत्तर पाधाकोस गोपालक साहाय्यसे चेदिरान कर्णको परास्त किया पर अवस्थित है। उसके पार्श्वमै दुण्डि और गङ्गा- नदीका सङ्गम है। चन्द्रवंशीय कीर्ति चन्द्र नामक था। समस्त बुंदेलखण्ड और उसका चतुःपावस्थ स्थान किसी मण्डलेशने प्रतिष्ठानसे जाकर अपने नाम पर उनके अधिकारमुक्त रहा। चंदेसराजावों को पिला. लिपि पढ़नेसे समझ पड़ता कि कोसिवर्माने ११०७ उक्त ग्राम स्थापन किया था। (मविष्य ब्रमखण, ५८.५४०) कौतिभाकु ( सं० पु०) कोर्ति भजते, कीर्ति-भज्-खि । संवत् ( १०५० ई० ) से ११५४ संवत् (१०९८ ई०) १ द्रोणाचार्य । (वि०)२ कीर्तियुक्त, मशहर। पर्यन्त राजत्व किया था। उनके माताका नाम देववर्मा कीर्तिमय (सं० वि० ) कीर्ति-मयट् । कोतियुक्त, मश- रहा । कीर्तिवर्माको सभामें प्रबोधचन्द्रोदय-प्रणता विख्यात पण्डित कथमिव रहते थे। सेनापति गोपाल- कीर्तिमान् (सं० वि० ) कोतिरस्यास्ति, कोर्ति-मतुप । के श्रादेशले उन्होने प्रबोधचन्द्रोदय नाटक बनाया। एक १ कौतियुग, मगर । ( पु. )२ विखे देवान्तर्गत ग्रन्थ पढ़नेसे-हो मालम पड़ता कि वह राजा कीर्ति: वर्माके सम्मुख अभिनीत हुवा था। राजा कौतिधर्माने वादविशेष । (भारत, पनुशासन, १५२०) विश्वदेखो। ३ महोदामें कौति सागर नामक एक वृहत् नलाशय वसुदेवके ज्येष्ठपुव । (मागवत, ८।२४:५३ ) कोतिरय (सं० पु०) विदेहराज जनकवंशीय प्रती खुदाया था। उनके पुत्र वोरवर सक्षणबर्मा रहे। बकराजाके पुत्र । (रामायण, Nee) पिता और पुत्र के समयको अनेक शिलाक्षिपि पाकि. कोतिरान (स० पु.) कोल्हापुरक गिलाधारवंशीय एक त हुयी हैं। कोर्ति शेष (सं. पु०) कौति:शेषो यस्य, बहुव्री। एक राजा। वह १०५८ ई०से पहले राजत्व करते थे। कोतिरात (सं० पु०) मिथिलाराम महीध्र कके पुत्र । मरण, मौत। (रामायण १/११) कीर्ति शाह-टेहरी राज्यके एक राजा । १८४ ई. को कीर्तिवर्धन (सं० पु. } कुलोत्तुवंशीय एक चोजराज । सिंहासन पर बैठे थे। इन्होंने नेपासके महाराज जंङ्ग- वह कार्तिकेयदेवके उपासक थे।। (चौलमाहात्मा) बहादुरको एक पौत्रीका पाणिग्रहण किया। कौति वर्मा-१ तीम चौलुक्य राजावोंका नाम । १मकोति सैन ( स० पु०) कौति सेनेव यस्य, बहुब्रो । यौतिवर्माका उपाधि पृथिवीवल्लभ था, वह पुलि- केशि-वझमके पुत्र रहे। उन्होंने रणक्षेत्रमें नल, कीर्ति स्तम्भ ( सं० पु० ) कोतिख्यापकः स्तम्भः, मध्यप मौर्य और कदम्बराजगणको पराजय किया था। राज्य. दलो। कौति विशेषके स्मरणार्थ निर्मित स्तम्भ । कास्त ४८८ पक रहा। २य कीर्ति वर्मा विक्रमा- | कोर्या ( वै० स्त्री.) पक्षिविशेष, एक चिड़िया । दित्यके पुत्र थे । लोकमहादेवोके गर्भसे उनका जन्म | कौल (सं० पु.) किल्यते रुध्यतेऽसौ प्रनेन पत्र वा, 'हुवा । उन्होंने.पल्लवराजगणको नीता था। राज्यकाल कोल कर्मणि करणे अधिकरण वा धम् । १. अग्नि- ६५५-६६८ शक रहा । ३य कीर्ति वर्मा भीमराज शिखा, लपट । २ अङ्गु, मेख, खूटी, परेग । ३ स्तम्भ, पुत्र थे। सितून, खंभा । ४ लेश, बहुत बारीक टुकड़ा । २ वनामोके दो कदम्बराजावों का नाम | उनमें ५ कफोणि, कुहनी । ६ कफोणिका निम्नदेश, कुहनीका पघम शान्तिवर्माके पुत्र एक महामण्डलेश्वर रहे। निचला हिस्सा । ७ भ्रढगर्भविशेष, अटक रहनेवाला द्वितीय तैलपके पुत्र थे। चबुन्दला देवीके गर्भसे उनका Vol. IV. 191 . वासुकिके चातुष्युन । हमला
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७५८
दिखावट