पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१०४

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ऐतिहासिक प्रसिद्धिकी बात नहीं सुनी नाता। शेषोक । ग्भिागका अधिकाश कैथल और मि सरदारको वपमें सम्राट पर सियत सारा हरियाना विगाग) समपण कर उपहास परिवाण पाया। सपो मन्त्री का उद्दौलाको प्रदान किया। पौरमा ममय मीमाया सैनिक जा रामसहरि रुवनने भी पद सम्पत्ति फौजदार खाम पर येलु यानावा अपराध हस्तगत कर म्पय राज्यशासन करने पिस्तानयासा उमरायी दे दो और १०३२ ६०में उसे लगा। उ होंने झापरक निपट जज्ञागह नामक स्थानमें पच नगरको माया मसाद पर अमिपित दिया नया और हिमार जिले के हामीम दो दुगबगर अपना मयाय राजतन पर यैठ पर वत्त मान हिसार, रोहता। अधिशार मजन कर लिया था। १८०२०में फरासी और गुरुगाय मिले दुध मश तथा पतियाला और सनासापकके अधान परिचालित महाराणदलने रामको मिद राज्यके पुर का शासन करने 7गा राज्यसे निकाल भगाया। दूसरे वप अगरेज सेनापति उमफे लडने १७६० १० तक वे रोक्टोफ राज्यभोग , लार रोक्ने तद्र से शिवालिक पादमूल पर्याप्त भ गरेज दिया था। पाछे दिलो मानाज्यफे अध:पतनके । शासनमुक्त कर लिया। साथ उसको भी तरदीर फूटो निक्ली। आलमगीरकी इस समय फैधर गौर मिन्द के सरदार जिलेका उस हत्या और सम्राट शाह आलमके नाममात्रके राजा, राश अधिकार कर पैठे थे। गजरानने माजरके होनसे राज्यमें अरानताशा लक्षण सूषित होने लगा। नयावको दक्षिण, दानि भोर यहादुरगढफे नयापको दूसरे य पातोपतकी उडाइमें महाराष्ट्रगाति अधा पश्चिम तथा दुजामाक मयावको मध्यभाग शासन पतनके माय माय मुगरगापिका. मी हाम हुया। करनेक लिये दे दिया। शेषोक नपाव सिम्ब भोर माह पर व मगरफे नवायने प्रतिपालक्की दुरवस्धासे अपने नासिके धार धार आम तग आ कर जब राज्य को दुर्दशामस्त समझा। यह सामथ्यहीन हो नाम चलानम असमर्थ हुए, तब १८०१ १०में वहा सुद्धा मासके लिये मसनदशाशोभा वदने लगा। इस ममय स्थापन के जिये यगरजी सना भेजी गई। इस समय सौमाग्यावया सियसरदारोने दस्युत्ति और गर्ध पर्तमा जिलेका कुछ परगना अगरेजॉप अधिधारभुन wrसाका परिपाग पर राजपाट स्थाएनको और हो गया था। १८१८६०म कैपलराजकी मृत्यु के बाद ध्यान दिया। इससे नाय दिनों दिन कमजोर होता तथा १८२०३० भिन्दके सरदार कुछ भूभाग हस्तगत गया | मासिर १७६२ ०म भरतपुरक जाटसरदार । पररोहतक निला संगठित दुमा । उसी साल हिमार बाहिर सिंहने उसे राज्यमे निकार मगाया। और शिर्षा रिमाग रोहतकसे निकाल लिया गया और इस माया २० यप बाद उत्तर भारतप दरियानार्म १८१४ ६०में पानापत (पर्समान ) जिला स्तर माना मकारका विश्राला परिपन हु। नमाव फौज भासामुक किया गया। दारफे पुत्र कुछ समय रिपे पैता सम्पत्ति अधिकार १८६२ . सर दिलराजधाना मगरेज सिएट पर फिरस राग्यशासावरने लगा । मनम्तर नाफ, अधीन ए पोलिटि पजेएट यहाका शासन रहे। जाने यह रूपान पोर र भपो अनुचरको प्रदान पोछे १६ युक्तप्रदेशफ साधारण राजनियमके शासना किया । पाले मरदानाका राना पेगम समझा स्यामा धान दिया गया। १८५७ १० गदरम यद जिला मग पालरर रिनहाईर इसके उin जागीर तौर पर माफ हायमेशाता रक्षाा फरनगर, झाझर मौरसदा भोग परने लगा। १७८४ में महाराष्ट्रगणा स दुरफ नवाबने गुरुगांव हिसारवासा विभिन्न मुसलमान पिलाम रापरक्षा पर ममय दुप सदी, शिन्तु समाफ माथ मिल कर यहा साधिपस्य जमाया। मुमगुर सिम्ले राम मिशा इमार मी। पीर शिरा और हिमारप हि सरदारान उनमे मिल मिोन पारभार माफम धानाप अधियामिषोंपर रोदनर पर माममण पिया मोर उस लूटा। दिली stoग र सासर सम्तमें सिन्देशाने परिपाता। मगर जोंके हाथ म दाइपना सनाया सहा Not,xx26