पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/११९

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रौप्यमुद्रा महम्मदशाही, अहमदनाही, शाहआलमी (१७७२ ई०), हुई उसकी एक पीठ पर सारत-साम्रानो विक्टोरियाको मुद्रा एक-सी थी। महारान्द्र और अन्यान्य हिन्दू राजाधि मुकुट मण्डित आवक्ष मूर्ति के पार्श्वमें Queen Victoria कृत प्रदेशोलि मुगल-बादशाहोंके नाम रख कर स्वतन्त्र और दूसरी पीट पर One 1upee India 1862 लिखा मुद्रा चलती थी। अगरेज आधिपत्य विस्तारके साथ हुआ था। साथ प्रचलित मुद्रामे भी बहुत ऐरफेर हुया । भिन्न भिन्न पहले लिख आये है, कि १६ आनेका एक रुपया स्थानमे भिन्न भिन्न प्रकारकी मुद्रा प्रचलित रहनेसे होता है। किन्तु चांदी वा तावे की पाना मुद्रा ( अन्नी) अगरेज सम्पनीने १७६३ ३०की ३५ो धाराक अनुसार नहीं होती। आजालको नामावेशा ओध आना या हिमालम के शासनकालके १६वं वर्षगे जो मुद्रा प्रचलित डबल पैसा, एक पैमा, आध पैसा और पाई पैसा (छदाम) थी, उसी के बराबर दिल्टीको प्राचीन मुद्रा कर ली। ढलता था । उसकी एक और सिंह और युनिकरण मुगल बादशाहोके वरती-मुद्राका परिमाण १७८३१४ , मूर्ति तया Auspicis regis at senatua Anglac और ग्रेन था। उसमें १७२४ मेन विशुद्ध चांदो रहने के कारण दूसरी मोर East India company Half anna दो उसका मृत्य दिल्ली मुद्राके वरावर था। पीछे १८०० ई०में | पैसा' लिखा रहता था । उस ताम्रमुढाका परिमाण १७६ प्रेनकी सूरती मुद्रा जिसमे १६४७४ विशुद्ध चादी इस प्रकार था- रहती थी, फिरसे ढाली गई। १८२६ ई०में टए-दण्डिया कम्पनीके डिरेकर वम्बई और मन्दाजमे १८० प्रेनकी डवल पैसा-२०० प्रेन (Troy ) एक पेसा-१० मुहर और रौप्यमुद्रा ढालने लगे । १७८८ ई० तक आर्कटी " . आध पैना-५० , रुपया १७० प्रेम विशुद्ध चादीका जारी था। पीछे १६६ ४७9 मेन विशुद्ध वा १७६४ ग्रेनका यह रुपया तैयार छदाम–३३४ , , होने लगा। पीछे उसका वजन १८० प्रेन कर दिया बङ्गालमें पहले जो सोनेकी मुहर प्रचलिन थी, उसमें गया। | ६६ भाग सोना और ॥१० भाग खाद रहती थी। १८वी ___ष्ट इण्डिया कम्पनीने कलकत्ते में पहले पहल जो सदोकी १४वीं धारा के अनुसार १३ सोना और सिका हलवाया था उमको एक पीठ पर "हमि-इ-दिन खाद मिलानेको व्यवस्था हुई । पीछे १८३५ ई०की इ-महम्मद, सया हि फजलउल्ला सिक्का जाम वरहफत | १७वीं धारास उस खादको स्थिर कर ३० रुपये मोलकी विसबर शाहमालम् वादशाह" और दूसरी पीठ पर 'मुर्णिदाबाद' और मुगलशाह शाहमालम वादशाहका एक डबल मुहर, १८० ग्रेन अर्थात् १५ रुपयेको मुहर, 'सीमामशाली राज्यका १वां वर्ष' अद्धित था।। १० रुपयेको : मुहर और ५ रुपये के वरावर । मुहर पश्चिम नारतकं कसावाद, वाराणसी और | दाली जाने लगी थी। १८७० ई०की २३वी मुदाधारा सागर नगर के टकसाल-घरमे जो सिक्का ढाला गया (Indian coinage act Taim of (870) राजविधिरूपमें था उसकी एक पीट पर वही नाम तथा दूसरी पीठ गृहीत हो कर उसी प्रकारकी मुहर ढलने लगी। पर 'फग्गवाद' नगर अद्धित है। मन्द्राज और केवल डबल मुहरका मूल्य ३२ रुपया कर दिया गया। सम्वट मिन्ट रे रुपये में उस स्थानके नाममा परिवर्तन मुद्राका परिमाण मुहरसे दूना अर्थात् ३६० प्रेन और हुआ था । १८४० ई० में अडित मुद्राकी एक और रानी ६१६६६६ कस ( Touch ) था । मुर्शिदाबादमें जो विक्टोरियाको मुकुटदोन मूत्ति के दोनों बगल Queen | अशर्फी प्रचलित थी उसका परिमाण १६०८६५ प्रेन Victoria और दृमरी और One Rupce लिखा हुआ है। ( Troy) था। सिन्दे और होलकर राज प्राचीन सिपाही विद्रोहके बाद मारनवर्य जब अगरेजोंके अधि- उजयिनी में रौप्यमुद्रा चलाने थे। हैदरावादमें आसफ- फारम बाया, नव १८६२४० मे जो रौप्यमुद्रा प्रचलित जाही राजवंशके समय सामसिरीय और हाली सिका