पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१२०

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रोप्यायण-रोहियोय तथा तायेका ढवमा एव विचारमं पानम और चरम् । रौरव-शैश्यमयता एक आचाय । अभिनवगुप्तने इनका सिधा चलता था। नामोल्लेख किया है। रौप्यायण (२००) रुप्यक गोत्र में उत्पन पुरुष। गैरपक (स०पी० ) यरुपात (कुशतादिम्यो उम् । या रोप्यायणि (स.पु.) रुप्यक गोलमें इसन पुरुष। । ४३११८) इति हरु बुन्। रुरु द्वारा त । रोम (स.को० ) रमाया लपणारे भव, तमा मण। रोपिन् (म० पु० ) ररुष प्रवर्तित सम्प्रदायभेद । शाम्भरिलवण, साभर नमक । रौला (हिं० पु०) १ हला, शोर । २ ऊधम, हरचल । रोमा (स.हो. ) शाम्मरियण, मामर THE ITA रोगन (फा०वि०, रोशा देखा। मदासे यह नमक उप न होता है इमलिय इमे रोमक रौशनदान (फा० पु. ) राशनदान दया । पहने है। (भारप्र०) रोशनी (फा० सा० ) रोशनी दग्यो । रोमाय ( स० वि०) रोमक चतुपु अषु ( शाया रौशर्मा ( स० पु० ) वातदर्पणके प्रणेना पाचस्गतिक विभय रण । पा ४१२८० ) इनि छ। १ रोगदेशका भार और प्रमोदके पुत्र । ये एक अद्वितीय पण्डित थे। रहनेवाला । २ रोमप्रदे।। ३ रोम देशफ पास। रोस (कार स्त्री.) १ गति, बाल। २ धागका पटरी, रोमश्देशसे निवृत्ती । धागो यारियों के योचका मार्ग । ३ रग ढग, तौर रोमण्य (स.नि.) रोमण देशका रहनेवाला या रोमन तरीका। देशमें उत्पन। (पा ४८०) 'रौसली (दि. सो० ) एक प्रकारको चिनी उपजाऊ मलय (स० को०) गैम लवणमिति । शाम्मरिलपण, मिट्टो, डार। सागर नमक रोसा (हि.पु.) रौमा दम्वा । रोमगोय ( स० वि० ) रोमश चतुपु अर्थेषु ( प्रशाश्वादिम्य , सरोहार (दि. खा०) घोहे को एक चाल । घोडे की पर भवण | ST INS० ) इति छण। १ रोम देशनासी । रोमश उत्पन३रोमशदेशके पास। ४ रोमश रोहित (सनिक) कह इव (अनस्यादिभ्यटक । पा ५।३१०८) देशसे निवृत्त । इति इवायें ठन् । रुड़के ममान । रोमहर्षणक (संत्रि०) रोमक्षपणसंयुक्त। रौहिण ( स० को०) रोहिणमंत्र स्वार्थ अण् । दिनमानका समपाणि (म.पु.) रोमहरण ऋषिके गोतम उत्पन नवममुहत्त। एकोद्दिष्टश्राद्धर्म पूर्वादको एकादिश्राद्ध पुरुष रोम्यापप (स० पु०) महादेव । (महाभारत १३३१७) बहु। मआरम्भ करक रोहिणकालका लवन नहीं करना चाहिये। घाका प्रयोग परनेसे अग्निका अनुघर अपदयता अर्थात् उतन समय म तर श्राद समाप्त करना होगा। समझा जाता है। यदि सगरमुहत्तके याद रोहिण तम तिथिलाम हो तथा रोप ( स० पु०) रस्तुविशेषस्तस्यायगिति र रण। दूसरे दिन तान मुहरा तक यह तिथि रहे, तो पा दिश १मरविशेप, रोरय नरक । इस TREET माम इकाम, नाद्ध होगा । जितु दोनों दिा यदि मलपमुहरा लाम मरकोमसे पाया कहा गया है। यह दोनोरयोजन' छो, नो दूमरे दिन याद होगा। (भादतत्व) विस्तृत है। यह नरफ बदा भयाना है। जो फूट marti (पु.) मान-स्वार्थे अण। २ चन्दन पक्ष । साक्षी तपा मिप्यारादा है यहो इस का भोग करत राहिणा ( स० को०) साममेद । (एताया १०६.३॥ है। (मापु० पितापुत्रनामापाय ) शब्द दरा। रोहिणायन (T० पु.) रोहिणम्य गोवापत्य (राहिण मस्या (नि.)२चश्चल, पात पर टन रहनेवाला दिम्म पापा ११.) इनि अपत्यार्थ प रिण पूच, येइमान, कपटी। ४ घोर, भयर। ५२ मुग का गोलापत्य। सम्दग्धी। (मनु श१) (क) ६ साममेद। रोहिणि ( स० पु.) १ साममेद । २ रोहिणा गीतापत्य । (एल०मा० ३१७) रोहिणय (स० पु०) रोहिण्या माध्यमिति रोहिणी Vol, xxs) रोमा देशवासी । जाति।